नहीं रहे दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा, 86 साल की उम्र में ली आखिरी सांस
मुंबई :
सुप्रसिद्ध उद्योगपति रतन टाटा का निधन (Ratan Tata Passed Away) हो गया है. वे 86 साल के थे. देश के सबसे बड़े कारोबारी ट्रस्ट टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन टाटा मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. बढ़ती उम्र के कारण उन्हें कई तरह की परेशानियां थीं. काफी समय से उन्हें देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न देने की मांग की जा रही थी. रतन टाटा के लिए देशभर के लोगों में असीम सम्मान था. टाटा समूह ने रतन टाटा के निधन की पुष्टि की है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी रतन टाटा के निधन पर दुख जताया है. उन्होंने अपनी एक पोस्ट में रतन टाटा को दूरदर्शी बिजनेस लीडर, एक दयालु व्यक्ति और असाधारण इंसान बताया.
Shri Ratan Tata Ji was a visionary business leader, a compassionate soul and an extraordinary human being. He provided stable leadership to one of India’s oldest and most prestigious business houses. At the same time, his contribution went far beyond the boardroom. He endeared… pic.twitter.com/p5NPcpBbBD
— Narendra Modi (@narendramodi) October 9, 2024
टाटा समूह ने अपने बयान में कहा कि यह हमारे लिए बहुत बड़ी क्षति है. उन्होंने न सिर्फ टाटा समूह को बल्कि देश को भी आगे बढ़ाया है.
हर्ष गोयनका ने रतन टाटा के निधन की जानकारी देते हुए एक्स पर पोस्ट किया है, जिसमें उन्होंने कहा कि रतन टाटा ईमानदारी, नैतिक नेतृत्व और परोपकार की मिसाल थे. उन्होंने बिजनेस और उससे अलग भी दुनिया पर एक अमिट छाप छोड़ी है. वह हमारी स्मृतियों में सदैव ऊंचे रहेंगे.
The clock has stopped ticking. The Titan passes away. #RatanTata was a beacon of integrity, ethical leadership and philanthropy, who has imprinted an indelible mark on the world of business and beyond. He will forever soar high in our memories. R.I.P pic.twitter.com/foYsathgmt
— Harsh Goenka (@hvgoenka) October 9, 2024
कारोबारी जीवन में बुलंदियों को छुआ
रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा समूह ने बुलंदियों को छुआ. रतन टाटा 1991 में टाटा समूह के चेयरमैन बने थे और उसके बाद से ही उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. वह 2012 तक इस पद पर रहे. उन्होंने 1996 में टाटा सर्विसेज और 2004 में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज जैसी कंपनियों की स्थापना की थी.
विनम्र व्यवहार के लिए विख्यात रतन टाटा फिलहाल टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन हैं जिसमें सर रतन टाटा ट्रस्ट एवं एलाइड ट्रस्ट के साथ ही सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट एवं एलाइड ट्रस्ट भी शामिल हैं.
पद्म विभूषण और पद्म भूषण से सम्मानित
रतन टाटा का भारत के कारोबारी जगत में काफी अहम योगदान माना जाता है. वे भारत के दो सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण (2008) और पद्म भूषण (2000) से सम्मानित किए जा चुके हैं. वह प्रतिष्ठित कैथेड्रल और जॉन कानोन स्कूल, बिशप कॉटन स्कूल (शिमला), कॉर्नेल यूनिवर्सिटी और हार्वर्ड के पूर्व छात्र हैं.
सहृदय, सरल और नेक व्यक्ति के रूप में पहचान
रतन टाटा का जन्म 28 सितंबर 1937 को हुआ था. उन्हें एक अरबपति होने के साथ ही एक सहदृय, सरल और नेक व्यक्ति के रूप में देखा जाता है. उनसे जुड़े ऐसे कई किस्से हैं, जो बताते हैं कि उन्होंने बहुत से लोगों की मदद की. साथ ही देश की तरक्की में भी रतन टाटा के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा.