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Economic Superpower: आज भारत 21वीं सदी की आर्थिक महाशक्ति बनने की ओर तेजी से बढ़ रहा है. भारत डेवलपमेंट की तलाश में निवेशकों को अच्छा माहौल देने के लिए आने वाले समय में चीन के विकल्प के तौर पर खड़ा हो रहा है. इस काम को पीएम नरेंद्र मोदी, रिलायंस के चेयरमैन मुकेश अंबानी और उद्योगपति गौतम अडानी भारत को आर्थिक महाशक्ति बनाने में विशेष भूमिका तय कर रहे है.

न्यूज चैनल सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में डेवलपमेंट को बढ़ावा देने के लिए केंद्र की मोदी सरकार ने बड़े पैमाने पर बेसिक इनफ्रॉस्ट्रक्चर में बदलाव शुरू किए है. इसके लिए भारत डिजिटल कनेक्टिविटी को भी तेजी से बढ़ाने में लगा हुआ है, जिससे कॉमर्शियल और दैनिक जीवन दोनों में सुधार हो सकता है.

आर्थिक महाशक्ति बनाने के लिए 3 लोग निभा रहे किरदार

इस रिपोर्ट के मुताबिक, बाहरी निवेशक देश में डेवलपमेंट के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर दांव लगाने की की क्षमता की तारीफ कर रहे हैं. इस रिपोर्ट तीन लोग भारत को आर्थिक महाशक्ति बनाने के लिए विशेष भूमिक निभा रहे हैं, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उद्योगपति गौतम अडानी और मुकेश अंबानी शामिल हैं.

दरअसल, अडानी और अंबानी दोनों प्रमुख पार्टनर बन गए हैं, रिलायंस इंडस्ट्रीज और अडानी समूह, दोनों पेट्रोल-डीजल, एनर्जी से लेकर लेकर मीडिया और टेक्नॉलोजी तक के क्षेत्रों में कारोबार को फैला चुके हैं. दोनों कंपनियों की मार्केट वैल्यू 200 बिलियन डॉलर से भी ज्यादा है.

महाशक्ति बनने के लिए 8 % से ज्यादा का रखें टारगेट

रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2023 में 3.7 ट्रिलियन डॉलर इकॉनामी वाला भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, जिसे पीएम मोदी ने अपने कार्यकाल के दौरान ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को पीछे छोड़ दिया. माना जा रहा है कि आने वाले समय में ये कम से कम 6 प्रतिशत की सालाना दर से बढ़ेगी. जबकि, विशेषज्ञों का कहना है कि यदि भारत को आर्थिक महाशक्ति बनना है तो उसे 8  प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोत्तरी का टारगेट तय करना चाहिए.

इस रिपोर्ट के मुताबिक, दक्षिण एशियाई देश 21वीं सदी की आर्थिक महाशक्ति बनने की ओर तेजी से बढ़ रहे है, जो विकास की तलाश कर रहे निवेशकों और अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं में जोखिम कम करने वाले कारोबारियों के लिए चीन का विकल्प पेश कर रहा है. इस कड़ी में पीएम मोदी, अंबानी और अडानी आने वाले दशकों में भारत को आर्थिक महाशक्ति बनाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं.

युवाओं में बढ़ती बेरोजगारी है समस्या

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि जिस तरह का प्रभाव दोनों भारतीय उद्योगपतियों को मिला हुआ है, इसको देखकर अक्सर मीडिया अडानी और अंबानी दोनों की तुलना जॉन डी रॉकफेलर से करते हैं, जो गिल्डेड एज के दौरान अमेरिका के पहले उद्योगपति बने थे. जबकि, विकास दर के मामले में भारत की सफलता के बावजूद युवाओं में बढ़ती बेरोजगारी लगातार समस्या बनी हुई है. वर्ड बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2022 में देश प्रति व्यक्ति जीडीपी में 147वें स्थान पर था.

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