Not Only Kangana, From Mayawati To Mamata Banerjee Became The Victim Of Sexual Remarks, Many Leaders Crossed The Limits – कंगना, हेमा ही नहीं सोनिया और ममता से लेकर मायावती तक हुईं लैंगिक टिप्पणी की शिकार, इन नेताओं ने तो पार कर दी हद
माफी के बावजूद, मथुरा से भाजपा की दो बार की सांसद बहस के केंद्र में हैं. भाषण में लगभग आकस्मिक संदर्भ में एक स्टार, पत्नी और बहू के रूप में उनकी स्थिति पर आपत्ति जताई गई और उनकी पहचान को धूमिल किया गया. कई साल पहले, वह एक और आक्रामक उपमा का विषय थीं, जब राजद प्रमुख लालू यादव ने दावा किया था कि वह बिहार की सड़कों को उनके गालों जितनी चिकनी बना देंगे.
यह है टिप्पणी के कारण
महिला अधिकार कार्यकर्ता रंजना कुमारी ने पीटीआई-भाषा को बताया, “और यह केवल प्रतिद्वंद्वियों के बीच ही नहीं है, यहां तक कि राजनीतिक दलों के अंदर भी सभी महिला राजनेताओं को अपने पुरुष सहयोगियों से लैंगिक भेदभाव का सामना करना पड़ता है. आप किसी भी महिला राजनेता से पूछ सकते हैं और वह भी आपको यही बताएंगी.” दिल्ली विश्वविद्यालय के जीसस एंड मैरी कॉलेज में राजनीति विज्ञान की प्रोफेसर सुशीला रामास्वामी ने कहा कि लैंगिक समानता और बहुलवाद आधुनिक समाज के लिए आवश्यक हैं लेकिन भारत में अभी भी नवजात और असमान हैं. उन्होंने कहा कि महिलाओं का प्रतिनिधित्व कई अन्य लोकतंत्रों की तुलना में बहुत कम है. कुछ महिलाएं जो प्रतिनिधित्व कर रही हैं, वे विशेषाधिकार प्राप्त और नामचीन परिवारों से हैं.
हर बड़ी नेता पर हुई टिप्पणी
सुरजेवाला से पहले, उनकी पार्टी के नेता सुप्रिया श्रीनेत और एचएस अहीर अपने सोशल मीडिया हैंडल पर कंगना रनौत और उनके निर्वाचन क्षेत्र मंडी को जोड़ने वाले पोस्ट को लेकर मुसीबत में पड़ गए थे. श्रीनेत ने यह कहते हुए आपत्तिजनक टिप्पणी हटा दी कि यह उनके द्वारा पोस्ट नहीं की गई थी. इसके अलावा, कांग्रेस के कर्नाटक विधायक शमनूर शिवशंकरप्पा ने बीजेपी की गायत्री सिद्धेश्वरा के बारे में कहा कि वह केवल ‘खाना बनाने के लायक’ हैं. वहीं भाजपा के दिलीप घोष को ममता बनर्जी के वंश पर टिप्पणी के लिए माफी मांगनी पड़ी.चुनाव आयोग ने श्रीनेत और घोष को नोटिस जारी किया, लेकिन ऐसा लगता है कि इस चुनावी मौसम में इस तरह के दुर्भाग्यपूर्ण कमेंट आते रहेंगे. सोनिया गांधी, मायावती सहित भारतीय राजनीति की दिग्गज हस्तियां ममता बनर्जी, स्मृति ईरानी, जया प्रदा और प्रियंका गांधी वाड्रा तक सभी किसी न किसी समय राजनीति के लिंगभेद का शिकार रही हैं.
जया प्रदा पर शर्मनाक बयान
कंगना रनौत से जुड़ी हालिया घटना 2019 में भाजपा नेता और उनकी पूर्व सहयोगी जया प्रदा पर समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान की अभद्र टिप्पणी की याद दिलाती है. अगस्त 2019 में उत्तर प्रदेश के रामपुर में एक चुनावी रैली में आजम खान ने कहा, “मैं उसे (जया प्रदा को ) रामपुर लाया. आप गवाह हैं कि मैंने किसी को उसके शरीर को छूने की अनुमति नहीं दी. उसका असली चेहरा पहचानने में आपको 17 साल लग गए, लेकिन मुझे 17 दिन में पता चल गया था कि वह खाकी अंडरवियर पहनती है.”भारतीय राजनीति में स्त्री पर चर्चा करते हुए महिला अधिकार कार्यकर्ता रंजना कुमारी ने कहा कि किसी महिला के शरीर पर टिप्पणी करके उसे नीचा दिखाना एक आम मानसिकता है. उन्होंने कहा कि हालांकि ऐसे मामलों में महिला अपराधी अंततः माफी मांग लेती हैं, लेकिन पुरुष शायद ही कभी ऐसा करते हैं.
