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Modi Government control China and import 10 times increase reported in Congress Government Piyush Goyal replies to Gaurav Gogoi


वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने मंगलवार (30 जुलाई, 2024) को संसद में कहा कि चीन को लेकर सरकार अपने रुख पर कायम है और उसके निवेश को अनुमति देने के संबंध में कोई बदलाव नहीं हुआ है. लोकसभा में पूरक प्रश्नों का उत्तर देते हुए पीयूष गोयल ने यह भी कहा कि सरकार चीनी निवेश की जांच करती है और इस संबंध में उसका रुख नहीं बदला है.

प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने आरोप लगाया कि भारत चीन पर निर्भर हो गया है. उन्होंने आर्थिक सर्वेक्षण का हवाला देते हुए कहा कि इसमें पड़ोसी देश से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) प्राप्त करने का समर्थन किया गया है.  पीयूष गोयल ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा कि यूपीए सरकार में भारत पड़ोसी देशों पर निर्भर हो गया था और एक्सपोर्ट 10 गुना बढ़ गया था. उन्होंने कहा कि कांग्रेस की सरकार में चीन से इंपोर्ट 4 अरब से बढ़कर 40-45 अरब डॉलर पहुंच गया था, जबकि मोदी सरकार में सिर्फ दो से ढाई गुना की ही वृद्धि हुई है क्योंकि सरकार ने आत्मनिर्भर बनने के लिए कदम उठाए हैं.

पीयूष गोयल ने आगे कहा, ‘मैं यूपीए पर सीधा आरोप लगा रहा हूं… उनका नाम बदल गया है, यह अब इंडी गठबंधन है…’ उन्होंने कहा, ‘हमें नहीं पता कि चीन के साथ वह एमओयू (समझौता ज्ञापन) क्या था. यूपीए के तहत व्यापार घाटा 30 गुना बढ़ गया था.’ उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारतीय जनता पार्टी (BJp) के नेतृत्व वाले एनडीए ने चीन और उसके निवेश को भी नियंत्रित कर लिया है.

आर्थिक सर्वेक्षण का जिक्र करते हुए पीयूष गोयल ने कहा, ‘जहां तक ​​मुख्य आर्थिक सलाहकार का सवाल है, वह एक स्वतंत्र, स्वायत्त रिपोर्ट लाते हैं. यह उनकी सोच है, भारत सरकार ने फिलहाल अपना रुख नहीं बदला है.’ उन्होंने कहा, ‘चीन से जो निवेश आता है, उसकी जांच की जाती है, जहां हमें उचित नहीं लगता, वहां रोक दिया जाता है. हमारी नीति वही रहेगी. मुख्य आर्थिक सलाहकार ने एक सलाह दी है.’

बजट से पहले आए आर्थिक सर्वेक्षण में स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देने और निर्यात बाजार का फायदा उठाने के मकसद से बीजिंग से एफडीआई की जरूरत पर जोर दिया गया था. सर्वेक्षण में कहा गया था कि चूंकि अमेरिका और यूरोप अपनी तत्काल सोर्सिंग चीन से दूर कर रहे हैं, इसलिए यह अधिक प्रभावी होगा कि चीनी कंपनियां भारत में निवेश करें और पड़ोसी देश से आयात करने के बजाय इन बाजारों में उत्पादों का निर्यात करें.

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