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Maharashtra Election: लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद अब महाराष्ट्र चुनावी मोड में आ चुका है. तीन-चार महीने बाद यहां चुनाव होने हैं और अभी से सियासत गरमाने लगी है. असल में एनडीए को प्रदेश में मिली करारी हार को लेकर आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो चुका है. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने 400 वाले नारे को हार की वजह बताया तो आरएसएस के मुखपत्र ऑर्गेनाइजर ने अजित पवार ने एनसीपी से गठबंधन को हार का जिम्मेदार ठहरा दिया.
हालांकि, ऐसा नहीं है कि सिर्फ एनडीए में दरार देखने को मिल रही है. ऐसी ही तकरार इंडिया गठबंधन के सहयोगियों के बीच भी देखने को मिल रही है. जहां एक ओर उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना-यूबीटी की कांग्रेस संग बात नहीं बन पा रही है. उद्धव ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में अकेले उतरने का भी मन बना लिया है. महाराष्ट्र में विधानसभा सीटों की संख्या 288 है और बहुमत के लिए 145 सीटों की जरूरत होती है.
आरएसएस ने एनसीपी पर साधा निधाना
दरअसल, महाराष्ट्र में सिर्फ एक सीट जीतने वाली अजित पवार की एनसीपी लोकसभा चुनाव के बाद निशाने पर हैं. आरएसएस के मुखपत्र ऑर्गेनाइजर में छपे एक लेख ने एनडीए में मचे घमासान को और भी ज्यादा हवा दे दी है. ऑर्गेनाइजर में लिखा है, “महाराष्ट्र में जो राजनीतिक प्रयोग किया गया, उसकी जरूरत नहीं थी. एनसीपी का अजित पवार वाला गुट बीजेपी के साथ आ गया, जबकि बीजेपी और विभाजित शिवसेना के पास पर्याप्त बहुमत था.”
इसमें आगे लिखा गया, “एनसीपी में चचेरे भाई-बहनों में जिस तरह की कलह चल रही है, उससे शरद पवार दो-तीन साल में ही फीके पड़ जाते. ऐसे में अजित पवार को लेने का अविवेकपूर्ण कदम क्यों उठाया गया? बीजेपी ने एक झटके में अपनी ब्रांड वैल्यू कम कर दी.”
ऑर्गेनाइजर में छपे इस लेख से हड़कंप मचना तय था. एनसीपी ने भी तीखी प्रतिक्रिया देने में देर नहीं की. एनसीपी नेता सूरज चौहान ने कहा कि आरएसएस ने जो भी लिखा है उससे हमारी पार्टी के ब्रांड को डैमेज करने की कोशिश की गई है और अगर ऐसा कोई करेगा तो हमे भी सामने आना पड़ेगा.
शिंदे ने बीजेपी पर फोड़ा हार का ठीकरा
एनडीए में मची ये खींचतान विधानसभा चुनाव से पहले उसके लिए खतरे की घंटी है. पहले भी नई सरकार के गठन के समय एनसीपी के मंत्री पद लेने से इनकार कर दिया था और इससे मुंबई से लेकर दिल्ली तक एनडीए की किरकिरी हुई थी. अब ऑर्गेनाइजर का साफ शब्दों में हार के लिए एनसीपी को वजह बताना इशारा कर रहा है कि महाराष्ट्र की सियासत में सब ठीक नहीं.
वहीं, सीएम एकनाथ शिंदे ने 400 वाले नारे को महाराष्ट्र में हार की एक बड़ी वजह बताया था. उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव के लिए 400 पार का जो नारा दिया गया था. उसकी वजह से लोगों के मन में एक आशंका बन गई. विपक्ष ने भी इसे लेकर झूठा नैरेटिव बनाया. इस नारे को लेकर विपक्ष ने ऐसा माहौल तैयार कर दिया था कि अगर एनडीए को 400 से ज्यादा सीटें मिल गई तो संविधान बदल दिया जाएगा.
