Opposition Party Meet Congress Gave Up On PM Post Now Who Will Be The Candidate
Lok Sabha Elections 2024: अगले साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी दलों ने महागठबंधन बनाकर मोदी सरकार को मात देने की तैयारी शुरू कर दी है. एक ओर जहां कांग्रेस और नीतीश कुमार की अगुआई में 26 दल एकजुट हो चुके हैं. वहीं दूसरी ओर मोदी और अमित शाह की जोड़ी ने भी एक बार फिर से अपने सभी पुराने एऩडीए के साथियों के साथ गठजोड़ करके बड़ी चुनौती का सामना करने की तैयारी शुरू कर दी है.
मोदी सरकार को सत्ता से बेदखल करने के लिए कांग्रेस ने पीएम पद के मोह का भी त्याग कर दिया है. इस बात का ऐलान खुद कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कर्नाटक में चल रही महागठबंधन की बैठक के दौरान कर दिया है. कांग्रेस का इस समय एकसूत्रीय एजेंडा सिर्फ और सिर्फ मोदी सरकार को सत्ता से बाहर करना ही है. इसके लिए वह कोई भी कुर्बानी देने को तैयार है.
कांग्रेस अध्यक्ष के इस ऐलान के बाद अब सबसे बड़ा सवाल यह उठने लगा है कि अगर राहुल-प्रियंका चेहरा नहीं होंगे तो महागठबंधन की ओर से कौन प्रधानमंत्री पद के लिए चेहरा होगा. फिलहाल इस समय तीन नाम ऐसे हैं जिन्हें इस पद के लिए योग्य माना जा रहा है. पहले नीतीश कुमार, उसके बाद शरद पवार और फिर ममता बनर्जी.
देश के 11 राज्यों में महागठबंधन की सरकार
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपने गठबंधन के साथियों की हौसला अफजाई करते हुए 2024 के चुनाव में सत्ता में पहुंचने का मार्ग भी दिखाया. उन्होंने कहा कि हमारे गठबंधन की देश के 11 राज्यों में सरकारें चल रही हैं, इसलिए हम आगामी लोकसभा चुनाव में भी जीत हासिल कर सकते हैं.
परोक्ष रूप से उनका इशारा एक साथ मिलकर चुनाव लड़ने पर ही था. उन्होंने साफ किया कि बीजेपी ने आम चुनाव में 303 सीटें ऐसे ही हासिल नहीं की हैं. उन्होंने अपने सहयोगी दलों की मदद ली. यह अलग बात है कि सत्ता में काबिज होने के बाद उन्होंने अपने सहयोगी दलों का साथ छोड़ दिया. मगर हम ऐसा नहीं करेंगे.
इऩ सब दावों और प्रतिदावों से अलग अगर सही मायने में देखा जाए तो अब पीएम पद की रेस में महागठबंधन की ओर से नीतीश कुमार ही सबसे आगे दिख रहे हैं.
पहले सब मिलकर लड़ेंगे चुनाव
महागठबंधन की इस महाबैठक के दौरान नीतीश कुमार ने भी स्पष्ट कर दिया है कि फिलहाल चुनाव के पहले वह किसी चेहरे को पीएम पद के रूप में नहीं देखना चाहते. उनका मानना है कि यदि हमारा यह महागठबंधन मिलकर चुनाव लड़ेगा तो हम कम से कम 350 सीटें अवश्य जीत सकते हैं.
वैसे देखा जाए तो नीतीश का यह बयान राजनीतिक रूप से फिट बैठता है, क्योंकि अगर चुनाव के पहले पीएम पद के लिए नाम घोषित होता है तो हो सकता है कि चुनाव के पहले ही महागठबंधन में महा टूट हो जाए.
नीतीश का सपना पीएम बनना
इसमें भी कोई दो राय नहीं है कि प्रधानमंत्री बनने के लिए सर्वाधिक लालायित नीतीश कुमार ही नजर आते हैं. इसलिए उन्होंने बीजेपी से नाता तोड़कर इस महागठबंधन की नींव रखी थी. इसकी पहली बैठक भी उन्होंने अपने प्रदेश बिहार में आयोजित की थी.
हालांकि वह बैठक एक तरह से लालू प्रसाद यादव के मजाकिया अंदाज के लिए ज्यादा चर्चित हुई थी. इसमें उन्होंने राहुल गांधी को शादी की सलाह देकर पहले ही उनका नाम हंसी-हंसी में पीएम पद के लिए खारिज कर दिया था.
शरद पवार पड़ चुके हैं कमजोर
इस महागठबंधन में शरद पवार भी प्रधानमंत्री पद के लिए मजबूत दावेदार बन सकते थे, लेकिन इस समय भतीजे अजित पवार के झटके ने उन्हें बेहद कमजोर कर दिया है. वर्ना सत्ता निर्माण के खेल का उऩसे बड़ा कोई महारथी फिलहाल कोई नजर नहीं आता.
शरद पवार ही एकमात्र ऐसा नेता हैं जिन्होंने वर्तमान राजनीतिक दौर में महाराष्ट्र में सरकार बनाने के समय नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी मात दी थी. हालांकि इस बार अजित पवार के रूप में देवेंद्र फडनवीस (पूर्व मुख्यमंत्री) ने महाराष्ट्र में खाटी नेता शरद पवार को तगड़ा झटका देकर भाजपा का पुराना हिसाब चुकता कर दिया है.
ममता का अभी नहीं है पीएम कद
बंगाल की शेरनी कही जाने वाली ममता बनर्जी अंदर ही अंदर प्रधानमंत्री बनने इच्छा तो रखती हैं लेकिन वह उसे बाहर किसी के सामने नहीं बयां कर रहीं हैं. उन्होंने बीच में महागठबंधन से अलग होकर स्वतंत्र रूप से लोकसभा चुनाव में जाने का मन बनाते हुए घोषणा भी कर डाली थी. इसके बावजूद अभी सत्ता की सियासत में बहुत कुछ होना बाकी है.
फिलहाल पूर्वोत्तर में मिली मात के बाद ममता बनर्जी के सम्मुख प्राथमिकता अपना घर बचाने और उसे मजबूत करने की है.
इसके बाद लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी की स्थिति क्या रहती है. इस पर काफी कुछ निर्भर करेगा. अगर कांग्रेस का साथ मिला तो संभव है कि ममता पीएम पद के लिए नाम आगे बढ़ाने के लिए सहमत हों.
हालांकि इऩ सभी अगर-मगर के बीच एक बात तो तय है कि बगैर कांग्रेस की सहमति और सहयोग के कोई भी विपक्षी पार्टी का नेता प्रधानमंत्री बनना तो दूर उस कुर्सी के आस-पास भी नहीं पहुंच पाएगा.
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