JDU Chief Nitish Kumar Party Gets Two NDA Cabinet Birth BJP Planning 2025 Bihar Assembly Election
Nitish Kumar News: एनडीए की सरकार बन चुकी है और सभी सांसदों को उनके मंत्रालयों का कार्यभार सौंप दिया गया है. हालांकि, पोर्टफोलियों के बांटे जाने से पहले इस बात को लेकर खूब चर्चा हो रही थी कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू को क्या मिलने वाला है. मगर जब विभागों का बंटवारा हुआ तो पता चला कि 12 सांसदों वाले जेडीयू को दो मंत्रालय मिले हैं. इस वजह हर कोई सवाल कर रहा है कि क्या सच में नीतीश को इंडिया गठबंधन छोड़कर एनडीए में आने का फायदा हुआ है.
दरअसल, एनडीए सरकार में 30 कैबिनेट मंत्री हैं, जिसमें सहयोगी दलों के सांसदों को भी जगह दी गई है. जेडीयू के राजीव रंजन सिंह, जेडीएस के एचडी कुमारस्वामी, हम (सेक्युलर) प्रमुख जीतन राम मांझी, टीडीपी के के. राम मोहन नायडू और एलजेपी-आरवी नेता चिराग पासवान को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है. लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद टीडीपी के साथ-साथ जेडीयू किंगमेकर बनकर उभरी, लेकिन इसका फायदा उसे विभागों के बंटवारे में देखने को नहीं मिला है.
क्या रही थी जेडीयू की मांग और उसे क्या मिला?
हैरानी वाली बात ये है कि विभागों के बंटवारे से पहले इस बात को लेकर चर्चा हो रही थी कि नीतीश कुमार रेल मंत्रालय, कृषि मंत्रालय और वित्त मंत्रालय मांग रहे हैं. जेडीयू के सूत्र भी लगातार इस बात की जानकारी दे रहे थे. कहा गया कि बिहार में बीजेपी और जेडीयू के 12-12 सांसद हैं, इसलिए दोनों पार्टियों को मंत्री पद भी बराबर दिया जाएगा. मगर शपथ ग्रहण के दौरान बीजेपी के चार सांसदों ने मंत्री पद की शपथ ली, जबकि जेडीयू से मात्र दो सांसदों ने. बता दें कि इस बार बिहार से आठ सांसद मंत्री बनाए गए हैं.
विभागों के बंटवारे के बाद ये बात और भी ज्यादा साफ हो गई कि जेडीयू की जो मांग थी, उसे उससे बहुत कम मिला है. मुंगेर से जेडीयू सांसद राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह को पंचायती राज, मत्स्य एवं पशुपालन मंत्रालय का जिम्मा सौंपा गया है. वहीं राज्यसभा सांसद रामनाथ ठाकुर को कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री बनाया गया है. ऐसे में कहीं न कहीं जेडीयू की जो मांग रही है, उससे उसे बहुत कम दिया गया है. हालांकि, ऐसा नहीं है कि एनडीए में नीतीश कुमार के हाथ खाली रह गए हैं.
नीतीश कुमार को एनडीए से क्या मिल रहा है?
दरअसल, जब नीतीश कुमार एनडीए में शामिल हुए तो उन्हें एक बार फिर से बिहार का मुख्यमंत्री बनाया गया. बीजेपी के खाते से डिप्टी सीएम बने. इस तरह बिहार की राजनीति एक बार फिर से नीतीश के इर्द-गिर्द घूमने लगी. वह महागठबंधन वाली सरकार में भी मुख्यमंत्री थे, लेकिन आरजेडी नेता तेजस्वी यादव के बढ़ते कद की वजह से कहीं न कहीं उनकी राजनीति पतन की ओर बढ़ने लगी थी. एनडीए में शामिल होकर और लोकसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन कर नीतीश ने खुद को साबित किया है.
बिहार में 2025 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. बीजेपी के पास बिहार में ऐसा कोई नेता नहीं है, जिसे वह मुख्यमंत्री के तौर पर प्रोजेक्ट कर सके. एनडीए में आने की वजह से बीजेपी ना चाहते हुए भी नीतीश को ही फिर से मुख्यमंत्री पद का दावेदार बनाएगी. माना जा रहा है कि भले ही नीतीश को कैबिनेट में मनमुताबिक मंत्रालय नहीं मिले हैं, लेकिन बिहार की राजनीति में वह अगले पांच-छह साल प्रासंगिक रहने वाले हैं, क्योंकि अगर एनडीए को विधानसभा चुनाव में जीत मिलती है तो नीतीश का फिर से सीएम बनना तय है.
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