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Delhi Chief Secretary Naresh Kumar reply to Saurabh Bhardwaj encroachment on drains in Delhi | ‘दिल्ली में नालों पर अतिक्रमण निपटने के लिए कानून की जरूरत’, बोले


Chief Secretary Reply to Saurabh Bhardwaj: दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार ने कहा है कि शहर में नालों पर अतिक्रमण इतना व्यापक है कि इसे बिना किसी कानून के नियंत्रित नहीं किया जा सकता. कुमार ने यह टिप्पणी ओल्ड राजेंद्र नगर इलाके में एक कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में पानी भरने से लोक सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे तीन विद्यार्थियों की मौत की पृष्ठभूमि में की.

शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज के एक नोट के जवाब में कुमार ने मंगलवार (30 जुलाई) को उनसे दिल्ली के लिए जल निकासी योजना की सिफारिशों से जुड़ी फाइल आगे बढ़ाने का अनुरोध किया. इसमें ‘दिल्ली के लिए वर्षा जल एवं जल निकासी अधिनियम’ की आवश्यकता भी शामिल है, ताकि सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग द्वारा कानून का मसौदा तैयार किया जा सके.

फाइल अगस्त 2023 से उनके पास लंबित है
दिल्ली के लिए अनुशंसित ‘वर्षा जल एवं जल निकासी अधिनियम’ में शहर के नालों पर अतिक्रमण और मलबा, और वेस्टेज डंपिंग पर दंड का प्रावधान प्रस्तावित है. मुख्य सचिव ने भारद्वाज को भेजे अपने जवाब में कहा कि फाइल अगस्त 2023 से उनके पास लंबित है. भारद्वाज सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण मंत्री भी हैं. राजेंद्र नगर में शनिवार शाम हुई घटना पर दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कुमार ने कहा, “दुर्भाग्यपूर्ण घटना के स्थल की तस्वीरों से पता चलता है कि किस तरह से उस स्थान पर वर्षा जल निकासी प्रणाली पर इमारत के मालिक/कब्जाधारी ने अतिक्रमण कर लिया था.” 

मुख्य सचिव ने कहा कि ऐसी स्थिति पूरे शहर में है. उन्होंने कहा कि दिल्ली के लिए जल वर्षा एवं निकासी अधिनियम के अभाव में वर्षा जल निकासी प्रणाली में इस तरह की व्यापक रुकावट को नियंत्रित नहीं किया जा सका.

नाले को ग्रेनाइट और संगमरमर के पत्थरों से ढक दिया है
उन्होंने कहा कि इसी समस्या के कारण जब भी दिल्ली में भारी बारिश होती है तो शहर के कई स्थान जलमग्न हो जाते हैं. एमसीडी की रिपोर्ट में कहा गया है कि ओल्ड राजेंद्र नगर में संपत्ति मालिकों ने नाले को ग्रेनाइट और संगमरमर के पत्थरों से ढक दिया है, जिससे उनकी सफाई की कोई गुंजाइश नहीं बची और उसमें बारिश का पानी जाने में बाधा उत्पन्न हो रही है. भारद्वाज ने मुख्य सचिव को भेजे अपने नोट में कहा कि उन्होंने सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग के प्रधान सचिव से इस बात की पुष्टि की है कि फाइल के संबंध में उनकी ओर से कोई निर्णय लंबित नहीं है.

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