अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे से कितना बदलेगा चुनावी गणित, CM पद की रेस में कौन-कौन आगे?
नई दिल्ली:
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को आम आदमी पार्टी मुख्यालय में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए दो दिन बाद सीएम पद से इस्तीफा देने का ऐलान किया. इसके बाद सियासत गरमा गई. CM केजरीवाल ने कहा, ‘दो दिनों के बाद वे मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे. विधायकों की बैठक में नया मुख्यमंत्री चुना जाएगा.’
अब केजरीवाल का इस्तीफा कई सवालों की ओर इशारा कर रहा है. दरअसल, दिल्ली में आने वाले दिनों में विधानसभा चुनाव होने हैं. राजनीतिक पंडित के इस इस्तीफे को चुनाव से जोड़कर देख रहे हैं. ऐसा कहा जा रहा है कि इस्तीफे से छवि को मजबूत बनाने की रणनीति है और शराब घोटाले का दाग धोने की कोशिश. माना जा रहा है कि सहानुभूति हासिल कर पार्टी कैडर में जोश भरने के लिए केजरीवाल ये दाव चल दिया है.
पहले भी इस्तीफा दे चुके हैं केजरीवाल
इससे पहले 2013 में 49 दिन सीएम रहने के बाद केजरीवाल ने इस्तीफा दे दिया था और 2015 विधानसभा इसका फायदा भी उनको हुआ. 2015 में दिल्ली में हुए विधानसभा चुनाव में ‘आप’ को 70 में से 67 सीटों पर जीत मिली. इसके बाद 2020 के विधानसभा चुनाव में 70 में से 62 सीटें आम आदमी पार्टी को मिली.
केजरीवाल ने कहा कि बीजेपी ने मुझ पर बेईमानी, भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं. अब जनता की अदालत में मेरी ईमानदारी का फैसला होग. दो-तीन दिन में विधायकों की बैठक में नया मुख्यमंत्री चुना जाएगा. चुनाव तक मैं मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठूंगा. मनीष सिसोदिया भी कोई पद नहीं लेंगे. ऐसे में अब सवाल है कि दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा.
केजरीवाल के बाद कौन?
सियासी गलियारों में यह चर्चा आम है कि आतिशी मुख्यमंत्री बन सकती हैं. अरविंद केजरीवाल-मनीष आतिशी पर काफी भरोसा करते हैं. आतिशी AAP का शिक्षित और युवा चेहरा तेजतर्रार छवि की है और महिला मतदाताओं को चुनाव में प्रभावित कर सकती है. अफसरों से काम करवाने में दक्ष आतिशी वित्त, शिक्षा, PWD, पानी-बिजली जैसे अहम विभाग मनीष सिसोदिया के जेल जाने के बाद संभाल ही रही थी.
सौरभ भारद्वाज का नाम भी दिल्ली के मुख्यमंत्री पद के लिए रेस में माना जा रहा है. सौरभ AAP का शिक्षित और युवा चेहरा है. विनम्र, सौम्य और व्यवहार कुशल माने जाते हैं. जरूरत पड़ने पर विपक्ष पर हमलावर भी होते हैं. आम जनता के बीच लोकप्रिय हौ और पार्टी के प्रमुख प्रवक्ताओं में रहे है. स्वास्थ्य और शहरी विकास जैसे अहम विभाग सत्येंद्र जैन के जेल जाने के बाद से संभाल रहे हैं.
तिहाड़ जेल से जमानत पर छूटने के बाद केजरीवाल ने रविवार को AAP कार्यकर्ताओं को अपने पहले ही संबोधन में इस्तीफ़े की बात कर सबको चौंका दिया. अरविंद केजरीवाल ने कहा कि कानून की अदालत से उनको इंसाफ मिला है. लेकिन अब जनता की अदालत से इंसाफ मिलने के बाद ही वो फिर से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठेंगे. केजरीवाल ने ये भी बताया कि उन्होंने अब तक इस्तीफा क्यों नहीं दिया था.
अरविंद केजरीवाल ने कहा, ‘मैंने पहले इस्तीफा इसलिए नहीं दिया, क्योंकि मैं जनतंत्र को बचाना चाहता था. क्योंकि इन लोगों का यह तरीका बन गया है कि विपक्ष की सरकारों पर आरोप लगाओ गिरफ्तार करो और उनकी सरकार गिरा दो.
अरविंद केजरीवाल ने यह भी साफ कर दिया कि मनीष सिसोदिया भी मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे. आम आदमी पार्टी कार्यकर्ता केजरीवाल के इस फैसले के समर्थन में हैं. उधर, कांग्रेस ने केजरीवाल के इस्तीफ़े को नाटक बताया तो बीजेपी ने पूछा कि इस्तीफ़ा देने में केजरीवाल 48 घंटे का समय आख़िर क्यों ले रहे हैं.
बीजेपी के प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि केजरीवाल जब जेल में थे, तब उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया. लेकिन आज घोषणा कर रहे हैं कि 48 घंटे में इस्तीफा देंगे. लोग जाना चाहते हैं 48 घंटे के पीछे क्या रहस्य है? जब आपको मुख्यमंत्री वाला काम करना ही नहीं है तो आपको 48 घंटे भी क्यों चाहिए.
कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने कहा कि हमें फर्क नहीं पड़ता वो इस्तीफ़ा देते हैं या नहीं उनका इस्तीफ़ा महज़ नाटक है. अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे के ऐलान पर समाजसेवी अन्ना हजारे ने कहा कि उन्होंने पहले ही केजरीवाल से कहा था कि राजनीति में मत जाओ. समाज की सेवा करो. बहुत बड़े आदमी बनोगे. अब उनके दिल में क्या है मुझे नहीं पता है.
अब मंगलवार को पहले अरविंद केजरीवाल इस्तीफा देंगे. उसके बाद आम आदमी पार्टी विधायक दल की बैठक में नेता चुना जाएगा, जो दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री होगा. सबकी निगाह अब इस पर है कि मुख्यमंत्री पद की ज़िम्मेदारी कौन संभाल सकता है. दिल्ली के मंत्रियों आतिशी और सौरभ भारद्वाज के नाम की चर्चा मुख्यमंत्री पद के लिए चल रही है.