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Terrorist attack increasing in jammu area due to lack of good human intelligence and signal intelligence


Why Terrorist Attack in Jammu Area Increasing: जम्मू क्षेत्र में लगातार हो रहे आतंकी हमलों ने हर किसी की परेशानी बढ़ा दी है. इस बीच एक हैरान करने वाली जानकारी सामने आई है. रिपोर्ट के मुताबिक, आतंकवाद विरोधी अभियानों में सुरक्षा बलों के बीच बेहतर ह्यूमन इंटेलीजेंस और सिग्नल इंटेलीजेंस की कमी के कारण आतंकी हमले और घायलों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. सैन्य शैली के घात लगाने में माहिर आतंकवादी चीन की सीमा पर फोर्स के स्थानांतरण के कारण इधर कम सैन्य घनत्व का लाभ उठा रहे हैं.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, पीर पंजाल रेंज के दक्षिण में आतंकवाद की वृद्धि की समीक्षा के बाद, जिसमें सुरक्षा पर कैबिनेट समिति भी शामिल थी, अधिकारियों ने कहा कि जम्मू क्षेत्र में अतिरिक्त सेना और केंद्रीय बलों के साथ-साथ टेक्नॉलजी की तैनाती की जा रही है, लेकिन स्थिति को स्थिर होने में कुछ समय लगेगा.

जंगल के साथ-साथ गुफाओं को बना रखा है ठिकाना

रिपोर्ट के मुताबिक, एक अधिकारी ने कहा कि यह एक बहुत बड़ा क्षेत्र है, जिसमें कठिन पहाड़ी और जंगल के साथ-साथ गुफाएं और ठिकाने हैं. जम्मू क्षेत्र में लगभग 35-40 युद्ध-प्रशिक्षित आतंकवादी सक्रिय हैं, जो छोटी-छोटी टीमों में काम कर रहे हैं. खुफिया जानकारी के अनुसार उनमें से अधिकांश पाकिस्तान मूल के हैं और जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े हैं. आधुनिक हथियारों, गोला-बारूद और एन्क्रिप्टेड संचार उपकरणों से लैस आतंकवादियों ने जम्मू में सेना को कई झटके दिए हैं, इस साल अकेले छह से सात हमले हुए हैं. सबसे ताजा हमला सोमवार को डोडा में हुआ, जिसमें एक कैप्टन समेत चार जवान शहीद हो गए.”

2021 से 125 जवानों को खोया

कुल मिलाकर, सेना सहित सुरक्षा बलों ने 2021 से जम्मू-कश्मीर में लगभग 125 कर्मियों को खो दिया है, जिनमें से कम से कम 52 जम्मू क्षेत्र में मारे गए हैं. एक अन्य अधिकारी ने कहा, “पाकिस्तान ने स्पष्ट रूप से आतंकवाद का ध्यान कश्मीर घाटी से जम्मू क्षेत्र में स्थानांतरित कर दिया है. पहले, आतंकवादी गतिविधियाँ मुख्य रूप से राजौरी और पुंछ के जुड़वां सीमावर्ती जिलों तक ही सीमित थीं, लेकिन अब रियासी, डोडा, भद्रवाह, कठुआ और उधमपुर जैसे अन्य स्थानों पर भी फैल गई हैं.”

मई 2020 से कम हुई सेना की तैनाती

मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में चीन की कई घुसपैठों के बाद सेना की ओर से राष्ट्रीय राइफल्स की यूनिफ़ॉर्म फोर्स सहित विशेष आतंकवाद विरोधी टुकड़ियों को क्षेत्र से पूर्वी लद्दाख में स्थानांतरित करने से वहां एक बड़ा ऑपरेशनल और खुफिया अंतर पैदा हो गया है.

आतंकवादी यूज कर रहे हाईटेक सिस्टम

भारतीय सेना से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि स्थानीय लोगों और अन्य लोगों से मिलने वाली मानवीय खुफिया जानकारी लगभग खत्म हो गई है. आतंकवाद विरोधी अभियानों के लिए मानवीय खुफिया जानकारी का नेटवर्क बनाने में समय और निरंतर प्रयास की आवश्यकता होती है. इसके अलावा, पिछले साल से कई आतंकवादियों ने विशेष अल्ट्रा-सेट और अन्य अत्यधिक एन्क्रिप्टेड दूरसंचार उपकरणों का उपयोग करना शुरू कर दिया है, जिन्हें रोकना मुश्किल है.

राजनीति ने गुज्जरों और बकरवालों को किया अलग-थलग

उन्होंने कहा कि स्थानीय राजनीति ने गुज्जरों और बकरवालों के एक वर्ग को अलग-थलग कर दिया है, जो सुरक्षा बलों की आंख और कान के रूप में काम करते हैं. पाकिस्तान इसका फायदा उठा रहा है, उसने अपने क्षेत्र और पीओके में आतंकी प्रशिक्षण ढांचे को बरकरार रखा है.

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