Chirag Paswan Or Shivchandra Ram Who Will Win From Hajipur Lok Sabha Seat Check Latest Survey
ETG Survey: बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं और चुनाव को देखते हुए सरगर्मी तेज हो गई है. अलग-अलग जिलों में सभाएं हो रही हैं. पीएम मोदी (PM Modi) तक जनसभा में आने लगे हैं. बिहार में एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच सीटों का बंटवारा हो गया है. इन 40 सीटों में कुछ वीवीआईपी सीटें हैं जिस पर देश भर की नजरें टिकी हैं. इनमें से एक वीवीआईपी सीट हाजीपुर भी है. इस सीट के लिए टाइम्स नाउ और ईटीजी (Times Now ETG Survey) ने सर्वे किया है. रविवार (07 अप्रैल) की रात सर्वे का रिजल्ट जारी किया गया.
ताजा सर्वे में यह बात सामने आई कि इस वीवीआईपी सीट से चिराग पासवान की जीत सुनिश्चित मानी जा रही है. वहीं हाजीपुर सीट से आरजेडी के प्रत्याशी शिवचंद्र राम मैदान में हैं. उनकी हार हो सकती है. हालांकि ये सर्वे है. अब चुनाव के बाद देखना होगा कि फाइनल रिजल्ट क्या कुछ कहता है.
हाजीपुर सीट पर थी चाचा-भतीजे की लड़ाई
बता दें कि हाजीपुर लोकसभा सीट चिराग पासवान के लिए प्रतिष्ठा का विषय बन गया था. चाचा (पशुपति पारस) और भतीजे में इस सीट को लेकर ठन गई थी. हालांकि अंत में यह सीट चिराग पासवान के खाते में गई. चिराग पासवान पहले से जिद पर अड़े थे कि वह हर हाल में हाजीपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे. अब उनके चाचा पशुपति पारस ने भी एलान कर दिया है कि वह 40 सीटों पर एनडीए को मदद करेंगे.
2019 में लोक जनशक्ति पार्टी से चिराग पासवान के चाचा पशुपति पारस जीते थे. आरजेडी ने 2019 में भी शिवचंद्र राम को ही मौका दिया था, लेकिन पशुपति पारस ने 2,05,449 वोटों से उन्हें हराया था. एक बार फिर चिराग पासवान के सामने आरजेडी से शिवचंद्र राम हैं. ताजा सर्वे में इस बार भी शिवचंद्र राम पीछे हैं.
हाजीपुर लोकसभा सीट को समझिए
चिराग पासवान के लिए हाजीपुर पारंपरिक सीट है. 2019 में चिराग के पिता रामविलास पासवान ने अपनी यह सीट छोड़ दी और भाई पशुपति पारस को दे दी. खुद राज्यसभा चले गए थे. इससे पहले रामविलास पासवान सात बार इस क्षेत्र के सांसद रह चुके हैं. रामविलास पासवान पहली बार 1977 में हाजीपुर लोकसभा सीट से चुनाव जीते थे. पूरे देश में रिकॉर्ड कायम हुआ था. रामविलास पासवान को 4,69,007 वोट यानी 89.30 फीसद वोट हासिल हुआ था. उस वक्त कांग्रेस प्रत्याशी बालेश्वर राम को मात्र 44462 वोट ही मिला था.
इस जीत के बाद रामविलास पासवान काफी चर्चा में आ गए थे. लगातार वह इस सीट से जीतते रहे. मात्र दो बार 1984 और 2009 में इस सीट से हारे. रामविलास पासवान के रिकॉर्ड को एक बार 1991 में पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने उपचुनाव में तोड़ा था, जिन्हें 89.48 प्रतिशत वोट मिले थे. हालांकि आम चुनाव में आज तक किसी ने रामविलास पासवान का रिकॉर्ड नहीं तोड़ा है.
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