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मणिपुर में नेशनल हाईवे पर कथित उत्पीड़न और अवैध ‘कर’ वसूली के खिलाफ छात्र संगठन का “असहयोग आंदोलन”


मणिपुर (Manipur) के सेनापति जिले में नगा जनजातियों (Naga tribes) के एक प्रभावशाली छात्र संगठन ने नेशनल हाईवे पर कथित उत्पीड़न, जबरन वसूली और धमकियों को लेकर “असहयोग आंदोलन” शुरू किया है. सेनापति जिला छात्र संघ (SDSA) ने डिप्टी कमिश्नर और जिला पुलिस प्रमुख को भेजे गए एक बयान में राष्ट्रीय राजमार्ग-2 पर मुक्त आवाजाही सुनिश्चित करने और “किसी भी तरह के उत्पीड़न” को समाप्त करने की अपील की है. ​​

एसडीएसए ने आरोप लगाया कि 19 जून की रात को “हमारी जमीन पर” एक ट्रक में आग लगा दी गई. एसडीएसए ने कहा, “हम आगजनी की इस घटना की कड़ी निंदा करते हैं. यह सभी समुदायों की सुरक्षा और भलाई के लिए एक गंभीर खतरा है. हम मांग करते हैं कि दोषियों पर मामला दर्ज किया जाए और जल्द से जल्द कानून के अनुसार उन्हें उचित सजा दी जाए.” 

नागा बहुल क्षेत्र में छात्र संघ ने सभी व्यवसायों से कुकी जनजातियों (Kuki tribes) के साथ किसी भी तरह के वाणिज्यिक लेन-देन में शामिल न होने को कहा है. उसने कहा कि यह कदम “अनुचित आक्रामकता का जवाब देने और हमारे समुदाय के हितों की रक्षा करने के लिए” जरूरी था.

एसडीएसए ने आरोप लगाया कि कांगपोकपी की कुकी निकाय कमेटी ऑन ट्राइबल यूनिटी (CoTU) ने “हमारे बयानों और दलीलों को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया है.” नेशनल हाईवे 2 कुकी बहुल कांगपोकपी जिले से होकर गुजरता है.

एसडीएसए के एक प्रमुख सदस्य ने एनडीटीवी से कहा, “हमने यह असहयोग इसलिए शुरू किया क्योंकि वे हमारे लोगों को परेशान कर रहे थे. हमारे लोग हर दिन काम के लिए इम्फाल और अन्य जगहों पर जाते हैं. हम राजमार्ग का उपयोग करते हैं और हम भारी अवैध करों का भुगतान करते हैं. उन्होंने अब नगा क्षेत्र में एक ट्रक को जला दिया है.”

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एसडीएसए सदस्य ने कहा कि मणिपुर में जातीय तनाव के बीच वे किसी भी समुदाय के साथ झगड़े में नहीं पड़ना चाहते.

एसडीएसए सदस्य ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “वास्तव में हमने उनकी मदद की है. पिछले साल जब हिंसा भड़की थी, तो कई घायल कुकी लोगों को नगालैंड के अस्पतालों में ले जाया गया था. कई लोगों को भोजन और आश्रय दिया गया.”

एसडीएसए सदस्य ने कहा, “उन्होंने राजमार्ग का उपयोग करने वाले गरीब अंडा विक्रेताओं से लाखों रुपये का ‘कर’ भी मांगा है. हम उन पर अधिक बोझ डालने की मानसिकता में नहीं हैं, लेकिन अगर वे हमारे लोगों को परेशान करना और निशाना बनाना बंद नहीं करते हैं और राजमार्ग पर मुक्त आवागमन की इजाजत नहीं देते हैं, तो हम भी नहीं रुकेंगे.”  कुकी निकाय CoTU ने अभी तक एसडीएसए के बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.

पहाड़ी इलाकों में रहने वाली कुकी जनजातियां मई 2023 से घाटी में रहने वाली मैतेई जनजाति के साथ संघर्षरत है. इसमें 220 से ज़्यादा लोग मारे गए हैं और करीब 50,000 लोग आंतरिक रूप से विस्थापित हुए हैं.

नगा और कुकी जनजातियों के बीच 90 के दशक की शुरुआत में भी संघर्ष हुआ था.




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