Pakistani American businessman Sajid Tarar praised Narendra Modi advice Shahbaz Sharif
Sajid Tarar praised Narendra Modi: नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री रूप में शपथ लेने जा रहे हैं. इसको लेकर पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी व्यवसायी साजिद तरार ने एक बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि ये भारत और दक्षिण एशिया के लिए अच्छी खबर है.
उन्होंने भारत को लोकसभा चुनाव के शांतिपूर्ण और सफल संचालन के लिए बधाई दी है. उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरे दक्षिण एशिया क्षेत्र में स्थिरता की गारंटी हैं.
‘मोदी का नेतृत्व भारत की स्थिरता की गारंटी’
हाल में ही पाकिस्तानी-अमेरिकी व्यवसायी साजिद तरार ने पीटीआई को इंटरव्यू दिया था. इस इंटरव्यू में उन्होंने कहा, ‘मैं हमेशा ही इस बात को कहता आया हूं कि भविष्य में भारत की स्थिरता के लिए मोदी का होना जरूरी है क्योंकि इससे संविधान को अस्थिर होने से रोका जा सकता है. उनके नेतृत्व में भारत स्थिर रहेगा और वो भारत के भविष्य की गारंटी हैं.
पाकिस्तान के लोग भी लगाए हैं उम्मीद
उन्होंने आगे कहा कि मोदी के तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद पाकिस्तान के लोगों को उम्मीद है कि इससे दोनों देशों के बीच संबंध बेहतर होंगे. उन्होंने आगे कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी शामिल होंगे. लेकिन ये निराशाजनक है कि उनकी तरफ से अभी तक बधाई का संदेश नहीं दिया है.’
पाकिस्तान के लिए भी अच्छे हैं मोदी
नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा, ‘ वो सिर्फ भारत के लिए ही नहीं बल्कि पाकिस्तान के लिए भी अच्छे हैं. राजनीती की वजह से उन पर इस्लाम विरोधी और पाकिस्तान विरोधी होने के आरोप लगते हैं. आगे उन्होंने कहा,’ उनके होने से भारत-पाकिस्तान के बीच रिश्ते बेहतर होंगे और दोनों दक्षिण एशियाई देशों के बीच व्यापार में बढ़ोतरी होगी.
शाहबाज शरीफ पर साधा निशाना
पाकिस्तान को लेकर उन्होंने कहा, ‘आज पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता है और वो आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं. वो अभी भारत के खिलाफ चीन का प्रतिनिधि कर रहे हैं.’ उन्होंने उम्मीद जताते हुए कि पाकिस्तान जल्द से जल्द इसे दूर करेगा और भारत के साथ अच्छे संबंध बनाएगा.
नरेंद्र मोदी की तारीफ की
नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा, ‘जब उन्होंने संविधान को उठकर चूमा तो ये इशारा था कि वो लोकतांत्रिक सिद्धांतों पर कितना भरोसा करते हैं.’