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Madhya Pradesh Government Amended Primary Requirements To Establish Nursing College After CBI Red Flags – मध्य प्रदेश के 50% सरकारी नर्सिंग कॉलेज CBI जांच में अपात्र, एक्शन के बजाय सरकार ने बदले नियम


मध्य प्रदेश के 50% सरकारी नर्सिंग कॉलेज CBI जांच में अपात्र, एक्शन के बजाय सरकार ने बदले नियम

65 नर्सिंग कॉलेजों मान्यता मानकों पर खरे नहीं उरे हैं. इन्हें लेकर हाईकोर्ट ने कोई राहत नहीं दी है.

भोपाल:

अज़ब मध्य प्रदेश में नर्सिंग कॉलेजों के फर्जीवाड़े की गजब कहानियों की सीरीज़ हमने अपने दर्शकों को दिखाई है, लगातार इस मामले में सरकारी लीपापोती की परतें भी खोली. सीबीआई ने जांच के बाद लगभग 50 फीसदी कॉलेजों को अपात्र बता दिया. अब सरकार ने ऐसा दांव खेला है, जिसको सुनकर आप भी हैरत में पड़ जाएंगे. देश में मध्य प्रदेश इकलौता ऐसा राज्य है जिसने इतने प्रावधान शिथिल किये हैं.

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सीबीआई रिपोर्ट में सरकारी नर्सिंग कॉलेजों की सच्चाई बाहर आते ही सरकार ने आनन फानन में नर्सिंग शिक्षण संस्था मान्यता के नियमों में संशोधन करते हुए 2024 के नए नियम बना दिए हैं. इसके मुताबिक अब पहले जिस नर्सिंग कॉलेज को खोलने के लिए पहले 23000 वर्गफीट की बिल्डिंग की जरूरत होती थी, अब इस नर्सिंग कॉलेज को खोलने के लिए सिर्फ 8000 वर्ग फीट बिल्डिंग की जरूरत होगी. सरकार ने ये नियम नर्सिंग कोर्सेस को रेगुलेट करने वाली अपेक्स संस्था इंडियन नर्सिंग काउंसिल के प्रावधानों के भी विपरीत बनाये है.

भारतीय नर्सिंग काउंसिल के लिए निश्चित संख्या में फैकल्टी मेंबर्स, एक कैंटीन, एक लाइब्रेरी और कम से कम 100 बेड का एक अस्पताल होना चाहिए. इसके लिए कम से कम 23,720 वर्ग फुट जगह अनिवार्य है. लेकिन मध्य प्रदेश में सरकार ने नर्सिंग कॉलेजों के नियमों में बदलाव कर नई बहस छेड़ दी है. सरकार का ये फैसला राज्य के नर्सिंग कॉलेजों की स्थिति को लेकर NDTV की हालिया रिपोर्टों के करीब 5 महीने बाद आया है.

बीते साल अगस्त में ऐसे 19 संस्थानों की मान्यता रद्द कर दी गई, जिसके बाद राज्य ने 2020/21 में रजिस्टर्ड सभी संस्थानों की जांच के लिए सीबीआई को अधिकृत किया था. इस जांच के लेटेस्ट अपडेट के मुताबिक 670 नर्सिंग कॉलेजों में से करीब 50 प्रतिशत अयोग्य घोषित कर दिए गए. इससे मध्य प्रदेश सरकार को कार्रवाई करनी पड़ी है.

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कार्यकर्ता विशाल बघेल ने एनडीटीवी को बताया कि वह इन नियमों को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में चुनौती देने की योजना बना रहे हैं, जिसने पहले सीबीआई द्वारा जांच की गई सभी 308 संस्थानों के नाम और प्रत्येक जांच के परिणाम जारी किए थे; यानी, उनके नाम के आगे ‘उपयुक्त’, ‘अपूर्ण’, या ‘अस्थिर’ टैग के साथ।

इस मामले में याचिकाकर्ता विशाल बघेल का मानना है कि पिछले 2 सालों की कड़ी मशक्कत और सीबीआई जांच के बाद जो कॉलेज अपात्र पाए गए थे, वे सरकार के नए नियमों के बाद अगले सत्र में नए सिरे से फिर मान्यता पाने में अब सफल हो जाएंगे. याचिकाकर्ता ने इन नियमों को भी हाईकोर्ट में चुनौती देने की बात कही है.

प्रदेश में हुए नर्सिंग कॉलेज मान्यता फर्जीवाड़े में हाइकोर्ट ने उन सभी 308 नर्सिंग कॉलेज की सूची भी जारी कर दी जिसकी सीबीआई ने जांच की है. उनके नाम के सामने उपयुक्त, अपूर्ण, अनुपयुक्त की श्रेणी भी बताई है. सीबीआई रिपोर्ट से यह भी साबित हो गया है कि मध्य प्रदेश में 308 नर्सिंग कॉलेज में से सिर्फ 169 नर्सिंग कॉलेज ही मानकों के अनुसार चल रहे थे.

सरकार ने हाईकोर्ट से सत्र 2024-25 की मान्यता की प्रक्रिया शुरू करने की अनुमति मांगी थी. कोर्ट ने इसकी अनुमति सरकार को दी है.

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