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साउथ ईस्ट एशिया में पैदल यात्री और दो पहिया वाहन वाले ज्यादा हो रहे हादसों का शिकार, रोड सेफ्टी पर WHO की रिपोर्ट



नई दिल्ली:

भारत रोड ट्रैफिक से होने वाले हादसों की रोकथाम और सुरक्षा को बढ़ावा देने को लेकर 2 से 4 सितंबर के बीच 15वें वर्ल्ड समिट ‘सेफ्टी 2024′ की मेजबानी कर रहा है. नई दिल्ली में आयोजित इस समिट में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने सोमवार को WHO साउथ ईस्ट एशिया रीजन के देशों से रोड ट्रैफिक और रोड एक्सीडेंट से होने वाली मौतों को कम करने के उपायों में तेजी लाने की अपील की. 15-29 आयु वर्ग के युवाओं में मौत की दर का एक मुख्य कारण रोड ट्रैफिक या रोड एक्सीडेंट को माना जाता है. 

इस सम्मेलन का आयोजन भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT)-दिल्ली और जॉर्ज इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) और राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य व तंत्रिका विज्ञान संस्थान (NIMHANS) के संयुक्त सहयोग से किया जा रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO इस सम्मेलन का को-स्पॉन्सर है. ‘सेफ्टी 2024’समिट का मकसद रोड सेफ्टी, रोड एक्सीडेंट जैसे क्षेत्रों में ग्लोबल कोशिशों पर फोकस करना है.

66% है कमजोर रोड यूजर्स की संख्या
समिट में WHO साउथ-ईस्ट एशिया की रिजनल डायरेक्टर साइमा वाजेद ने कहा, “हमारे क्षेत्र में सड़क यातायात से होने वाली मौतों में पैदल चलने वालों, साइकिल चलाने वालों और टू-व्हीलर या थ्री-व्हीलर समेत कमजोर रोड यूजर्स की संख्या 66% है.” 

साइमा वाजेद ने इस बात पर जोर दिया कि सड़कों और उनके नेटवर्क को सबसे ज्यादा जोखिम वाले लोगों, बच्चों, किशोरों, शारीरिक रूप से अक्षम लोगों, पैदल यात्रियों और अन्य कमजोर समूहों को प्राथमिकता देते हुए डिजाइन करने की जरूरत है.

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WHO के साउथ ईस्ट एशिया रीजन में सड़क हादसों से हुई 330223 मौतें
वहीं, WHO के डिपार्टमेंट फॉर सोशल डिटरमिनेंट्स ऑफ हेल्थ के डायरेक्टर डॉ. एटिनी कुर्ग ने कहा कि 2021 में दुनिया में अनुमानित 1.19 मिलियन सड़क हादसे हुए. इनमें से 330223 मौतें WHO के साउथ ईस्ट एशिया रीजन में हुई, जो दुनिया में सड़क हादसों से हुई मौतों को 28% है.

2030 तक ग्लोबल आबादी का 70% तक होने का अनुमान
डॉ. एटिनी कुर्ग ने बताया कि 2030 तक ग्लोबल आबादी का 70% शहरी क्षेत्रों में रहने का अनुमान है. इससे पब्लिक ट्रांसपोर्ट की मांग बढ़ेगी. WHO साउथ-ईस्ट एशिया रीजन को तेजी से हो रहे शहरीकरण के बीच साझा चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. इसमें टू-व्हीलर और थ्री-व्हीलर गाड़ियों की ज्यादा संख्या, ट्रैफिक इंजरी डेटा में खामी, खराब पैदल यात्री और साइकिल चालक इंफ्रास्ट्रक्चर और लिमिटेड इमरजेंसी सर्विसेज जैसी चुनौतियां शामिल हैं.

ट्रॉमा और इमरजेंसी केयर सिस्टम को मजबूत करना जरूरी
वर्ल्ड बैंक के प्रोग्राम लीडर पॉल पोर्सी ने कहा, “हाई इनकम वाले देशों में रोड सेफ्टी अक्सर कार सवारों पर फोकस करती है, लेकिन निम्न और मध्यम आय वाले देशों में खराब तरीके से पैदल चलने वाले लोग, बेतरतीब चलते टू-व्हीलर और थ्री-व्हीलर ज्यादा परेशानी का सबब बनते हैं. हमें यहां ज्यादा काम करने की जरूरत है.” पॉल पोर्सी ने अपने बयान में कहा है कि ट्रॉमा और इमरजेंसी केयर सिस्टम को मजबूत करना, सड़क सुरक्षा डेटा को बढ़ाना, मजबूत नेतृत्व और सभी हितधारकों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना सड़क सुरक्षा में सुधार के लिए जरूरी है. 

