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NEET UG Paper Leak Row Supreme Court Hearing Asks Question that If the government does not cancel the exam then what will it do


NEET UG Paper Leak Row: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (08 जून) को नीट यूजी पेपर लीक मामले पर सुनवाई की. अदालत ने कहा कि अगर मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट-यूजी 2024 की शुचिता ‘नष्ट’ हो गई है और अगर इसके लीक पेपर को सोशल मीडिया के जरिए प्रसारित किया गया है तो दोबारा परीक्षा कराने का आदेश देना होगा.

चीप जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने यह भी कहा कि अगर पेपर लीक टेलीग्राम, व्हाट्सऐप और इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से हो रहा है तो यह ‘जंगल में आग की तरह फैलेगा.’’ पीठ ने कहा, ‘एक बात साफ है कि पेपर लीक हुआ है.’ पीठ ने कहा, ‘अगर परीक्षा की शुचिता नष्ट हो जाती है तो दोबारा परीक्षा का आदेश देना होगा. अगर हम दोषियों की पहचान करने में असमर्थ हैं तो दोबारा परीक्षा का आदेश देना होगा.’

‘पेपर लीक हुआ है, लिमिट पता करनी है’

पीठ ने कहा, ‘जो हुआ, हमें उसे नकारना नहीं चाहिए.’ साथ ही पीठ ने कहा, ‘यह मान लें कि सरकार परीक्षा रद्द नहीं करेगी तो वह पेपर लीक के लाभार्थियों की पहचान करने के लिए क्या करेगी?’ सुप्रीम कोर्ट ने विवादों से घिरी मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट-यूजी 2024 से संबंधित 30 से अधिक याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई शुरू की. इनमें पांच मई को हुई परीक्षा में अनियमितताओं और कदाचार का आरोप लगाने वाली और परीक्षा नए सिरे से आयोजित करने का निर्देश देने के अनुरोध वाली याचिकाएं भी शामिल हैं. 

पीठ ने कहा, ‘इसमें कोई संदेह नहीं है कि पेपर लीक हुआ है. हम लीक की सीमा का पता लगा रहे हैं.’ पीठ ने कहा कि इसमें कुछ ‘चेतावनी के संकेत’ हैं क्योंकि 67 उम्मीदवारों ने 720 में से 720 अंक प्राप्त किए हैं. पीठ ने कहा, ‘पिछले सालों में यह अनुपात बहुत कम था.’ अदालत ने कहा कि वह जानना चाहती है कि पेपर लीक से कितने लोगों को लाभ हुआ और केंद्र ने उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की. पीठ ने सवाल किया, ‘कितने गलत काम करने वालों के परिणाम रोके गए हैं और हम ऐसे लाभार्थियों का भौगोलिक वितरण जानना चाहते हैं.’

केंद्र और एनटीए ने कोर्ट में क्या कहा?

केंद्र और राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) ने हाल में अदालत में कहा था कि गोपनीयता भंग होने के किसी साक्ष्य के बिना इस परीक्षा को रद्द करने का बेहद प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा क्योंकि इससे लाखों ईमानदार अभ्यर्थियों पर ‘‘गंभीर असर’’ पड़ सकता है. एनटीए और केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय पांच मई को आयोजित परीक्षा में पेपर लीक से लेकर अभ्यर्थी की जगह किसी अन्य के परीक्षा देने तक बड़े पैमाने पर कथित अनियमितताओं को लेकर मीडिया में बहस और छात्रों और राजनीतिक दलों के विरोध के केंद्र में रहे हैं.

केंद्र और एनटीए ने 13 जून को अदालत को बताया था कि उन्होंने 1,563 अभ्यर्थियों को दिए गए ग्रेस मार्क रद्द कर दिए हैं. उन्हें या तो दोबारा परीक्षा देने या समय की हानि के लिए दिए गए प्रतिपूरक अंकों को छोड़ने का विकल्प दिया गया था. एनटीए ने 23 जून को आयोजित दोबारा परीक्षा के परिणाम जारी करने के बाद एक जुलाई को संशोधित रैंक सूची घोषित की.

क्या आरोप लगाया गया?

कुल 67 छात्रों ने 720 अंक प्राप्त किए, जो एनटीए के इतिहास में अभूतपूर्व है, जिसमें सूची में हरियाणा के एक केंद्र के छह छात्र शामिल हैं, जिससे परीक्षा में अनियमितताओं को लेकर संदेह उत्पन्न हुआ. यह आरोप लगाया गया है कि ग्रेस मार्क के चलते 67 छात्रों को शीर्ष रैंक प्राप्त करने में मदद मिली. एनटीए की ओर से एक जुलाई को संशोधित परिणाम घोषित किए जाने के बाद, नीट-यूजी में शीर्ष रैंक वाले अभ्यर्थियों की संख्या 67 से घटकर 61 हो गई. 

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