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Row On Tirupati sweet prasadam Across country know how animal fat used in Tirumala Laddu controversy started


Politics On Tirupati Temple: तिरुमाला वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में मिलावटी प्रसाद मामला हर गुजरते दिन के साथ तूल पकड़ रहा है. सालाना करीब 500 करोड़ रुपये का राजस्व देने वाले तिरुपति प्रसाद पर देशभर में विवाद जारी है. इस मुद्दे पर तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम भी विवादों में उलझा है और उसकी तरफ से लगातार सफाई भी दी जा रही है.

विवाद की वजह है तिरुमाला वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में प्रसाद के तौर पर मिलने वाले लड्डुओं में जानवरों की चर्बी होने का आरोप. आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने पिछली जगन मोहन रेड्डी सरकार पर आरोप लगाए हैं. केंद्र सरकार ने भी इस मामले में जांच की मांग कर दी है. 

क्या है प्रसाद का इतिहास?

तिरुमाला वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में लड्डुओं का प्रसाद अपने अनोखे स्वाद के लिए भी काफी प्रसिद्ध है. रसोई में प्रतिदिन तैयार किए जाने वाले इन लड्डुओं को पोटू के नाम से भी जाना जाता है. इन लड्डुओं को बनाने की प्रक्रिया को दित्तम कहा जाता है. लड्डुओं के लंबे इतिहास में इसकी रेसिपी में सिर्फ छह बार ही बदलाव हुआ है. पहले इन लड्डुओं को बेसन और गुड़ की चाशनी से तैयार किया जाता था. बाद में स्वाद बढ़ाने के लिए इसमें बादाम, काजू और किशमिश को भी मिलाया जाने लगा. 

कितने लड्डू की होती है बिक्री

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रतिदिन करीब तीन लाख लड्डू बनाए जाते हैं. इन लड्डुओं का इतिहास 300 सालों से अधिक का है. 1715 में लड्डुओं की परंपरा शुरू हुई थी. 2014 में इन लड्डुओं को GI (Geographical Indication) टैग मिला.

गुणवत्ता की होती है जांच

प्रसाद के लिए तैयार किए जाने वाले लड्डुओं की जांच फूड टेस्टिंग लेबोरेटरी में की जाती है. लड्डू में काजू, चीनी, इलायची समेत अन्य सामग्रियों की सही मात्रा का भी टेस्ट किया जाता है. हर लड्डू का वजन 175 ग्राम होता है. 

किसे किया ब्लैकलिस्ट?

लेबोरेटरी के जुलाई में हुए टेस्ट में एआर डेयरी फूड्स से प्राप्त घी में विदेशी वसा की मौजूदगी का खुलासा हुआ जिसके बाद एआर डेयरी फूड्स के ठेकेदार को तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम ने ब्लैकलिस्ट कर दिया. इसके बाद कर्नाटक मिल्क फेडरेशन से घी खरीदने की शुरुआत हुई. पहले तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम एआर डेयरी से 320 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से घी खरीद रहा था बाद में कर्नाटक मिल्क फेडरेशन से 475 रुपये प्रति किलोग्राम की दर पर घी खरीदा जाने लगा. 

किस आरोप से मचा बवाल?

टीडीपी ने आरोप लगाया है कि लेबोरेटरी की रिपोर्ट में जगन मोहन रेड्डी सरकार के समय प्रयोग में लाए जाने वाले घी में विदेशी वसा की मौजूदगी का पता चला है. रिपोर्ट में वनस्पति वसा के साथ ही घी में लार्ड (सूअर की चर्बी), टैलो (बीफ की चर्बी) और मछली के तेल जैसी वसा की भी पहचान हुई. अहम ये है कि लड्डू के स्वाद में लगातार शिकायतें मिल रही थीं और उसी के बाद ये टेस्ट कराया गया था. जून, में इस संबंध में सभी शिकायतों को दूर करने के लिए लैब में लड्डुओं का टेस्ट कराया गया था. 

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