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क्लाइमेट चेंज ने छीना चैन और नींद, मुंबई में 3 गुना बढ़ गईं गर्म रातें, कई शहरों में टूटे 50 साल के रिकॉर्ड




मुंबई:

जलवायु परिवर्तन (Climate Change) न सिर्फ दिन, बल्कि रात में भी बढ़ते तापमान (Global Warming) की वजह बन रहा है. इस कारण लोगों की नींद प्रभावित हो रही है. उनके स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है. क्लाइमेट सेंट्रल और क्लाइमेट ट्रेंड्स के नए विश्लेषण में यह जानकारी सामने आई है. गर्म रातों के मामले में कई शहरों में 5 दशक के रिकॉर्ड टूटे हैं. मेट्रो शहर मुंबई में सबसे ज्यादा बदलाव देखने को मिला है. यहां 65 अतिरिक्त गर्म रातें रही हैं.

क्लाइमेट सेंट्रल की स्लीपलेस नाइट्स नाम की रिपोर्ट के मुताबिक, 2018 से 2023 के बीच पंजाब, जम्मू-कश्मीर, आंध्र प्रदेश, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र और तमिलनाडु के शहरों में जलवायु परिवर्तन की वजह से वर्ष में करीब 50 से 80 अतिरिक्त रातें ऐसी दर्ज की गई हैं, जब तापमान 25 डिग्री सेल्सियस की सीमा को पार कर गया. 

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क्लाइमेट सेंट्रल और क्लाइमेट ट्रेंड्स की स्टडी के मुताबिक, मुंबई में रात के तापमान में सबसे ज़्यादा बदलाव देखे गए हैं. ग्लोबल वार्मिंग के कारण ठाणे, भिवंडी, उल्हासनगर जैसे शहरों में हालत और भी खराब रही. ठाणे और भिवंडी में औसतन 70 रातें और कल्याण-उल्हासनगर में 72 रातें ज्यादा गर्म रहीं. संस्था ने रात में 20 से 25 डिग्री तापमान के आधार पर 2018 से 2023 के बीच देश के अलग-अलग शहरों के हालात का भी विश्लेषण किया है. 

स्टडी में 300 शहरों को किया गया शामिल
इस स्टडी में 1 लाख से ज़्यादा आबादी वाले लगभग 300 शहरों को शामिल किया गया. इसमें पाया गया कि जलवायु प्रभावों के कारण औसतन गर्म रातों की संख्या में लगभग 32 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. पश्चिम बंगाल और असम पर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ा है. जलपाईगुड़ी, गुवाहाटी, सिलचर, डिब्रूगढ़ और सिलीगुड़ी जैसे शहरों में औसतन हर साल 80 से 86 अतिरिक्त रातों का तापमान 25 डिग्री से ऊपर पहुंच गया.

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कई शहरों में 50 से 80 दिन अधिक तापमान बढ़ा 
केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, पंजाब, जम्मू-कश्मीर और आंध्र प्रदेश के शहरों में जलवायु परिवर्तन के कारण लगभग 50 से 80 दिन अधिक तापमान बढ़ा है. 

वर्ल्ड रिसोर्सेज़ इंस्टिट्यूट के इंडिया प्रोग्राम मैनेजर प्रणव गरीमेल्ला बताते हैं, “संयुक्त राष्ट्र की संस्था अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की हालिया स्टडी में आगाह किया गया है कि ग्लोबल वार्मिंग की वजह से भारत में 2030 तक काम के घंटों में 5.8% तक की कमी आएगी. ये 3.4 करोड़ नौकरियां खोने के बराबर है. इसका सबसे ज्यादा असर कृषि और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर होगा.

कई शहरों में 5 दशक के रिकॉर्ड टूटे
गरीमेल्ला बताते हैं, “ग्लोबल वॉर्मिंग का असर स्वास्थ्य पर पड़ रहा है. जो लोग फील्ड में काम करते हैं, उनके लिए तो ये दोहरी मार है.” वहीं, क्लाइमेट ट्रेंड्स की कार्तिकी नेगी बताती हैं कि कई शहरों में 5 दशक के रिकॉर्ड टूट गए हैं. इससे साफ हो जाता है कि शहरों को क्लाइमेट चेंज का सबसे अधिक खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. 

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जीवाश्म ईंधन के जलने में आएगी कमी
कई स्टडीज में यह बात पहले ही स्थापित हो चुकी है कि सदी के अंत तक जीवाश्म ईंधन के जलने में बहुत बड़ी कमी किए बिना, गर्म मौसम के दौरान कुछ स्थानों पर रात का तापमान 25 डिग्री सेल्सियस से नीचे नहीं जाएगा. अगर हम अभी कार्रवाई नहीं करते हैं, तो रातें गर्म, लंबी और नींद रहित होती रहेंगी. खासकर कमजोर लोगों की सेहत पर इसका असर पड़ेगा.

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