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NDTV Election Carnival Maharashtra Pune Seat Bjp Or Congress Who Will Win Voters Heart – NDTV इलेक्शन कार्निवल: आईटी सिटी पुणे में BJP या कांग्रेस… किसकी तरफ हवा का रुख, क्या हैं चुनावी मुद्दे?



पुणे लोकसभा क्षेत्र जिले की 6 विधानसभाओं को मिलाकर बनाया गया है. इनमें वडगांव शेरी, शिवाजीनगर, कोथरुड, पार्वती, पुणे छावनी और कस्बा पेठ शामिल हैं. यह सीट कभी कांग्रेस सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे सुरेश कलमाड़ी का गढ़ कहलाती थी. ‘कॉमनवेल्थ स्कैम’ में नाम आने के बाद यहां से उनका वर्चश्व खत्म हो गया. साल 2019 के चुनाव में पुणे लोकसभा सीट से बीजेपी के प्रत्याशी गिरीश बापट ने चुनाव जीता था. 29 मार्च 2023 को गिरीश बापट का निधन हो गया, तभी से यह सीट खाली पड़ी हुई है.

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पुणे लोकसभा सीट पर कौन-कौन उम्मीदवार?

पुणे से भारतीय जनता पार्टी ने पूर्व मेयर मुरलीधर मोहोल को मैदान में उतारा है. कांग्रेस ने रवींद्र धांगेकर को यहां से उम्मीदवार घोषित किया है. धांगेकर कस्बा पेठ में बीजेपी को हराने के लिए जाने जाते हैं. इसके अलावा असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने पुणे से अनीस सुंडके को कैंडिडेट बनाया है. पुणे में लोकसभा चुनाव के तीसरे फेज में 7 मई को वोटिंग होगी.

बीजेपी ने क्या कहा?

स्थानीय बीजेपी नेता अजित चौहान ने कहा, “पुणे में देश का हर बच्चा नौकरी करता है. देश में आईटी सेक्टर में सबसे ज्यादा नौकरियां देने वाला पुणे ही है. अलग-अलग क्षेत्रों में भी सबसे ज्यादा नौकरियां देने वाला पुणे ही है. बीजेपी देश की ऐसी पहली पार्टी है, जिसने 78 मुद्दों को अपने बूते पर सुलझाया है.”

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अजित चौहान कहते हैं, “अयोध्या में राम मंदिर बनने की खुशी इस देश के जन-जन में है. 370 धारा हटाने की खुशी देश के लोगों में है. निश्चित तौर पर बीजेपी पुणे में और भी अच्छे काम करेगी.”

कांग्रेस ने क्या कहा?

बेरोजगारी को लेकर कांग्रेस के पास क्या प्लान है? इसके जवाब में स्थानीय कांग्रेस नेता अरविंद शिंडे कहते हैं, “कांग्रेस के समय में हमें इकोनॉमिक जोन बनाए थे. आईटी सेक्टर खोले. इसी वजह से 1997 में पुणे कॉर्पोरेशन का बजट 500 करोड़ का था. 10 साल में ये 5 हजार करोड़ हो गया था. अगर ग्रोथ नहीं होती, तो आसपास के जिले के लोग पुणे में क्यों आते. मुझे उम्मीद है कि जनता इस बात को समझेगी और कांग्रेस को वोट देगी.”

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पुणे के वोटर्स की क्या है राय?

पुणे में मुख्य चुनावी मुद्दा बेरोजगारी ही है. यहां के युवा वोटर्स और फर्स्ट टाइम वोटर्स में इसे लेकर खासी नाराजगी है. एक वोटर ने कहा, “मैं कोरोना से पहले जो जॉब करता था, उसकी सैलरी ठीक थी. आज मेरी जॉब की सैलरी पहले से कम हो गई है. मैं इसलिए नाराज हूं.” एक दूसरे वोटर कहते हैं, “महंगाई भी एक मुद्दा है. महंगाई हर साल 7 या 8 फीसदी बढ़ती है, लेकिन क्या हमारी सैलरी इसके मुकाबले 9 फीसदी बढ़ रही है? पुणे के यूथ का यही  सवाल है. जाहिर तौर पर महंगाई की चोट इसलिए लग रही है, क्योंकि लोगों की पगार नहीं बढ़ रही है.”

 

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