Pitru Paksha Amavasya 2024 After taking Triveni bath offering Pind Daan and Shraddha rituals ann
Pitru Paksha Amavasya: पितरों की आत्मा की शांति और मुक्ति के लिए एक पखवाड़े तक आयोजित होने वाले पितृ पक्ष का आज समापन हो गया. पितृपक्ष के अंतिम दिन संगम नगरी प्रयागराज में त्रिवेणी स्नान कर पिंडदान तर्पण और श्राद्ध कर्म करने वाले श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी. सूर्य ग्रहण की वजह से ज्यादातर श्रद्धालुओं ने दोपहर बाद ही स्नान व दर्शन पूजन किया. देश के कोने-कोने से आने वाले श्रद्धालुओं ने इस मौके पर पूर्वजों की आत्मा की शान्ति के लिए प्रार्थना की. पितृ पक्ष के समापन के बाद कल से नवरात्रि की शुरुआत हो जाएगी. इसके साथ ही पिछले एक पखवाड़े से बंद पड़े मांगलिक कार्य भी शुरू हो जाएंगे.
सनातन धर्म में पितृ पक्ष में पिंडदान का विशेष महत्व है. ऐसी मान्यता है कि पितृ पक्ष में पितरों के निमित्त किया गया पिंडदान उन्हें मोक्ष दिलाता है. इससे पितरों को जीवन मरण के बंधन से मुक्ति मिल जाती हैं. धर्म ग्रंथो के मुताबिक पिंडदान की प्रक्रिया मुख्य रूप से प्रयाग – काशी और गया में ही होती है, लेकिन पितरों के श्राद्ध कर्म की शुरुआत प्रयाग के संगम तट पर मुण्डन संस्कार से ही होती है.
पितृपक्ष पक्ष में पिंडदान से पितृ ऋण से मिलती है मुक्ति
श्रद्धालु यहां मुंडन कराकर सत्रह पिंड तैयार करते हैं और विधि विधान से पूजा अर्चना के बाद उसे संगम में विसर्जित करते हैं. ऐसी भी मान्यता है कि पितृ पक्ष में संगम में पिंडदान करने से पितृ ऋण से भी मुक्ति मिलती है. तीर्थ पुरोहितों के मुताबिक पितृ अमावस्या के मौके पर संगम में केश दान कर पिंडदान करने से गया में पिण्डदान के बराबर ही पुण्य लाभ की प्राप्ति होती है. ज्यादातर श्रद्धालु अपने पितरों की तिथि के मुताबिक पिंडदान व तर्पण करते हैं.
हालांकि मान्यता यह है कि अगर कोई व्यक्ति तिथि पर इसे नहीं कर पाता है तो वह अमावस्या यानी अंतिम दिन इन रस्मों को निभा सकता है. पितृ अमावस्या के दिन पितरों को याद कर दान करने और गरीबों को भोजन कराने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है. ऐसी मान्यता है कि पितृ अमावस्या के दिन दान करना ज्यादा फलदायी होता है और इस दिन दान करने से राहु के दोष से भी मुक्ति मिलती है.
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