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समझिए BJP का मिशन कश्मीर! घाटी की 8 सिर्फ सीटें, मुस्लिम कैंडिडेट पर ‘भरोसा’ और लोकल पार्टियों से ‘दोस्ती’




नई दिल्ली/श्रीनगर:

जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir Assembly Elections 2024) में 10 साल बाद विधानसभा के चुनाव होने जा रहे हैं. आर्टिकल 370 (Article 370) हटाए जाने के बाद वहां पहली बार विधानसभा के चुनाव होंगे. 90 विधानसभा सीटों के लिए वोटिंग 3 फेज में 18 सितंबर, 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को होगी. 4 अक्टूबर को नतीजे आएंगे. BJP ने कश्मीर घाटी को लेकर इस बार अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव लाते हुए मुसलमानों पर भरोसा जताया है. साथ ही वो सिर्फ 8 सीटों पर ही अपनी ताकत लगा रही है, जबकि बाकी जगह वो निर्दलीय उम्मीदवारों को समर्थन दे सकती है. माना जा रहा है कि BJP ने नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस गठबंधन के साथ ही PDP को चुनौती देने के लिए अपनी रणनीति बदली है. आइए जानते हैं क्या है BJP का मिशन कश्मीर? क्या ये बदली हुई रणनीति BJP को घाटी में जीत दिलाने में मददगार साबित होगी?

पहले फेज में किन-किन सीटों पर होगी वोटिंग?
जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के पहले फेज में 24 सीट पर 18 सितंबर को वोटिंग होनी है. पहले फेज में जम्मू-कश्मीर के पंपोर, त्राल, पुलवामा, अनंतनाग पश्चिम, अनंतनाग, कोकरनाग (ST), राजपोरा, जैनापोरा, शोपियां, डीएच पोरा, कुलगाम, देवसर, दूरू, श्रीगुफवाड़ा, बिजबेहरा, शांसग-अनंतनाग पूर्व, पहलगाम, इंदरवाल, किश्तवाड़, पैड डेर, नागसेनी, भद्रवाह, डोडा, पश्चिम, रामबन और बनिहाल में वोट डाले जाएंगे.  

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कश्मीर घाटी की किस सीट पर मैदान में BJP?
BJP कश्मीर घाटी के 8 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. इनमें से कोकरनाग (ST) से रोशन हुसैन गुज्जर, कश्मीर घाटी की शंगस-अनंतनाग पूर्व से कश्मीरी पंडित वीर सराफ, पांपोर से इंजीनियर सैयद शौकत गयूर, राजपोरा से अर्शीद भट्ट, शोपियां से जावेद अहमद कादरी, अनंतनाग पश्चिम से मो. रफीक वानी, अनंतनाग से एडवोकेट सैयद वजाहत, श्रीगुफवाड़ा बिजबेहरा से सोफी यूसुफ को प्रत्याशी बनाया है.

क्या घाटी में खिलेगा कमल?
आर्टिकल 370 के हटाए जाने के बाद हुए परिसीमन में जम्मू को 6 एक्स्ट्रा सीटें मिलीं. लेकिन, कश्मीर की सिर्फ एक ही सीट बढ़ी है. इस तरह जम्मू क्षेत्र की सीटें अब 37 से बढ़कर 43 हो गई है. जबकि कश्मीर क्षेत्र की 46 सीटों से बढ़कर 47 रह गई हैं. BJP को परंपरागत रूप से जम्मू रीजन की तुलना में कश्मीर रीजन में बहुत ज्यादा समर्थन हासिल नहीं है. कश्मीर के रीजन में हिंदू वोटों का प्रभाव बहुत नहीं है. लिहाजा इस बार BJP ने अपनी रणनीति बदली है. कश्मीर घाटी में मुस्लिम उम्मीदवारों पर भी दांव लगाया गया है, क्योंकि इन सीटों पर मुस्लिम वोटर ही निर्णायक भूमिका में है. लेकिन, राजनीति के जानकार लोगों का कहना है कि हाल के सालों में बीजेपी का कैडर यहां बढ़ा है. 

इससे पहले कश्मीर पंचायत चुनाव में भी BJP ने मुस्लिम बहुल इलाकों में मुस्लिमों पर दांव खेला था. इसमें पार्टी कुछ हद तक कामयाब रही थी. इसीलिए विधानसभा चुनाव में भी इस स्ट्रैटजी पर काम किया जा रहा है.

कैसे पूरा होगा सीटों का टारगेट?
BJP ने जम्मू-कश्मीर में 30 सीटें जीतने का टारगेट रखा है. बाकी की सीट उसे कश्मीर घाटी में चाहिए. इसके लिए पार्टी कुछ स्थानीय दलों से तालमेल बिठाने की कोशिश में भी जुटी है. लेकिन मुश्किल इस बात की है कि लोकसभा चुनाव साथ मिलकर लड़ने वाले दल अब BJP का दामन छोड़ रहे हैं. इनमें अपनी पार्टी और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस प्रमुख पार्टी है. 

श्रीनगर के मेयर जुनैद मट्टू ने अपनी पार्टी छोड़ दी है. पीपुल्स कॉन्फ्रेंस का भी कहना है कि उनका BJP के साथ लेनादेना नहीं है. ऐसे में सवाल है कि BJP के लिए लाइक मांइडेड पार्टियां (सहयोगी पार्टियां) कौन होंगी, जिनके साथ वो गठजोड़ कर सकती है? BJP किन निर्दलीय उम्मीदवारों का समर्थन लेगी, ये भी एक सवाल है. क्या जमात-ए-इस्लामी और इंजीनियर राशिद की पार्टी AIP का साथ BJP को मिलेगा?

