तिहाड़ से बाहर आए मनीष सिसोदिया के सामने क्या हैं 5 बड़े चैलेंज?
अरविंद केजरीवाल फिलहाल जेल में हैं. उनके रहते मनीष सिसोदिया नंबर टू हुआ करते थे. उनके जेल जाने के बाद नंबर टू कोई नहीं रह गया है. आतिशी को जरूर मनीष सिसोदिया के मंत्रालय दिए गए थे लेकिन उनका रूतबा मनीष सिसोदिया सा पार्टी में नहीं था. सौरभ भारद्वाज भी पार्टी का चेहरा नहीं बन पाए थे. ऐसे में क्या केजरीवाल अपनी गैर-मौजूदगी में मनीष सिसोदिया को फिर से उतना पावरफुल बनने देना चाहेंगे. क्या पार्टी के नेता उनको आगे बढ़ने देंगे? यह भी बड़ा सवाल है.
कट्टर ईमानदार वाली छवि का क्या?
जेल जाने से पहले तक मनीष सिसोदिया की छवि कट्टर ईमानदार की थी. अरविंद केजरीवाल के बाद सबसे ज्यादा उन्हीं को पार्टी के कार्यकर्ता योग्य मानते थे. अब 17 महीने जेल में गुजारने के बाद क्या कार्यकर्ताओं और आम लोगों के बीच मनीष सिसोदिया कट्टर ईमानदार होने का दावा उतनी ताकत से कर पाएंगे? अगर ऐसा किया तो क्या 17 महीने पहले वाला वो भरोसा जीत पाएंगे? इन पांचों सवालों के जवाब तो आगामी विधानसभा चुनाव में ही पता चल पाएगा, लेकिन ये जरूर है कि आने वाले कुछ दिनों में इसकी झलक जरूर नजर आ जाएगी.