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धान उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों को बताया गया ये नया नुस्खा, नाइट्रोजन की पूर्ति में मिलेगी मदद



<p style="text-align: justify;"><strong>MP Farmer News:</strong> मध्य प्रदेश के किसान कल्याण और कृषि विकास विभाग ने धान की फसल में उत्पादन बढ़ाने के लिये किसानों को एक नया नुस्खा बताया है. विभाग ने प्राकृतिक नाइट्रोजन की पूर्ति के लिए अजोला का उपयोग करने की सलाह दी है. किसानों को बताया गया है कि अजोला एक जैव उर्वरक है और रोपाई के पहले धान के खेतों में इसे डालकर से 5 से 15 प्रतिशत तक उत्पादन बढ़ाया जा सकता है.</p>
<p style="text-align: justify;">किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग जबलपुर के उप संचालक रवि आम्रवंशी ने बताया कि अजोला एक तैरती हुई फर्न है, जो शैवाल से मिलती-जुलती है. सामान्यतः अजोला धान के खेत या उथले पानी में उगाई जाती है. यह तेजी से बढ़ती है. अजोला एक जैव उर्वरक है. एक तरफ जहां इसे धान की उपज बढ़ती है, वहीं दूसरी तरफ ये कुक्कुट, मछली और पशुओं के चारे के काम आता है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>फसल को नत्रजन की पूर्ति करता है</strong><br />बता दे कि, अजोला पानी में पनपने वाला छोटे बारीक पौधों की जाति का होता है. इसे वैज्ञानिक भाषा में फर्न कहा जाता है. अजोला की पंखुड़ियो में एनाबीना नामक नील हरित काई के जाति का एक सूक्ष्मजीव होता है, जो सूर्य के प्रकाश में वायुमंडलीय नत्रजन का यौगिकीकरण करता है. यह हरे खाद की तरह फसल को नत्रजन की पूर्ति करता है.</p>
<p style="text-align: justify;">उप संचालक किसान कल्याण आम्रवंशी के अनुसार अजोला की विशेषता यह है कि यह अनुकूल वातावरण में 5 दिनों में ही दो-गुना हो जाता है. यदि इसे पूरे वर्ष बढ़ने दिया जाये तो 300 टन से भी अधिक सेन्द्रीय पदार्थ यानी 40 किलोग्राम नत्रजन प्रति हेक्टेयर पैदा किया जा सकता है. अजोला में 3 से 5 प्रतिशत नत्रजन और कई तरह के कार्बनिक पदार्थ होते हैं, जो भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ती हैं.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>उत्पादन में की जा सकती है वृद्धि</strong><br />धान के खेतों में इसका उपयोग सुगमता से किया जा सकता है. दो से चारों इंच पानी से भरे खेत में दस टन ताजा अजोला को रोपाई के पूर्व डाल दिये जाने से धान की फसल में लगभग पांच से पन्द्रह प्रतिशत तक उत्पादन में वृद्धि की जा सकती है. इस फर्न का रंग गहरा लाल या कत्थई होता है. धान के खेतों, छोटे-छोटे पोखर या तालाबों में यह अक्सर दिखाई देती है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>अजोला बनाने की विधि</strong><br />किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग के मुताबिक पानी के पोखर या लोहे के ट्रे में अजोला कल्चर बनाया जा सकता है. पानी की पोखर या लोहे के ट्रे में 5 से 7 सेंटीमीटर पानी में 100 से 400 ग्राम कल्चर प्रति वर्ग मीटर की दर से मिलाने से अजोला कल्चर बहुत तेज गति से बढ़ता है. यह 2 से 3 दिन में ही दुगना हो जाता है. अजोला कल्चर डालने के बाद दूसरे दिन से ही एक ट्रे या पोखर में अजोला की मोटी तह जमना शुरू हो जाती है, जो नत्रजन स्थिरीकरण का कार्य करती है. इस प्रकार अजोला का उपयोग करके किसान कम रासायनिक उर्वरक का उपयोग करके भी अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं.</p>
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