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मोबिलिटी पर दोबारा सोचने की जरूरत
WHO की रिजनल डायरेक्टर साइमा वाजेद ने कहा, “मैं सहयोग और साझेदारी में बहुत विश्वास रखती हूं. मैं इन्हें गैर-पारंपरिक हितधारकों तक विस्तारित करना चाहती हूं.” साइमा वाजेद ने यह भी कहा, “स्वस्थ शहरों के लिए मोबिलिटी (गतिशीलता) पर दोबारा सोचने और उसे फिर से तैयार करने का यह हमारा समय हो सकता है. एक समग्र दृष्टिकोण के लिए एक क्रॉस-कटिंग, बहु-आयामी नजरिये की जरूरत है. इस काम में स्थानीय सरकारों, सिटी प्लानर्स, ट्रैफिक पुलिस, कानून के जानकारों और दूसरे एक्सपर्ट्स के मदद और सहयोग की जरूरत पड़ेगी.”

सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए रोड सेफ्टी बहुत अहम
साइमा कहती हैं, “एक सार्वजनिक स्वास्थ्य और विकास प्राथमिकता और संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (SGD) को हासिल करने के लिए सड़क सुरक्षा यानी रोड सेफ्टी बहुत अहम है. संयुक्त राष्ट्र महासभा (UN जनरल असेंबली) ने सितंबर 2020 में सड़क सुरक्षा के लिए डिकेड ऑफ एक्शन 2021-2030 की शुरुआत की थी. इसका मकसद साल 2030 तक रोड ट्रैफिक से होने वाली मौतों और घायलों की संख्या को 50% तक कम करना है.

हालांकि, WHO के साउथ-ईस्ट एशिया रीजन में 2021 में सड़क पर होने वाली मौतों में 2% की कमी देखी गई. इससे ग्लोबल लेवल पर सड़क हादसों से होने वाली मौतों में 5% की कमी आई. ऐसे में हमें इसपर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है.

रोड सेफ्टी पर स्टेटस रिपोर्ट जारी
वर्ल्ड कॉन्फ्रेंस में WHO की रिजनल डायरेक्टर साइमा वाजेद ने रोड सेफ्टी पर WHO साउथ-ईस्ट एशिया रिजनल की स्टेटस रिपोर्ट Road Safety: ‘Towards Safer and Sustainable Mobility.’लॉन्च की. यह रिपोर्ट हमारे देश में रोड ट्रैफिक एक्सीडेंट और इंजरी पैटर्न को रेखांकित करती है. इसके साथ ही ये रिपोर्ट हमारे मौजूदा परिस्थितियों, सड़क हादसों के कारणों को समझाती है और जरूरी गाइलाइन भी देती है, ताकि ग्लोबल टारगेट को हासिल किया जा सके.

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कमजोर तबकों पर ध्यान देने की जरूरत
रोड सेफ्टी 2024 समिट में द जॉर्ज इंस्टिट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ की इंजरी डिवीजन की हेड डॉ. जगनूर जगनूर ने कहा, ” असमानता को कम करने के लिए हमें कमजोर समुदायों या तबकों पर ध्यान देने की जरूरत है, क्योंकि हम असली समस्याओं का असली समाधान देने में काफी पीछे हैं. वास्तव में एक अच्छी पॉलिसी से रिस्क को कम करने में मदद मिल सकती है, जो बदलाव के लिए सबसे जरूरी है.”

निम्न आय वाले देशों में रिस्क ज्यादा
जॉर्ज इंस्टिट्यूट इंडिया के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर प्रोफेसर विवेकानंद झा कहते हैं, “निम्न आय वाले देशों में सड़कों पर घायल होने का रिस्क सबसे ज्यादा होता है. हमें इस रिस्क को कम करने की जरूरत है, इसके लिए एक असरदार प्लान और पॉलिसी पर काम करना होगा. सोशल, इन्विरॉनमेंटल और कमर्शियल टारगेट पर आधारित पॉलिसी से इस रिस्क को कम किया जा सकता है.”

प्रोफेसर विवेकानंद झा ने कहा, “द जॉर्ज इंस्टिट्यूट इंडिया नई दिल्ली में सेफ्टी 2024 समिट की मेजबानी करने और रोड ट्रैफिक से मौत और घायलों की रोकथाम के बारे में जागरूकता बढ़ाने, कारणों की पहचान करने के लिए एक प्लेटफॉर्म का नेतृत्व करने के लिए WHO और ग्लोबल एक्सपर्ट के साथ काम करने के लिए उत्सुक है. दुनिया भर में सड़क हादसों में हुए घायलों की संख्या के बोझ को कम करने, जिंदगी बचाने और हेल्थ कम्युनिटी के निर्माण में मदद करने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं.”

 




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