Ram Navami 2024 Ram Lalla Surya Tilak Technology in UP Ayodhya Ram Mandir Know how ISRO scientists IIA done this
Surya Tilak Technology In Ayodhya: उत्तर प्रदेश के अयोध्या में बने भव्य राम मंदिर की रामनवमी इस बार बेहद खास रही. वजह थी- रामलला का सूर्य तिलक. बुधवार (17 अप्रैल) को इससे जुड़ी तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुए, जिनमें प्रभु राम की बालरूप वाली प्रतिमा पर सीधे सूरज की किरणें ललाट पर तिलक कर रही थीं. “सूर्य तिलक” के नाम से बड़े पैमाने पर शेयर की गई ये तस्वीरें जितनी सुर्खियों में हैं उससे अधिक दिलचस्प सूर्य तिलक के लिए इस्तेमाल की गई टेक्नोलॉजी रही.
भारत जैसे देश में बेहद सीमित संसाधनों और कम से कम खर्च में अंतरिक्ष के अनंत रहस्यों को खोजने में बड़ी छलांग लग रहे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के सहयोगी वैज्ञानिक संस्थान ने इस टेक्नोलॉजी को इंस्टॉल किया है, जिसका नाम है इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (IIA). ये वही संस्थान है, जहां के वैज्ञानिकों ने इसरो के साथ मिलकर सूर्य की स्टडी के लिए Aditya-L1 भेजा है.
मंदिर ट्रस्ट के अनुरोध पर इंस्टॉल की गई टेक्नोलॉजी
अयोध्या में जब श्री राम मंदिर बन रहा था तब मंदिर निर्माण ट्रस्ट ने IIA के वैज्ञानिक क्वेश्चन टेक्नोलॉजी इंस्टॉल करने का अनुरोध किया था. इसके लिए वैज्ञानिकों ने ऑप्टिकल मैकेनिकल सिस्टम बनाया था. रामनवमी पर रामलला के ललाट पर सूर्य तिलक के लिए लगातार सूर्य की पोजीशन की स्टडी की गई.
लेंस और शीशे जैसे सामान्य टूल से हुआ सूर्य तिलक
सूर्य तिलक के लिए वैज्ञानिकों ने बहुत सामान्य टूल्स का इस्तेमाल किया. चार लेंस और चार शीशे की जरूरत पड़ी थी. सूरज की किरणों को सीधे तौर पर लेंस पर फॉल कराया गया और वहां से चार शीशे के जरिए रामलला के ललाट पर रोशनी पहुंचाई गई. अभी यह सिस्टम अस्थाई तौर पर लगा है. जब मंदिर की संरचना पूरी हो जाएगी, तब इस सिस्टम को स्थाई तौर पर लगा दिया जाएगा. सामान्य वैज्ञानिक भाषा में इसको पोलराइजेशन ऑफ लाइट कहते हैं. यानी रोशनी को केंद्रित करके इसे एक जगह फेंकना या पहुंचाना. इसके लिए लेंस और मिरर का इस्तेमाल होता है. वैज्ञानिक जिस स्थान पर सूर्य की तीव्र किरणों को एक जगह केंद्रित करना चाहते हैं उसको लेंस और मिरर से कर देते हैं.