कांग्रेस और शिवसेना-यूबीटी में भी पड़ने लगी दरार
उद्धव ठाकरे क्या चाहते हैं? ये चर्चा मुंबई से लेकर दिल्ली तक के सियासी गलियारों में गर्म है. असल में चुनाव नतीजों के बाद से ही प्रदेश का जो सियासी परिदृश्य बदला है उसने कई सवाल खड़े कर दिए हैं. कांग्रेस प्रदेश में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है और इसका असर उद्धव ठाकरे की शिवसेना पर होने का अंदेशा है. अब खबर तो ये उड़ गई है कि विधानसभा में उद्धव अकेले उतरने का मन बना रहे हैं.
क्या महाराष्ट्र की सियासत में कोई नया खेल होने वाला है? क्या उद्धव ठाकरे की कांग्रेस से अनबन हो गई है? क्या उद्धव ठाकरे विधानसभा चुनाव में अलग लड़ने की तैयारी कर रहे हैं? महाराष्ट्र की सियासत में ये सवाल तेजी से चर्चा में है.
एबीपी न्यूज को जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक उद्धव ठाकरे की शिवसेना यूबीटी महाराष्ट्र विधानसभा में अपने दम पर लड़ने की तैयारी में जुट गई है. बुधवार को मुंबई में पार्टी नेताओं की बैठक हुई जिसमें पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे भी शामिल हुए. खबर है कि मीटिंग में उद्धव ने पार्टी नेताओं से कहा कि वो सभी विधानसभा के लिये तैयार हो जाएं.
क्यों अकेले चुनाव लड़ना चाहते हैं उद्धव ठाकरे?
अब सवाल ये कि क्या कांग्रेस से उद्धव की नहीं बन रही है? इस सवाल के पीछे की तीन वजह मुंबई से लेकर दिल्ली तक के पॉलिटिकल कॉरिडोर में चर्चा में है. पहली वजह महाराष्ट्र में कांग्रेस का सबसे बड़ी पार्टी बन जाना है. दूसरी वजह सांगली लोकसभा सीट पर कांग्रेस से मतभेद है और तीसरी वजह विधान परिषद में उम्मीदवारों को लेकर तनातनी है.
लोकसभा चुनाव के दौरान सांगली सीट को लेकर कांग्रेस और शिवसेना में तनातनी रही. कांग्रेस इस सीट पर दावा कर रही थी लेकिन सीट मिली शिवसेना को. कांग्रेस के दावेदार विशाल पाटिल निर्दलीय चुनाव लड़ गये और जीत भी गये. यहां उद्धव का उम्मीदवार तीसरे नंबर पर पहुंच गया. कहा गया कि गठबंधन धर्म का पालन यहां नहीं किया गया.
सांगली के सांसद विशाल पाटिल कांग्रेस को समर्थन दे चुके हैं. लोकसभा चुनाव नतीजों को देखें तो महाराष्ट्र में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बन चुकी है. इंडिया गठबंधन ने महाराष्ट्र में 30 सीटें जीती हैं. 17 सीट लड़कर कांग्रेस को 13 सीट मिली है, 21 सीट लड़कर शिवसेना यूबीटी को 9 सीट मिली है और 10 सीट लड़कर एनसीपी- शरद को 8 सीट हासिल हुई हैं.
इस हिसाब से विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ज्यादा सीटों पर दावा कर सकती है. ऐसा होता है तो फिर उद्धव के लिये नई मुश्किल खड़ी हो जाएगी. उद्धव शायद इस समीकरण को समझ चुके हैं और इसी वजह से अकेले लड़ने की खबर सियासी गलियारों में तैर रही है.
वहीं, 26 जून को महाराष्ट्र में एमएलसी की 4 सीटों के लिए चुनाव होने हैं. सीट और उम्मीदवारों को लेकर कांग्रेस का प्रदेश नेतृत्व परेशान है, क्योंकि उद्धव अपने हिसाब से फैसले ले रहे हैं. कहा तो यहां तक जा रहा है कि उद्धव ठाकरे कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले का फोन तक नहीं उठा रहे. चर्चा तो यहां तक है कि उद्धव कांग्रेस के केंद्रीय नेताओं से बात कर रहे हैं लेकिन प्रदेश के नेताओं से नहीं.
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