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Jammu kashmir elections engineer rashid says his party will not support bjp


Jammu Kashmir News: एनआईए की विशेष अदालत ने बारामूला (Baramulla) के सांसद शेख रशीद उर्फ ​​इंजीनियर रशीद (Engineer Rashid) को आतंकी फंडिंग मामले में अंतरिम जमानत दे दी. आज (11 सितंबर) तिहाड़ से रिहा होने के बाद इंजीनियर रशीद ने मीडिया से बात की और बताया कि वह बीजेपी को कभी सपोर्ट नहीं करेंगे. रशीद ने महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला के आरोपों का भी जवाब दिया जिन्होंने ने उन्हें बीजेपी का प्रॉक्सी बताया है. 

इंजीनियर रशीद ने कहा, ”लोकसभा चुनाव में जो मुझे वोट मिले हैं वह मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ जनता का रेफ्रंडम था. विशेषकर आर्टिकल 370 को हटाए जाने के खिलाफ वोट था. मैं मोदी जी के नया कश्मीर के नैरेटिव के खिलाफ लड़ूंगा जो कि बुरी तरह से फेल हो गया है. लोगों ने उनके नैरेटिव को रिजेक्ट किया है. हम मोदीजी से कहते हैं कि डराओ मत, हम डरने वाले नहीं हैं.”

बारामूला सांसद ने उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के आरोपों पर कहा, ”मेरी लड़ाई उमर अब्दुल्ला से बड़ी है. वह अपने पिता की कुर्सी के लिए लड़ रहे हैं और मैं जनता के लड़ रहा हूं. साढ़े पांच साल जेल में मर रहा था और एक बंदा लंदन और गुलमर्ग की गलियों में बिल्लियों की तरह छुपकर बैठा था. वे आज वोट के लिए बाहर आए हैं. जनता ने उन्हें 4 जून को जवाब दिया था जब वह 2 लाख से ज्यादा वोटों से हार गए और महबूबा मुफ्ती भी हार गईं. मैं एजेंट अपने लोगों का हूं.”

मैं तो बीजेपी का विक्टिम हूं- रशीद
बीजेपी को सपोर्ट करने के सवाल पर इंजीनियर रशीद ने कहा, ”मैं विक्टिम हूं बीजेपी का. कैसे कह रहे हैं कि सपोर्ट करूंगा. मैं मोदी जी की पॉलिसी के खिलाफ आखिरी सांस तक लड़ूंगा. उनका नया कश्मीर कहीं पर नहीं है. कश्मीर में मोदी जी के खिलाफ वोट पड़े हैं. पहले लोग शांति से बात करते थे, फिर सोशल मीडिया पर पाबंदी लगा दी गई. फिर उनको लगा कि वोट डालकर जवाब देना है. यह प्यार में नहीं डाला, बल्कि बताने के लिए डाला कि वे क्या चाहते हैं. मेरा यही पैगाम है कि आपको जोड़ने आया हूं तोड़ने नहीं आया हूं. कुर्बानी देने के लिए तैयार हूं.”

उमर अब्दुल्ला की कौन सी बात सच्ची है – इंजीनियर रशीद
उमर अब्दुल्ला पर तंज कसते हुए इंजीनियर रशीद ने कहा, ”मेरे लोगों ने नामांकन पेपर फाइल किया कि तो उमर अब्दुल्ला ने कहा कि काश मुझे पहले पता होता तो नहीं लड़ता. जब जीता तो कहते हैं कि यह तो कट्टरपंथ की जीत है. लेकिन हम कट्टरपंथी नहीं है. अब वह कहते हैं कि  हम बीजेपी के एजेंट हैं तो उनकी कौन सी बात सच्ची है.”

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