Chief Justice of India DY Chandrachud says Women with disabilities seen as easy targets
Chief Justice D.Y. Chandrachud: भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने शनिवार (28 सितंबर, 2024) को दिव्यांग महिलाओं, विशेष रूप से समाज के हाशिए पर रहने वाले बच्चों के साथ होनी वाली यौन हिंसा पर प्रकाश डाला.
नई दिल्ली में नेशनल एनुअल स्टेकहोल्डर कंसल्टेशन ऑन चाइल्ड प्रोटेक्शन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने इस मुद्दे पर बात की. इस दौरान ‘दिव्यांग’ बच्चों के लिए सुरक्षा सेवाएं’ के विषय पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें यौन हिंसा के लिए आसान लक्ष्य माना जाता है.
मुख्य न्यायाधीश ने कही ये बात
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि यौन हिंसा का सामना करने वाली दिव्यांग लड़कियों को दोहरी मार से गुजरना पड़ता है. इसका मतलब ये हैं कि दिव्यांग महिलाओं को अक्सर यौन हिंसा के लिए ‘आसान लक्ष्य’ माना जाता है. इसके अलावा वो अपने ऊपर अपराध को लेकर बात नहीं कर पाती हैं.
‘सामूहिक कोशिश की है जरूरत’
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि विकलांगता अक्सर लिंग, जाति, सामाजिक-आर्थिक स्थिति और जातीयता जैसी अन्य हाशिए की पहचानों के साथ जुड़ जाती है, जिससे बच्चों के साथ होने वाले भेदभाव को बढ़ावा मिलता है. उन्होंने कहा कि विकलांग व्यक्तियों की जरूरतों को अभी भी कई मामलों में सामूहिक, सामाजिक जिम्मेदारी के बजाय एक निजी, घरेलू मुद्दे के रूप में देखा जाता है. सामाजिक संस्थाएं अक्सर वह सहायता प्रदान करने में विफल रहती हैं जिसकी वास्तव में आवश्यकता होती है.
‘नियमों का प्रभाव सीमित है’
उन्होंने आगे कहा कि विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 और किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम जैसे कानूनों ने विकलांग बच्चों की कमज़ोरी को स्वीकार किया है, लेकिन ज़मीनी स्तर पर उनका प्रभाव सीमित है. मुख्य न्यायाधीश ने बताया, “यह ढांचा काफ़ी हद तक प्रतिक्रियात्मक बना हुआ है, जिसमें सक्रिय रोकथाम, सहायता और पुनर्वास के बजाय अपराध के बाद दंड पर ज़्यादा ज़ोर दिया जाता है.”