SIPRI Report claims India is fourth largest military spender in 2023 after America China Russia
SIPRI Report: भारत साल 2023 में मिलिट्री पर खर्च करने वाला दुनिया का चौथा सबसे बड़ा देश है. यह खुलासा स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (एसआईपीआरआई) की नई रिपोर्ट से हुआ है. सोमवार (22 अप्रैल, 2024) को आई इस रिपोर्ट के मुताबिक, हिंदुस्तान में 2023 में मिलिट्री पर 83.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर खर्च किए.
ताजा डेटा के मुताबिक, इस मामले में सबसे अधिक खर्च करने वाला देश अमेरिका है, जिसके बाद दूसरे नंबर पर चीन का नाम है और तीसरे पायदान पर रूस है. वैसे, इस रिपोर्ट के जरिए यह भी पता चला कि इंडिया ने पिछले साल के मुकाबले इस मामले में 4.2 फीसदी अधिक खर्च किया. वर्ष 2022 में भी भारत मिलिट्री पर खर्च करने वाला विश्व का चौथा सबसे बड़ा मुल्क था.
भारत से चीन के सीमा विवाद के बीच आए ताजा आंकड़े
एसआईपीआरआई की इस रिपोर्ट यह भी बताती है कि 2023 में दुनिया भर के देशों ने अपनी-अपनी मिलिट्री पर 2443 बिलियन डॉलर्स खर्च किए. यह खर्च साल 2022 के मुकाबले बढ़कर 6.8 फीसदी अधिक हुआ. ताजा आंकड़े ऐसे वक्त पर आए हैं, जब भारत का चीन के साथ सीमा को लेकर कुछ वक्त से विवाद चल रहा है.
सैन्य मोर्चे पर कैसे इंडिया खुद को बना रहा मजबूत?
चीन के साथ साल 2020 में लद्दाख में हुई झड़प के बाद भारत ने डिफेंस सेक्टर में अपनी क्षमताएं और तेजी से मजबूत करने पर बल दिया था. देश फिलहाल फाइटर जेट्स, हेलीकॉप्टर्स, वॉरशिप्स, टैंक्स, आर्टिलरी गन्स, रॉकेट्स, मिसाइल्स और अन्य कॉम्बैट सिस्टम्स को और आधुनिक बनाकर मिलिट्री को नया स्वरूप दे रहा है.
SIPRI रिपोर्ट की अन्य बड़ी बातें
- मिडिल ईस्ट में 2023 में मिलिट्री पर सर्वाधिक खर्च करने वाला चौथा सबसे बड़ा देश ईरान है. एक साल में उसने 10.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर खर्च किए.
- अल्जीरिया की मिलिट्री स्पेंडिंग (सैन्य क्षेत्र में खर्च) में 76 फीसदी तक का इजाफा दर्ज किया गया है और यह बढ़कर 18.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर हुई है.
- ब्राजील के मिलिट्री खर्च में भी 3.1 प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिली. ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, 2023 में यह आंकड़ा 22.9 बिलियन डॉलर रहा.
- पोलैंड विश्व में मिलिट्री पर खर्च करने वाला 14 सबसे बड़ा मुल्क रहा और उसने 31 बिलियन डॉलर्स खर्च किए.
- डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ दि कॉन्गो के मिलिट्री खर्च में 105 फीसदी की बढ़त देखने को मिली, जबकि साउथ सूडान में यह आंकड़ा 78 फीसदी से अधिक रहा.
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