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UN में PM मोदी ने इशारों में ठोका सुरक्षा परिषद के लिए दावा तो बहाने से चीन को भी सुनाया


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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साथ ही संयुक्त राष्ट्र के मंच से दक्षिण चीन सागर में जबरदस्ती खौफ पैदा करने वाली गतिविधियों को लेकर चीन को भी सख्त संदेश दिया. उन्होंने कहा कि वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए एक तरफ आतंकवाद जैसा बड़ा खतरा है, तो वहीं दूसरी तरफ साइबर, मैरीटाइम और स्पेस जैसे अनेक संघर्ष के नए-नए मैदान भी बन रहे हैं.

इससे पहले क्वाड समिट में भी नेताओं ने चीन का सीधे नाम लिए बिना, दक्षिण चीन सागर और उसके आसपास के जलक्षेत्र की स्थिति पर गंभीर चिंता जताई थी. साथ ही उस क्षेत्र में तटरक्षक और समुद्री मिलिशिया जहाजों के खतरनाक उपयोग की निंदा की. क्वाड में शामिल भारत ने भी हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामकता पर चिंता जताते हुए एकतरफा कार्रवाई का कड़ा विरोध किया, जो बलपूर्वक यथास्थिति को बदलने की कोशिश करती है.

क्वाड नेताओं ने एक संयुक्त बयान में कहा था, “हम एक ऐसा क्षेत्र चाहते हैं, जहां कोई देश हावी न हो और किसी देश का वर्चस्व न हो, जहां सभी देश किसी भी तरह की बलपूर्वक कार्रवाई से मुक्त हों, और अपने भविष्य को निर्धारित करने के लिए अपनी एजेंसी का प्रयोग कर सकें.” पीएम मोदी ने कहा, “स्वतंत्र, खुला, समावेशी और समृद्ध हिंद-प्रशांत हमारी प्राथमिकता है.”

79वें संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र को संबोधित करते हुए पीएम ने कई अन्य मुद्दों का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि भारत के लिए ‘वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर’ एक कमिटमेंट है. हमें ऐसी ग्लोबल डिजिटल गवर्नेंस चाहिए, जिससे राष्ट्रीय संप्रभुता और अखंडता अक्षुण्ण रहे.

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उन्होंने अपने संबोधन में आगे कहा, “सतत विकास को प्राथमिकता दी गई. हमें मानव कल्याण, भोजन, स्वास्थ्य, आहार सुनिश्चित करना होगा. भारत में 250 मिलियन लोग गरीबी से बाहर आए हैं, इससे पता चलता है कि सतत विकास सफल हो सकता है.”

पीएम ने कहा कि जून में मानव इतिहास के सबसे बड़े चुनाव में भारत के लोगों ने मुझे लगातार तीसरी बार सेवा का अवसर दिया है और आज मैं यहां मानवता के छठे हिस्से की आवाज आप तक पहुंचाने आया हूं. जब हम ग्लोबल फ्यूचर के बारे में बात कर रहे हैं तो मानव-केंद्रित दृष्टिकोण सर्वप्रथम होनी चाहिए.
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प्रधानमंत्री ने कहा, “मानवता की सफलता हमारी सामूहिक शक्ति में निहित है ना कि युद्ध के मैदान में. वैश्विक शांति एवं विकास के लिए वैश्विक संस्थाओं में सुधार महत्वपूर्ण हैं. सुधार प्रासंगिकता की कुंजी है. डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर लोगों के लिए एक पुल होना चाहिए न कि किसी के लिए बाधा बनना चाहिए और भारत यह विश्व के साथ साझा करने के लिए तैयार है.”




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