Lok Sabha Election 2024 Arun Goel Resigns Know How ECI Election Commissioners Are Appointed Tenure of EC
Election Commissioners Appointment: चुनाव आयुक्त अरुण गोयल ने लोकसभा चुनाव 2024 के कार्यक्रम की संभावित घोषणा से कुछ दिन पहले शनिवार (9 मार्च) को अपना इस्तीफा दे दिया है. उनका कार्यकाल दिसंबर 2027 तक था. उनके अचानक इस्तीफे की वजह सामने नहीं आई है. कानून मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अरुण गोयल का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है. मामले पर राजनीति भी गरमाती दिख रही है क्योकि कांग्रेस ने गोयल के इस्तीफे पर केंद्र सरकार को घेरा है. आखिर कैसे होती है चुनाव आयुक्त नियुक्ती, आइये जानते हैं.
इस कानून के तहत होती है CEC और EC की नियुक्ति
मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) और चुनाव आयुक्त (EC) की नियुक्ति ‘मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि) अधिनियम, 2023′ के प्रावधानों के तहत की जाती है. इस अधिनियम ने ‘चुनाव आयोग (चुनाव आयुक्तों की सेवा की शर्तें और कामकाज का संचालन) अधिनियम, 1991’ की जगह ली है.
भारत के राष्ट्रपति चयन समिति की सिफारिशों के आधार पर मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करते हैं. चयन समिति की अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते हैं. चयन समिति में लोकसभा में विपक्ष के नेता और पीएम की ओर से नामित केंद्रीय कैबिनेट के एक मंत्री भी शामिल होते हैं. पहले चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की सिफारिश करने वाले पैनल में मुख्य न्यायाधीश (CJI) भी शामिल थे.
नए कानून के मुताबिक, चयन प्रक्रिया के लिए कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली एक सर्च कमेटी चयन समिति को पांच नाम सुझाती है. चयन समिति सर्च कमेटी की ओर से सुझाए गए व्यक्ति के अलावा किसी अन्य नाम पर भी विचार कर सकती है.
एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया क्या होता है?
एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया में शामिल है कि सीईसी और ईसी को ईमानदार व्यक्ति होना चाहिए. उसके पास चुनावों के प्रबंधन और संचालन को लेकर जानकारी और अनुभव होना चाहिए और वह सरकार में सचिव या समकक्ष पद पर रहा हो.
इस अधिनियम के अनुसार, सीईसी और ईसी छह साल की अवधि के लिए या 65 वर्ष की आयु तक (जो भी पहले हो) पद पर बने रहते हैं. वे सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों के समान स्थिति, वेतन और भत्तों के हकदार होते हैं. अधिनियम में यह भी कहा गया है कि मुख्य चुनाव आयुक्त को हटाने का कार्य सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश की तरह ही किया जा सकता है.
इससे पहले विपक्ष सिलेक्शन पैनल से सीजेआई को हटाकर कथित तौर पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना करने के लिए मोदी सरकार की आलोचना कर चुका है.
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