Kolkata Doctor Rape Murder Case Modi Government Replies To CM Mamata Banerjee Letter Of Making Strict Law For Rapists
Kolkata Rape-Murder Case: कोलकाता रेप मर्डर केस में मामले में घिरीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाल ही में पीएम मोदी को पत्र लिखा था. जिसमें उन्होंने रेपिस्ट को सजा देने के लिए एक कड़े केंद्रीय कानून की मांग की थी. जिस पर सोमवार (26 अगस्त) को केंद्र सरकार की तरफ से ममता बनर्जी को उनके पत्र का जवाब दिया गया है. इस पक्ष के माध्यम से केंद्र सरकार ने सीएम ममता बनर्जी को आईना दिखाया है. इसके साथ ही 7 प्वाइंट भी बताए हैं, जो बंगाल सरकार की कलई खोल रहे हैं.
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने सरकार की ओर से पत्र का जवाब देते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल को रेप और बाल यौन अपराध के मामलों की सुनवाई के लिए 123 फास्ट-ट्रैक कोर्ट आवंटित की गई हैं, मगर उनमें से कई अभी भी काम नहीं कर रही हैं. जहां टीएमसी सुप्रीमो ने अपने पत्र में बताया था कि आंकड़ों के अनुसार देश में रोजाना 90 रेप के मामले होते हैं. जिनमें से कई मामलों में पीड़ितों की हत्या कर दी जाती है.
जानिए 7 पॉइंट्स में कैसे केंद्र ने पश्चिम बंगाल सरकार की खोली कलई?
1. केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने कहा है कि राज्य ने शेष 11 स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट शुरू करने के लिए अब तक कोई कदम नहीं उठाया है, जबकि राज्य में रेप और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण कानून (पॉक्सो) के 48,600 मामले लंबित पड़े हुए हैं.
2. सीएम ममता बनर्जी को लिखे पत्र में केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने महिला हेल्पलाइन, आपातकालीन प्रतिक्रिया सहायता प्रणाली और ‘चाइल्ड हेल्पलाइन’ जैसी प्रमुख आपातकालीन हेल्पलाइन को लागू करने में ‘‘विफल रहने के लिए’’ पश्चिम बंगाल सरकार की आलोचना की. महिला एवं बाल विकास मंत्री ने 25 अगस्त को लिखे पत्र में पश्चिम बंगाल में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कड़े कानूनी ढांचे और न्यायिक प्रक्रियाओं को लागू करने की तात्कालिकता पर जोर दिया.
3. केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने पीएम को लिखे पत्र के जवाब में अब ममता बनर्जी को पत्र लिखा. जिसमें उन्होंने कहा कि फास्ट ट्रैक अदालतों की बात करें तो मंत्री ने कहा कि ऐसी कोर्ट स्थापित करने के लिए केंद्र प्रायोजित योजना अक्टूबर 2019 में शुरू की गई थी. 30.06.2024 तक, 30 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 409 स्पेशल पॉक्सो कोर्ट सहित 752 फास्ट ट्रैक कोर्ट कार्यरत हैं, जिन्होंने योजना की शुरुआत से 2,53,000 से अधिक मामलों का निपटारा किया है.
4. इस योजना के तहत, पश्चिम बंगाल राज्य को कुल 123 फास्ट ट्रैक कोर्ट आवंटित किए गए थे, जिसमें 20 स्पेशल पॉक्सो कोर्ट और 103 ज्वाइंट फास्ट ट्रैक कोर्ट शामिल थे, जो रेप और पॉक्सो अधिनियम दोनों मामलों से निपटते हैं. हालांकि, इनमें से कोई भी कोर्ट जून 2023 के मध्य तक चालू नहीं हुई थी.
5. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पश्चिम बंगाल को 17 फास्ट ट्रैक कोर्ट आवंटित किए गए हैं, जिनमें से 30.06.2024 तक केवल 6 स्पेशल पोक्सो न्यायालय ही चालू हो पाए हैं. जबकि, पश्चिम बंगाल में रेप और पोक्सो के 48,600 मामले लंबित होने के बावजूद यह विलंब जारी है.
6. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ अपराधों से निपटने के लिए मौजूदा कानूनी ढांचा काफी सख्त है. हालांकि, आप इस बात से सहमत होंगे कि कानून के इन प्रावधानों के साथ-साथ महिलाओं की सुरक्षा के लिए केंद्र सरकार की कई पहलों का प्रभावी फैसले राज्य सरकार के दायरे में आते है. ऐसे में जरूरी है कि राज्य मशीनरी पूरी तरह से संवेदनशील हो और पश्चिम बंगाल राज्य में महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए कानूनी प्रावधानों का पूरा लाभ उठाने के लिए तैयार हो.
7. मंत्री ने कहा, “मुझे पूरी उम्मीद और विश्वास है कि पश्चिम बंगाल सरकार महिलाओं और लड़कियों के विकास के लिए एक सुरक्षित पारिस्थितिकी तंत्र और लैंगिक समानता वाला समाज बनाकर उनके खिलाफ सभी प्रकार के भेदभाव और हिंसा को समाप्त करने की दिशा में प्रयास करेगी.”
जानिए ममता ने चिट्ठी में क्या कहा था?
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोलकाता के आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर रेप जैसे वीभत्स मामलों में संलिप्त आरोपियों के लिए 15 दिन के भीतर कठोर सजा के लिए कानून बनाने और महिलाओं को सुरक्षित माहौल प्रदान करने की मांग की थी. इसके साथ ही सीएम ने अपने पत्र में लिखा था कि पूरे देश में रेप के मामले नियमित रूप से सामने आते हैं. जहां कई मामलों में हत्या के साथ रेप भी होते हैं. देश में प्रतिदिन लगभग 90 रेप के मामले समाज को झकझोर देते हैं.
सीएम ने लिखा है कि महिलाएं सुरक्षित महसूस करें, इसके लिए ऐसे नृशंस अपराधों में शामिल व्यक्तियों के खिलाफ अनुकरणीय दंड का प्रावधान करने वाले कड़े केंद्रीय कानून हों और ऐसे मामलों में त्वरित सुनवाई के लिए फास्ट-ट्रैक कोर्ट की स्थापना पर भी विचार किया जाना चाहिए, ताकि सुनवाई 15 दिन के भीतर पूरी की जा सके.