सोनिया गांधी पर भी हुई थी टिप्पणी
इसी तरह की घटनाएं 2019 के आम चुनावों के दौरान देखी गईं जब राजनीतिक दिग्गजों ने अपनी महिला प्रतिद्वंद्वियों पर अरुचिकर टिप्पणियों के साथ निशाना साधा, जिसे समकालीन राजनीतिक आख्यान में स्त्री-द्वेष के अलावा और कुछ नहीं कहा जाएगा. तत्कालीन केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को “घूंघट” के पीछे रहने की सलाह दी. वहीं एक अन्य बीजेपी नेता विनय कटियार ने कथित तौर पर पूछा कि क्या कांग्रेस नेता सोनिया गांधी राहुल गांधी को सबूत दे पाएंगी कि उनके पिता राजीव गांधी थे. कटियार ने प्रियंका गांधी वाड्रा पर भी निशाना साधते हुए कहा था कि राजनीति में पहले से ही बहुत अधिक सुंदर स्टार प्रचारक मौजूद हैं. उसी वर्ष, अभिनेता से नेता बनीं उर्मिला मातोंडकर भी लैंगिक टिप्पणी का निशाना बन गईं थीं. भाजपा के गोपाल शेट्टी ने कहा था कि उर्मिला को उनके लुक के कारण टिकट दिया गया था.
मायावती भी हुईं थी शिकार
बसपा सुप्रीमो मायावती भी 2016 में भाजपा के दयाशंकर सिंह की घिनौनी टिप्पणी का निशाना बनीं. भाजपा के तत्कालीन उत्तर प्रदेश उपाध्यक्ष की टिप्पणी के परिणामस्वरूप केशव प्रसाद मौर्य और अरुण जेटली जैसे उनकी पार्टी के सहयोगियों को संसद में मायावती से माफी मांगनी पड़ी थी. 2022 में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के खिलाफ अभद्र टिप्पणी करने पर पुलिस ने कांग्रेस नेता अजय राय के खिलाफ मामला दर्ज किया था. रामास्वामी के अनुसार, जब महिला राजनेताओं की बात आती है तो आक्रामक भाषा का बड़े पैमाने पर उपयोगपितृसत्तात्मक होता है. यह उचित शिक्षा, पोषण और जागरूकता की कमी के कारण है, जिसके परिणामस्वरूप पुरुष श्रेष्ठता की विकृत धारणा होती है. हमारे पास एक उदार राजनीतिक संरचना है, लेकिन एक उदार समाज का तदनुरूप विकास एक सतत प्रक्रिया है और इसमें समय लगेगा.
दिग्विजय सिंह ने तो हद पार कर दी
यह पहली बार नहीं है जब बीजेपी के घोष ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और बनर्जी पर निशाना साधा है. ममता बनर्जी को पश्चिम बंगाल में 2021 विधानसभा चुनावों के लिए प्रचार करते समय प्लास्टर में देखा गया था. पुरुलिया में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए घोष ने कहा, “हमने कभी किसी को अपना प्लास्टर उतारते नहीं देखा. यह क्या जादू है? उन्होंने अपना एक पैर खुला करके साड़ी पहनी हुई है. मैंने कभी किसी को इस तरह साड़ी पहनते नहीं देखा. इसके बजाय बरमूडा पहनें ताकि हर कोई स्पष्ट रूप से देख सके. कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कांग्रेस की ही एक महिला नेता पर बेहद अभद्र टिप्पणी की थी. 2013 में दिग्विजय सिंह ने मंदसौर से तत्कालीन सांसद मीनाक्षी नटराजन को “सौ टका टंच माल” (100 प्रतिशत शुद्ध सामग्री या पूरी तरह से बेदाग) कहा था, जिसके परिणामस्वरूप उनकी आलोचना हुई थी.