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Jammu and Kashmir Ganderbal Terrorist attack died Shashi Bhushan family statement ANN


Jammu and Kashmir:  कश्मीर घाटी के गांदरबल में रविवार शाम को हुए आतंकी हमले ने कई परिवारों की करवाचौथ की खुशी को गम में तब्दील कर दिया. इस हमले में मारे गए जम्मू के शशि भूषण के परिवार को उनके दिवाली पर घर आने का इंतजार था लेकिन भगवान को कुछ और ही मंजूर था.

यह जम्मू के तालॉब तिलों इलाके के रहने वाले शशि भूषण पेशे से टनल डिजाइनर शशि पिछले करीब 7 सालों से कश्मीर में काम कर रहे थे. रोजाना की तरह रविवार को भी शशि ने जम्मू अपने घर फोन किया और उस समय उनकी धर्मपत्नी रुचि करवा चौथ की पूजा के लिए मंदिर जा रही थी. लेकिन रुचि को क्या मालूम था यह उनकी अपने पति से आखिरी बात  होगी. 

हाथों में लगी मेहंदी और आंखों से गिरते आंसू को संभालते हुए रुचि ने एबीपी न्यूज़ से कहा कि उन्हें कभी भी पति के कश्मीर में काम करने पर कोई आपत्ति नहीं हुई क्योंकि जिस इलाके में उनके पति कार्यरत थे वह काफी शांत इलाका माना जाता है. रुचि ने बताया कि उनके पति हमेशा यह जिक्र करते थे कि किस तरह से जिस इलाके में वह काम कर रहे हैं उसे सुरक्षा बलों ने अपने घेरे में लिया हुआ है. 

करवा चौथ की पूजा करके जैसे ही रुचि अपने घर आई कुछ ही समय बाद उनके पति शशि के आतंकी हमले में घायल होने की खबर परिवार को मिली. इस खबर से आहत शशि के परिवार वालों ने कश्मीर में शशि के दोस्तों को फोन लगाना शुरू किया लेकिन उसे समय कोई फोन नहीं उठा पा रहा था. पूरी रात परिवार अपने बेटे की सलामती की न केवल दुआ मांगता रहा बल्कि सलामती का पता लगाने के लिए जगह-जगह फोन करता रहा. लेकिन जैसे ही परिवार को यह पता चला कि इस हमले में शशि भूषण ने अपने प्राणों की आहुति दी है पूरे परिवार पर मानो दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. 

रुचि बताती है कि उनके परिवार में शशि अकेले कमाने वाले हैं. उनका बेटा भोपाल में इंजीनियरिंग करता है जबकि उनकी बिटिया चौथी कक्षा में पढ़ रही है ऐसे में उनके सामने सबसे बड़ा सवाल यह कि अब बेटे की इंजीनियरिंग पूरी कैसे होगी और बिटिया की पढ़ाई का बोझ कौन उठेगा.

शशि भूषण के परिवार का कहना है कि उनके परिवार में शशि अकेला कमाने वाला था. शशि न केवल अपनी धर्मपत्नी और बच्चों का ख्याल रखता था बल्कि अपने माता-पिता का भी पूरा ध्यान वही रखता था.
पूरा परिवार अब यह मांग कर रहा है कि इस आतंकी हमले में जो भी लोग शहीद हुए हैं उनके परिवार की देखरेख सरकार की जिम्मेदारी है. रुचि अपने बच्चों के खातिर अपने लिए सरकारी नौकरी की मांग भी कर रही है. वहीं शौकाकुल परिवार कश्मीर में किये जा रहे शांति के दावों पर भी सवाल उठा रहा है. परिवार का दावा है कि कश्मीर में जो शांति और अमन की बातें की जा रही है वह सच्चाई से कोसों दूर है. 



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