aimim chief asaduddin owaisi raised question modi govt On implementation eve new criminal laws
New Criminal Laws: देशभर में सोमवार (1 जुलाई) से तीन नए आपराधिक कानून लागू हो जाएंगे. इन कानूनों से भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में काफी बदलाव आएंगे और औपनिवेशिक काल के कानूनों का अंत हो जाएगा. इस बीच ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह नए कानूनों से जुड़े ‘प्रमुख मुद्दों’ को हल करने के लिए कुछ नहीं कर रही है.
हैदराबाद से लोकसभा सांसद ने असदुद्दीन ओवैसी पिछले साल दिसंबर के अपने लोकसभा भाषण का एक वीडियो सोशल मीडिया एक्स पर शेयर किया है. जिसमें ओवैसी तीन नए कानूनों का विरोध कर रहे हैं. ओवैसी एक्स पर शेयर करते हुए लिखा कि, कल से तीन नए आपराधिक कानून लागू हो जाएंगे. इनके क्रियान्वयन में बड़ी समस्याओं के बावजूद सरकार ने इन्हें दूर करने के लिए कुछ नहीं किया है. ओवैसी ने कहा कि ये वे मुद्दे थे जिन्हें मैंने इनके लागू होने का विरोध करने के लिए उठाया था.
नए कानून ‘नागरिक स्वतंत्रता और अधिकारों के लिए खतरा- ओवैसी
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि इन नए कानूनों के प्रावधान ‘लोगों की नागरिक स्वतंत्रता और अधिकारों के लिए खतरा’ हैं. उन्होंने कहा कि ये पुलिस को किसी के भी खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पावर देते हैं. उदाहरण के लिए, ओवैसी ने 20 दिसंबर, 2023 के अपने भाषण में राजद्रोह को ‘अलग अवतार’ में लागू करने की ओर इशारा किया था. उन्होंने बताया था कि इस अपराध के लिए सजा को 3 साल से बढ़ाकर 7 साल करने का प्रस्ताव किया गया था.
The three new #criminallaws will come into force tomorrow. Despite major issues in their implementation, the govt has done nothing to address them. These were the points I had raised to oppose their introductionpic.twitter.com/p5NuXMIiRk
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) June 30, 2024
मुस्लिमों, दलितों और आदिवासियों के लिए ये कानून हैं खतरा
हैदराबाद लोकसभा सीट से एआईएमआईएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने दावा किया था, ये कानून देश के मुसलमानों, दलितों और आदिवासियों के लिए खतरा होंगे. देश भर में 30% कैदी और अकेले उत्तर प्रदेश में 33% कैदी मुसलमान हैं. बता दें कि, भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम ब्रिटिश काल के क्रमश: भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेंगे.