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ऑस्ट्रेलिया ने 2025 तक विदेशी छात्रों का प्रवेश सीमित किया, भारतीयों पर होगा असर




नई दिल्ली:

ऑस्ट्रेलिया ने ऐलान किया है कि वह 2025 में अपने यहां आने वाले अंतरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या को 2.7 लाख तक सीमित कर देगा, ताकि रिकॉर्ड स्तर पर हो रहे माइग्रेशन से निपटा जा सके. प्रवासियों के बढ़ने के कारण घरों के किराए में भारी वृद्धि हुई है. 

ऑस्ट्रेलिया के शिक्षा मंत्री जेसन क्लेयर ने मंगलवार को कहा कि इस सीमा में उच्च शिक्षा पाठ्यक्रमों के साथ-साथ व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण पाठ्यक्रम भी शामिल हैं. 

ऑस्ट्रेलिया के इस कदम से उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाने की उम्मीद रखने वाले भारतीय छात्रों पर असर पड़ेगा, खास तौर पर पंजाब से जाने वाले छात्र , जिनकी संख्या बहुत अधिक है, पर इसका खासा असर होगा. 

ऑस्ट्रेलिया की माइग्रेशन एजेंट्स रजिस्ट्रेशन अथॉरिटी के सदस्य सुनील जग्गी ने कहा कि, “जून 2022 में ऑस्ट्रेलिया ने विदेशी छात्रों की संख्या 5.10 लाख तय की थी. सन 2023 में यह संख्या घटाकर 3.75 लाख कर दी गई. अब उन्होंने वार्षिक प्लानिंग का स्तर और कम कर दिया है. यह स्तर सभी अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए अलग-अलग विश्वविद्यालयों को दिए गए हैं, न कि केवल भारतीय छात्रों के लिए. विश्वविद्यालय देश के हिसाब से और फिर राज्य के हिसाब से कोटा तय करेंगे.” 

उन्होंने कहा कि, “फरवरी में प्रवेश लेने की तैयारी कर रहे छात्र इस घोषणा से प्रभावित होंगे. पंजाब के छात्रों पर सबसे ज्यादा असर होगा.”

ऑस्ट्रेलिया में नर्सिंग की पढ़ाई करने के इच्छुक हरियाणा के एक छात्र ने कहा कि, “इससे मेरे करियर पर असर पड़ेगा. मेरा परिवार मेरे एजुकेशन के लिए लोन ले रहा है, क्योंकि ऑस्ट्रेलिया में पढ़ाई का खर्च काफी अधिक है.” 

एक अन्य छात्र ने कहा, “भारत सरकार को छात्रों के दृष्टिकोण को ऑस्ट्रेलियाई सरकार के सामने रखना चाहिए.”

गौरतलब है कि पिछले साल भारत के दौरे पर आए ऑस्ट्रेलियाई के शिक्षा मंत्री ने भारतीय छात्रों के लिए ऑस्ट्रेलियाई उच्च शिक्षा संस्थानों तक पहुंच बढ़ाने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे.

भारत के विदेश मंत्रालय के अनुसार, भारत के लगभग 1.22 लाख छात्र ऑस्ट्रेलिया में पढ़ते हैं. भारत के क्वाड पार्टनर कनाडा, अमेरिका और ब्रिटेन के बाद ऑस्ट्रेलिया विदेश में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों के लिए चौथा सबसे लोकप्रिय देश है.

ऑस्ट्रेलिया ने विदेशी छात्रों के लिए अपने गैर-वापसी योग्य वीजा शुल्क को भी 710 ऑस्ट्रेलियन डॉलर से बढ़ाकर 1600 ऑस्ट्रेलियन डॉलर कर दिया है. इसका उद्देश्य माइग्रेशन को कम करना है.

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