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बगावत, अदावत, जेल… एक टीचर कैसे बना CM, सिक्किम में 32 में 31 सीटें जीतने वाले प्रेम सिंह तमांग की कहानी बड़ी ‘क्रांतिकारी’ है




गंगटोक :

सिक्किम विधानसभा चुनाव (Sikkim Assembly Elections 2024) में सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (Sikkim Krantikari Morcha) ने जबरदस्‍त जीत हासिल की है और इस जीत के बाद से एक नाम देशभर में बेहद चर्चा में है और वो नाम है मुख्‍यमंत्री प्रेम सिंह तमांग (Prem Singh Tamang) का. तमांग ने सिक्किम के मुख्यमंत्री रहे पवन कुमार चामलिंग के खिलाफ विद्रोह से लेकर 2013 में अपनी खुद की पार्टी सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा बनाने तक एक लंबा सियासी सफर तय किया है. उन्होंने 2009 में सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट छोड़ने के पंद्रह साल बाद चामलिंग की पार्टी की चूले हिला दीं और 2024 में हिमालयी राज्य की 32 विधानसभा सीटों में से 31 सीटें जीतकर इतिहास रच दिया. इससे पहले केवल दो बार, 1989 और 2009 में, राजनीतिक दलों सिक्किम संग्राम परिषद और एसडीएफ ने ऐसी भारी जीत दर्ज की थी. 

तमांग (56) को योग्य संगठनकर्ता, प्रशासक और तेजतर्रार राजनीतिज्ञ माना जाता है. उन्होंने अपने व्यक्तिगत करिश्मे के साथ ही विकास और कल्याणकारी उपायों के बल पर अपनी पार्टी की सीटों और मत प्रतिशत में जबरदस्‍त इजाफा किया है. 

भ्रष्टाचार के एक मामले में 2017 में दोषी ठहराए जाने पर एक साल तक जेल में बंद रहने के बाद जेल से बाहर आए तमांग ने अपनी पार्टी को नया स्वरूप दिया.  इसके दो साल बाद ही उनकी पार्टी ने चामलिंग को सत्ता से हटा दिया और 2019 में 17 सीटें जीत लीं.

एसडीएफ ने हालांकि 15 सीट जीती थीं, लेकिन पार्टी के दो विधायकों ने दो-दो सीटों पर जीत हासिल की थी और उन्हें एक-एक सीट छोड़नी पड़ी थी, जिससे विधानसभा में पार्टी की संख्या प्रभावी रूप से 13 रह गई. 

सीट बंटवारे पर 2024 के चुनाव से पहले टूटा गठबंधन 

चामलिंग को अपने विधायकों के बड़े पैमाने पर पार्टी छोड़ने का भी सामना करना पड़ा, क्योंकि 10 विधायक भाजपा में शामिल हो गए, जबकि शेष दो विधायक एसकेएम में शामिल हो गए, जिससे वह विधानसभा में अपनी पार्टी के एकमात्र प्रतिनिधि रह गए. 

दूसरी ओर, तमांग ने अपनी शक्ति को और मजबूत करने तथा अपनी पार्टी के आधार और समर्थन का विस्तार करने के लिए महिलाओं और कमजोर वर्गों पर लक्षित कल्याणकारी योजनाओं पर ध्यान केंद्रित किया तथा भाजपा के साथ गठबंधन करके केंद्र से उदार वित्त पोषण के साथ विकास कार्यों को लागू किया. सीट बंटवारे के मुद्दे पर हालांकि 2024 के विधानसभा चुनावों से पहले गठबंधन टूट गया. 

सरकारी स्‍कूल के शिक्षक के रूप में किया काम  

कालू सिंह तमांग और धन माया तमांग के घर पांच फरवरी 1968 को जन्मे प्रेम ने पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग के एक कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और 1990 में एक सरकारी स्कूल में शिक्षक बन गए.

उन्होंने तीन साल बाद ही अपनी नौकरी छोड़ दी और 1994 में एसडीएफ की सह-स्थापना की, जिसके साथ वे लगभग 20 वर्षों तक जुड़े रहे. इस दौरान 2013 में अपनी पार्टी के गठन से पहले 15 वर्षों तक वह मंत्री रहे. एसकेएम ने 2014 के विधानसभा चुनावों में 10 सीटें जीतीं. 

भ्रष्‍टाचार के मामले में सुनाई गई थी तमांग को सजा 

चामलिंग से मतभेद के बाद तमांग ने सिक्किम की राजनीति में अकेले बढ़ने का फैसला किया और उन्हें अपने पूर्व राजनीतिक गुरु के क्रोध का भी सामना करना पड़ा. इसके बाद उन पर भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया गया था, जिसमें उन्हें एक वर्ष के कारावास की सजा सुनाई गई थी, जिसके बाद उन्हें अपर बुर्तुक सीट से विधायक के रूप में राज्य विधानसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया था. 

केंद्र सरकार ने उनके 2019 का चुनाव जीतने के बाद उनपर सार्वजनिक पद ग्रहण करने पर लगा प्रतिबंध हटा दिया. इसके बाद उन्होंने उस वर्ष 27 मई को मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली और पांच महीने बाद पोकलोक-कामरंग निर्वाचन क्षेत्र से उपचुनाव जीता, विडंबना यह है कि यह सीट चामलिंग द्वारा खाली की गई थी. पांच साल बाद, दोनों नेताओं की किस्मत ने पलटी मारी जहां तमांग ने रेनॉक और सोरेंग-चाकुंग निर्वाचन क्षेत्रों से भारी अंतर से जीत हासिल की, जबकि चामलिंग को दोनों सीटों, नामचेयबुंग और पोकलोक-कामरंग में हार का सामना करना पड़ा.

पराजय चामलिंग के राजनीतिक जीवन का अंत है?

यह पराजय चामलिंग के चार दशक लंबे सार्वजनिक जीवन का अंत हो सकती है. चामलिंग ने अपने राजनीतिक करियर में पांच बार मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया और अब तमांग सिक्किम के नए क्षत्रप होंगे.

एसकेएम प्रमुख ने हालांकि मतदाताओं के समक्ष अपनी इच्छा भी व्यक्त की है कि वह मुख्यमंत्री के रूप में दो कार्यकाल पूरा करने के बाद सार्वजनिक जीवन में नहीं रहेंगे और पार्टी की बागडोर अगली पीढ़ी के नेताओं को सौंप देंगे. 

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