What is Urban Heat Islands explained important factors responsible for urban heat Island
देश में इस वक्त गर्मी चरम पर है. दिन में तो दिन में, रात में भी लोगों को राहत नहीं है. दिल्ली में तापमान 47 से 48 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच चुका है, जबकि राजस्थान जैसे राज्यों में तो और बुरा हाल है. वैज्ञानिकों ने दिल्ली के तापमान में आए इस बदलाव के लिए अर्बन हीट आइलैंड को जिम्मेदार ठहराया है. सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट के अर्बन लैब के वरिष्ठ प्रबंधक अविकल सोमवंशी का कहना है कि गर्म रातें और दोपहर के अधिकमत तापमान जितनी ही खतरनाक होती हैं.
अर्बन हीट की वजह से सूरज ढलने के बाद भी शहरों का तापमान कम नहीं होता है. इसकी वजह से इमारतों में फंसा उत्सर्जन वातावरण में घुलता है और फिर टेंपरेचर को बढ़ा देता है, जिससे रात में भी गर्मी से सकून नहीं मिलता है. ऐसी स्थिति उन महानगरों में देखने को मिलती है, जहां पर हरित आवरण में कमी आई है और कंक्रीट का स्तर बढ़ गया है. दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई जैसे शहरों में भी हरित वातावरण में कमी आई है.
क्या होता है अर्बन हीट आइलैंड?
किसी शहर की इमारतों की बनावट उसके अर्बन हीट आइलैंड बनने के लिए जिम्मेदार होती है. जब किसी शहर के तापमान में उसके आसपास के ग्रामीण इलाकों की तुलना में ज्यादा बढ़ोतरी होती है तो उसको हीट आइलैंड कहते हैं. किसी शहर की इमारतों में किस तरह का मटीरियल इस्तेमाल किया गया है और उनकी बनावट कैसी है, वह उसके अर्बन हीट आइलैंड बनने में बड़ा फैक्टर साबित होती है. जैसे कंक्रीट गर्मी को सोखता है उससे उस क्षेत्र का तापमान ज्यादा हो जाता है. इसके अलावा, कार्बन डाई ऑक्साइड और ओजोन ग्रीन हाउस जैसी गैसें भी अर्बन हीट आइलैंड बनाने में अहम भूमिका निभाती हैं. अर्बन हीट आइलैंड के प्रभाव के कारण शहरों के नालों का पानी आसपास के इलाकों के वॉटर रिसोर्सेज की तुलना में ज्यादा गर्म होता है.
शहर क्यों बन जाते हैं अर्बन हीट आइलैंड
इमारतों की बनावट और कंक्रीट के ज्यादा इस्तेमाल तो अर्बन हीट आइलैंड की मुख्य वजह हैं ही, लेकिन कम हरियाली, जलाशयों का कम होना, वहां की बसावट, बिल्डिंगों में लगे एयरकंडीशनर और ट्रैफिक के कारण भी गर्मी बढ़ती है. इसके अलावा, इमारतों में शीशे और स्टील का ज्यादा इस्तेमाल भी इसमें इजाफा करता है. दिल्ली में गर्मी बढ़ने के लिए ये सभी फैक्टर जिम्मेदार हैं.
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