punjab jalandhar west by election 2024 surjit kaur u turn after joining aap in morning back to shiromani akali dal
Punjab Politics: पंजाब की राजनीति की धुरी रही अकाली दल पार्टी आज राज्य में अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है. वहीं, दो बार पार्षद रह चुकी सुरजीत कौर का दिन काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा, क्योंकि उन्होंने कई राजनीतिक दल बदले. जहां सुबह तक अकाली दल की उम्मीदवार थीं. उसके बाद आम आदमी पार्टी की नेता हो गईं. वहीं, शाम होते-होते आखिर जालंधर पश्चिम उपचुनाव में लड़ने के लिए अकाली दल में वापस लौट आईं.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, जालंधर उपचुनाव के लिए अकाली दल की उम्मीदवार सुरजीत कौर के लिए मंगलवार का दिन काफी असमंजस भरा रहा. क्योंकि वह 10 जुलाई को होने वाले जालंधर पश्चिम विधानसभा उपचुनाव से पहले मुश्किल राजनीतिक मैदान में उतरने की कोशिश कर रही थीं. वहीं, शिरोमणि अकाली दल में आंतरिक संघर्ष जारी रहने के बीच दो बार पार्षद रह चुकीं कौर ने पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर नामांकन पत्र दाखिल किया और पार्टी का चुनाव चिन्ह “तकड़ी” हासिल किया.
बागी गुट के संपर्क में थीं सुरजीत कौर
वहीं, शिरोमणि अकाली दल ने आधिकारिक तौर पर कहा था कि वह एससी-आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र में बहुजन समाज पार्टी का समर्थन करेगी. जबकि, सुरजीत कौर की नजदीकियों के कारण एसएडी ने उनसे नाता तोड़ लिया. जिसके बाद अकेले खड़ी सुरजीत कौर मंगलवार सुबह आप में शामिल हो गईं और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने उनका स्वागत किया.
अकाली दल के उम्मीदवार के तौर पर लड़ेंगी उपचुनाव- सुरजीत कौर
उन्होंने कहा, मैं आम लोगों और उनके विकास के लिए काम करने वाली पार्टी का समर्थन करने के लिए आप में शामिल हो रही हूं. अब मैं आप उम्मीदवार मोहिंदरपाल भगत का समर्थन करूंगी. लेकिन शाम होते-होते 60 वर्षीय कौर अकाली दल में वापस आ गईं और दावा किया कि वह अभी भी “दिल से अकाली” हैं और उन्हें सत्ताधारी पार्टी में शामिल होने के लिए मजबूर किया गया है. उन्होंने कहा कि वह अकाली दल के उम्मीदवार के तौर पर उपचुनाव लड़ेंगी.
शीतल अंगुराल के इस्तीफे के बाद सीट हुई थी खाली
शिरोमणि अकाली दल के प्रवक्ता दलजीत सिंह चीमा ने पार्टी के बागी नेताओं पर कौर को मुश्किल हालात में डालने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, “जब शिअद ने बसपा को समर्थन दिया था तो इन नेताओं (बागी) को उन्हें चुनावी लड़ाई में धकेलने के बजाय उनका मार्गदर्शन करना चाहिए था. उन्होंने एक निर्दोष महिला का शोषण किया. जालंधर पश्चिम उपचुनाव की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि विधायक शीतल अंगुराल ने लोकसभा चुनाव से पहले आप छोड़ दी और भाजपा में शामिल हो गए.
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