Ram mandir Kashi Factor OBC card muslim reservation no issue worked for BJP NDA in Uttar pradesh lok sabha election 2024
Lok Sabha Election Result 2024: इस बार बीजेपी उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से सभी पर जीतने का दम भर रही थी, लेकिन एनडीए सिर्फ 36 सीटों पर ही सिमट गया. उत्तर प्रदेश के आंकड़ो पर नजर डालने पर यह पता चलता है कि यहां राम मंदिर, ओबीसी कार्ड समेत बीजेपी ने जो भी मुद्दा पकड़ा वह काम नहीं आया. इसका नतीजा ये हुआ कि यूपी में कई दिग्गजों को हार का सामना करना पड़ा.
नहीं काम आया राम मंदिर फैक्टर
इस बार माना जा रहा था कि अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा यहां बीजेपी को बड़ी चुनावी सफलता दिला सकता है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. जिस फैजाबाद लोकसभा सीट में अयोध्या आती है वहां बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा, जिसने सबको चौंका दिया. ऐसे में सवाल है कि आखिर बीजेपी अयोध्या में क्यों हारी?
बीजेपी के हार की बड़ी वजह स्थानीय उम्मीदवार के खिलाफ एंटी इनकम्बेंसी है. बीजेपी के लल्लू सिंह स्थानीय लोगों से जुड़ने में नाकाम रहे. डेवलपमेंट के लिए बड़े स्तर पर डिमोलिशन हुआ, जिससे बीजेपी को नुकसान हुआ. संविधान पर बोलना भी बीजेपी कैंडिडेट को भारी पड़ा. बीजेपी के कैंडिडेट लल्लू सिंह ने कहा था कि पार्टी को 400 सीट संविधान बदलने के लिए चाहिए. वहीं दूसरी ओर समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने यहां जाति समीकरण का ध्यान रखा, जिसका उन्हें फायदा मिला.
काशी फैक्टर भी रहा बेअसर
लोकसभा चुनाव में बीजेपी को उम्मीद थी कि राम मंदिर फैक्टर काम करेगा, लेकिन हुआ इसके विपरित. बीजेपी ने अयोध्या सहित आस-पास की पांच सीटें भी हार गई. यूपी में काशी फैक्टर भी बीजेपी के लिए बेअसर रहा. हालांकि नरेंद्र मोदी को वाराणसी सीट से जीत जरूर मिली, लेकिन पार्टी को पूर्वांचल की 26 सीटों में से 17 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा.
यूपी में काम नहीं आया राष्ट्रवाद का मुद्दा
राष्ट्रवाद भारतीय जनता पार्टी के लिए सबसे बड़े मुद्दों में से एक है. यूपी के साथ-साथ पूरे देश में बीजेपी के नेता राष्ट्रवाद के मुद्दे पर विपक्षी पार्टियों पर हावी रही, लेकिन नतीजों में उसका असर कहीं भी देखने को नहीं मिला. खासकर उत्तर प्रदेश की बात करें तो यहां अखिलेश यादव का नया नारा पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) ही काम किया.
मुस्लिम आरक्षण का मुद्दा भी पीछे छुटा
सत्ता में वापसी के लिए बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में ओबीसी और मुस्लिम कार्ड का भी सहारा लिया, लेकिन वह भी बेअसर रहा. यहां अनुप्रिया पटेल, ओपी राजभर संजय निषाद भी अपना कमाल नहीं दिखा सके, जिसका नतीजा ये हुआ कि ओबीसी वोट बीजेपी के छिटक गया. चुनावा प्रचार के दौरान नरेंद्र मोदी से लेकर बीजेपी के तमाम बड़े नेता मुस्लिम आरक्षण को लेकर कांग्रेस पर हावी थे.
बीजेपी के नेता रैलियों में आरोप लगाते थे कि कांग्रेस ओबीसी, एससी और एसटी का आरक्षण छीनकर मुस्लिमों को दे देगी, लेकिन बीजेपी की ये मुहिम काम नहीं आई. पार्टी के नेता वोटरों के इस मुद्दे को समझाने में नाकाम रहे.
मुफ्त राशन के नारे पर बेरोजगारी का मुद्दा हावी
इस लोकसभा चुनाव में बीजेपी के मुफ्त राशन, मु्फ्त मकान के नारे पर बेरोजगारी का मुद्दा हावी रहा. मुफ्त राशन और मकान के लाभार्थियों का वोटबैंक एकजुट होकर बीजेपी के पक्ष में वोट नहीं किया. उत्तर प्रदेश में बीजेपी का हाल ये रहा कि पार्टी के सात केंद्रीय मंत्रियों को बड़े अंतर से हार का सामना करना पड़ा. इसके अलावा टिकट बंटवारे में अनदेखी का खामियाजा भी बीजेपी को उठाना पड़ा. पार्टी ने कई सीटों पर दमदार उम्मीदवार नहीं खड़ा किया.