Madhya Pradesh Government Has Promised In The Jabalpur High Court Driving Without Seat Belt Or Helmet Is Fine Ann
Jabalpur High Court: मध्यप्रदेश में सीट बेल्ट लगाए बिना कार चलाने और बगैर हेलमेट लगाए टू व्हीलर चलाने वालों की अब खैर नहीं है. राज्य सरकार की ओर से जबलपुर हाईकोर्ट (Jabalpur High Court) में अंडरटेकिंग (undertaking) दी गई है कि अगले 6 माह के भीतर प्रदेश के प्रत्येक वाहन में हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट लगने के साथ सभी दोपहिया वाहन चालक के सिर पर हेलमेट होगा और कार चालक सीट बेल्ट पहनेगा. चीफ जस्टिस रवि मलिमठ व जस्टिस विशाल मिश्रा की खंडपीठ ने इस अंडरटेकिंग को रिकॉर्ड पर लेते हुए मामले पर अगली सुनवाई 16 जनवरी 2024 को निर्धारित की है.
यहां बताते चलें कि मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के निर्देश पर राज्य सरकार ने बुधवार (12 जुलाई) को मोटर व्हीकल अधिनियम के प्रावधानों का जनता से पालन सुनिश्चित करने की पूरी कार्य योजना प्रस्तुत की. अतिरिक्त महाधिवक्ता हरप्रीत रूपराह ने अंडरटेकिंग दी है कि अंडरटेकिंग दी कि 15 जनवरी 2024 के बाद यदि एक भी वाहन चालक उक्त नियमों का उल्लंघन करता है तो परिवहन आयुक्त और विभाग के एडिशनल इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस अवमानना की कार्रवाई के लिए जिम्मेदार होंगे.
अधिकारियों को गाइडलाइन कर दी जारी
अतिरिक्त महाधिवक्ता ने कोर्ट को यह भी बताया कि हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट के संबंध में परिवहन आयुक्त ने सभी जिम्मेदार अधिकारियों को गाइडलाइन जारी कर दी है .इसी तरह दोपहिया वाहन-चालकों के लिए हेलमेट और कार चालकों के लिए सीट बेल्ट की अनिवार्यता का पालन सुनिश्चित करने एआईजी ने हर जिले के पुलिस अधीक्षक को निर्देश जारी कर दिए हैं.
प्रदेश में केवल कागजों में कार्रवाई हो रही है
दरअसल, ग्वालियर की लॉ स्टूडेंट ऐश्वर्या शान्डिल्य ने साल 2021 में ग्वालियर बेंच में एक जनहित याचिका दायर की थी. मामले की गंभीरता और व्यापकता को देखते हुए चीफ जस्टिस ने यह याचिका ग्वालियर पीठ से मुख्य पीठ जबलपुर स्थानांतरित करवा ली. याचिकाकर्ता की ओर से ग्वालियर के अधिवक्ता अवधेश सिंह तोमर ने बताया कि मोटर व्हीकल एक्ट और रूल्स में दोपहिया वाहन चालकों के लिए हेलमेट पहनना अनिवार्य है. उन्होंने बताया कि परिवहन विभाग ने एक परिपत्र जारी कर कहा था कि जिस एजेंसी से वाहन खरीदा जाए, वहीं से क्रेता को हेलमेट भी बेचा जाए. याचिका में बताया गया कि प्रदेश में केवल कागजों में कार्रवाई हो रही है, धरातल पर नियमों का पालन नहीं हो रहा.
सरकार की ओर से कहा गया था ये बातें
बताते चले कि पिछली सुनवाई के दौरान भी कोर्ट ने सरकार की रिपोर्ट पर असंतोष जाहिर कर 25 हजार रुपए की कॉस्ट लगाई थी. यह मामला लंबे समय से सरकार के लिए परेशानी खड़ी कर रहा है. सरकार की ओर से सुनवाई के दौरान कहा गया था कि हेलमेट, सीट बेल्ट, नंबर प्लेट्स, ओवरलोडिंग आदि पर पूर्ण रूप से अंकुश लगाने योजना बनाई गई है.