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1962 Mobile veterinary services launches in Shimla by Himachal Pradesh cm Sukhvinder Singh Sukhu ann


Himachal Pradesh News Today: दुनियाभर में हिमाचल प्रदेश की पहचान देवभूमि के रूप में है. देवभूमि में पशुओं का भी मानव जीवन की तरह सम्मान हो, इसके लिए सरकार प्रतिबद्धता के साथ काम कर रही है. हिमाचल प्रदेश सरकार सड़कों पर घूमने वाले बेसहारा पशुओं के उत्थान को लेकर भी सजग नजर आ रही है. साथ ही लोगों से पशुओं से प्रेम और उनके प्रति दयालुता को लेकर अनुरोध किया. 

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने शिमला में पशुपालन विभाग की ‘1962 मोबाइल पशु चिकित्सा सेवा’ की शुरुआत की. इसके तहत पहले चरण में 44 विकास खंडों में एंबुलेंस उपलब्ध करवाई गई है. इस पर 7.04 करोड़ रुपये की धनराशि खर्च की गई है.

इनमें से बिलासपुर, ऊना, सोलन और कुल्लू में तीन-तीन, लाहौल-स्पीति में दो, मंडी और शिमला में पांच, चंबा, सिरमौर और हमीरपुर में चार-चार, किन्नौर में एक और कांगड़ा जिला में सात मोबाइल एंबुलेंस उपलब्ध करवाई जा रही हैं. इसके अलावा मुख्यमंत्री सुक्खू ने पशु संजीवनी कॉल सेंटर की भी शुरुआत की है. 

एक कॉल से होगा समस्या का समाधान

हिमाचल प्रदेश में इन दोनों सेवाओं के आरंभ होने से प्रदेश के पशुपालन किसी भी कोने से टोल फ्री नंबर 1962 पर कॉल कर आपात स्थिति में गंभीर पशु रोगों के उपचार के लिए पशु चिकित्सा सेवा अपने घर पर हासिल कर सकते हैं. हर एंबुलेंस के साथ एक पशु चिकित्सक और एक फार्मासिस्ट उपलब्ध होंगे. जब भी किसी पशुपालक को आपात स्थिति में मदद चाहिए होगी, तो वह टोल फ्री नंबर 1962 पर कॉल कर सकेंगे. प्रदेश में पशु चिकित्सा सेवा कार्य दिवस पर सुबह नौ बजे से शाम पांच बजे तक उपलब्ध रहेगी.

पशुपालकों को लेकर कदम उठा रही हिमाचल सरकार 

इस दौरान मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि उनकी सरकार पशुपालकों के हितों को सुरक्षित रखने के लिए अनेक कदम उठा रही है. हिमाचल प्रदेश दूध पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP on Milk) देने वाला देश का पहला राज्य है, जहां गाय का दूध 45 रुपये प्रति लीटर और भैंस का दूध 55 रुपये प्रति लीटर की दर से खरीदा जा रहा है. उन्होंने कहा कि पशु पालकों की आय बढ़ाने के लिए राज्य सरकार जिला कांगड़ा के ढगवार में एक लाख 50 हजार लीटर प्रतिदिन की क्षमता का मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित करने जा रही है.

यह मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट पूरी तरह से ऑटोमैटिक होगा. इस पर 226 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. सुक्खू सरकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की कोशिश कर रही है, क्योंकि गांव को आत्मनिर्भर बनाकर ही प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है.

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