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जेल से चुनाव लड़ेंगे अलगाववादी नेता सर्जन बरकती
अलगाववादी संगठन भी चुनाव लड़ रहे हैं. इस चुनाव में जेल में बंद अलगाववादी नेता सर्जन बरकती ने भी नॉमिनेशन फाइल किया है. वह जेल में रहते हुए ही चुनाव लड़ेंगे. बरकती की तरफ से उनकी बेटी सुगरा बरकती चुनाव प्रचार कर रही हैं. सर्जन बरकती इस विधानसभी चुनाव में जैनापोरा शोपियां से चुनाव लड़ेंगे. आपको बता दें कि सर्जन बरकती 2016 में हिज्बुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी की हत्या के बाद हुई सुर्खियों में आए थे.सर्जन बरकती पर क्राउडफंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग करने का आरोप है.

क्या राम माधव बनाएंगे आगे की रणनीति?
BJP ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के पूर्व प्रवक्ता, BJP के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव और जम्मू-कश्मीर की राजनीति के जानकार राम माधव को राज्य का चुनाव प्रभारी नियुक्त किया है. पहले से ही राज्य में चुनाव प्रभारी के तौर पर कार्य कर रहे केंद्रीय मंत्री जी. किशन रेड्डी भी जम्मू-कश्मीर के चुनाव प्रभारी के तौर पर काम करते रहेंगे.

राम माधव ने कुछ साल पहले जम्मू-कश्मीर में BJP और PDP को एक साथ लाकर गठबंधन सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. ऐसे में माना जा रहा है कि इस बार भी राम माधव छोटे और स्थानीय दलों से हाथ मिलाने में BJP की मदद करेंगे.

टिकट बंटवारे को लेकर BJP कार्यकर्ताओं में बगावती सुर
चुनाव को लेकर कांग्रेस, PDP और BJP ने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की है. BJP ने मंगलवार को उम्मीदवारों की तीसरी लिस्ट जारी की, जिसमें 29 नाम हैं. लेकिन, ये लिस्ट आने के बाद पार्टी के भीतर फिर बवाल मचने लगा है. कई सीटों पर उम्मीदवार बदले जाने से कार्यकर्ता नाराज हो गए हैं. टिकटों को लेकर तनातनी इतनी बढ़ गई है कि कार्यकर्ता सामूहिक इस्तीफे की धमकी तक दे रहे हैं. 

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माता वैष्णो देवी निर्वाचन क्षेत्र में उम्मीदवार बदलने पर बवाल
जम्मू-कश्मीर में BJP ने उम्मीदवारों की जो संशोधित लिस्ट जारी की, उसके बाद पार्टी के लिए नई परेशानियां खड़ी हो गई हैं. कटरा, माता वैष्णो देवी निर्वाचन क्षेत्र में BJP कार्यकर्ताओं ने उम्मीदवार बदलने पर बगावत का झंडा उठा लिया है. पहले पार्टी ने यहां से रोहित दुबे को टिकट दिया था. बाद में उनकी जगह लदेव राज शर्मा के नाम का ऐलान किया गया. ऐसे में कार्यकर्ताओं ने आगाह किया है कि अगर रोहित दुबे को टिकट न मिला, तो वो पार्टी से सामूहिक इस्तीफा दे देंगे. 

एक BJP कार्यकर्ता ने कहा, “हम उनके लिए इस्तीफा तक दे देंगे. माता वैष्णो देवी निर्वाचन क्षेत्र से मैं अपने लिए नहीं, बल्कि रोहित दुबे के लिए टिकट मांग रहा हूं.”

बलदेव राज शर्मा ने किया था व्हिप का उल्लंघन 
दरअसल, अप्रैल 2011 में बलदेव राज शर्मा उन 7 BJP विधायकों में थे, जिन्हें जम्मू-कश्मीर विधान परिषद चुनावों में व्हिप का उल्लंघन करके क्रॉस वोटिंग करने के लिए सस्पेंड कर दिया गया था. ऐसे में पार्टी के कार्यकर्ता सवाल कर रहे हैं कि ऐसे व्यक्ति को रोहित दुबे की जगह क्यों चुना गया? 

BJP प्रदेश अध्यक्ष को कार्यकर्ताओं की दो टूक
इस बीच BJP प्रदेश अध्यक्ष रवींद्र रैना नाराज कार्यकर्ताओं को मनाने के लिए कटरा गए, तो उन्हें कुछ सख़्त सवालों का सामना करना पड़ा. कार्यकर्ताओं ने BJP प्रदेश अध्यक्ष रवींद्र रैना से पूछा- “अगर बलदेव राज कैंडिडेट बने रहे, तो वो जरूर चुनाव हारेंगे. यहां तक कि उनके खिलाफ कोई भी निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव जीत जाएंगे.”

इंजीनियर राशिद की रिहाई का भी दिखेगा असर
उधर, कश्मीर घाटी में जेल में बंद इंजीनियर राशिद की बेल अर्ज़ी के बारे में चर्चे गर्म रहे. दिल्ली के पटियाला कोर्ट ने ज़मानत अर्ज़ी पर फैसला 4 सितंबर तक सुरक्षित रखा है. बहुतों का मानना है कि इंजीनियर राशिद की रिहाई का  घाटी की सियासत पर असर पड़ सकता है.

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