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Supreme Court to give verdict on watching child obscene videos is crime or nor under POCSO IT act


Supreme Court Verdict On Watching Child Obscence: सुप्रीम कोर्ट सोमवार, 23 सितंबर को एक याचिका पर फैसला सुनाएगा, जिसमें मद्रास हाईकोर्ट के एक आदेश को चुनौती दी गई है. मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा के फैसला सुनाने की संभावना है.

मद्रास हाईकोर्ट ने फैसले में कहा है कि केवल बच्चों के अश्लील वीडियो को डाउनलोड करना और उसे देखना यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम और सूचना प्रौद्योगिकी कानून के तहत आने वाला अपराध नहीं है.

मद्रास हाईकोर्ट का फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करने पर सहमति जताई थी, जिसमें कहा गया था कि बच्चों के अश्लील वीडियो को डाउनलोड करना और देखना यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो)अधिनियम और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत अपराध नहीं है. मद्रास हाईकोर्ट ने 11 जनवरी को अपने मोबाइल फोन पर बच्चों से जुड़ी अश्लील सामग्री डाउनलोड करने के आरोप में 28 साल के एक शख्स के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया.

‘पर्याप्त परिपक्व हो समाज’

हाईकोर्ट ने यह भी कहा था कि इन दिनों बच्चे अश्लील वीडियो देखने के गंभीर मुद्दे से जूझ रहे हैं और उन्हें दंडित करने के बजाय, समाज को उन्हें शिक्षित करने के लिए ‘पर्याप्त परिपक्व’ होना चाहिए. हाई कोर्ट ने इस मामले में दो याचिकाकर्ता संगठनों का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता एचएस फुल्का की दलीलों पर ध्यान दिया था कि उच्च न्यायालय का फैसला इस संबंध में कानूनों के विपरीत था.

वरिष्ठ अधिवक्ता फरीदाबाद स्थित गैर सरकारी संगठन ‘जस्ट राइट फॉर चिल्ड्रेन अलायंस’ और नयी दिल्ली स्थित ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ की ओर से पेश हुए. ये दोनों संगठन बच्चों के कल्याण के लिए काम करते हैं. इसके पहले हाई कोर्ट ने एस हरीश के खिलाफ पॉक्सो कानून-2012 और सूचना प्रौद्योगिकी कानून के तहत दर्ज आपराधिक मामले को रद्द कर दिया था.

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