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Congress Leader Jairam Ramesh Question PM Narendra Modi Govt RSS Over Caste Census


Congress on Caste Census: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने कहा है कि जातिगत जनगणना होनी चाहिए, लेकिन इसे सिर्फ राजनीतिक फायदे के लिए नहीं करवाया जाना चाहिए. आरएसएस की टिप्पणी के एक दिन बाद कांग्रेस ने मंगलवार (3 सितंबर) को पूछा कि अब संघ की तरफ हरी झंडी मिल गई है तो क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कांग्रेस की एक और गारंटी को हाइजैक करके जाति जनगणना करवाएंगे? कांग्रेस ने कुल मिलाकर पांच सवाल किए हैं, जिसमें संघ और सरकार दोनों को घेरा गया है. 

आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने केरल के पलकक्ड में एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि संघ को जातिगत जनगणना से कोई आपत्ति नहीं है. मगर आंकड़ें का इस्तेमाल लोगों के कल्याण के लिए होना चाहिए, ना कि चुनावी फायदे के लिए राजनीतिक औजार के तौर पर इसका इस्तेमाल किया जाए. संघ नेता के इस बयान पर कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने एक पोस्ट के जरिए सवाल किया क्या आरएसएस के पास जातिगत जनगणना पर निषेधाधिकार है?

कांग्रेस ने पूछे सरकार से पांच सवाल

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक पोस्ट के जरिए मोदी सरकार से पांच सवाल पूछे हैं. इन सवालों के जरिए संघ को भी निशाने पर लिया गया है. जयराम ने पूछा, “जाति जनगणना को लेकर आरएसएस की उपदेशात्मक बातों से कुछ बुनियादी सवाल उठते हैं. क्या आरएसएस के पास जाति जनगणना पर निषेधाधिकार है? जाति जनगणना के लिए इजाजत देने वाला आरएसएस कौन है? आरएसएस का क्या मतलब है जब वह कहता है कि चुनाव प्रचार के लिए जाति जनगणना का दुरुपयोग नहीं किया जाना चाहिए? क्या यह जज या अंपायर बनना है?”

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उन्होंने आगे पोस्ट में कहा, “आरएसएस ने दलितों, आदिवासियों और ओबीसी के लिए आरक्षण पर 50% की सीमा को हटाने के लिए संवैधानिक संशोधन की आवश्यकता पर रहस्यमई चुप्पी क्यों साध रखी है? अब जब आरएसएस ने हरी झंडी दिखा दी है तब क्या नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री कांग्रेस की एक और गारंटी को हाईजैक करेंगे और जाति जनगणना कराएंगे?”

मल्लिकार्जुन खरगे ने भी पूछा था आरएसएस से सवाल

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सोमवार रात कहा था कि आरएसएस को देश को स्पष्ट रूप से बताना चाहिए कि वह जाति जनगणना के पक्ष में हैं या इसके खिलाफ . खरगे ने कहा, “देश के संविधान के बजाय मनुस्मृति के पक्ष में होने वाले संघ परिवार को क्या दलित, आदिवासी, पिछड़े वर्ग एवं गरीब-वंचित समाज की भागीदारी की चिंता है या नहीं?”

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