CM Yogi Adityanath Congrats Jnanpith Award 2024 Sanskrit Scholar Rambhadracharya And Gulzar
UP News: ज्ञानपीठ चयन समिति ने घोषणा की है कि प्रसिद्ध उर्दू कवि गुलजार और संस्कृत विद्वान जगद्गुरु रामभद्राचार्य को 58वें ज्ञानपीठ पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है. वहीं गुलजार और जगद्गुरु रामभद्राचार्य को ज्ञानपीठ पुरस्कार मिलने के एलान पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रतिक्रिया सामने आई है. सीएम योगी ने एक्स पर गुलजार और जगद्गुरु रामभद्राचार्य को बधाई दी है.
सीएम योगी ने एक्स पर लिखा- “पूज्य संत, संस्कृत भाषा के प्रकांड विद्वान व आध्यात्मिक गुरु, जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज को प्रतिष्ठित ज्ञानपीठ पुरस्कार-2023 से सम्मानित होने पर हृदयतल से बधाई!आपका तपस्वी और शुचिता पूर्ण जीवन पूरे समाज के लिए एक महान प्रेरणा है.” इसके साथ ही सीएम योगी ने लिखा-“प्रख्यात गीतकार, कवि व फिल्मकार श्री गुलजार जी को प्रतिष्ठित ज्ञानपीठ पुरस्कार-2023 से सम्मानित होने पर हार्दिक बधाई! लेखन के प्रति समर्पण और साहित्य जगत में आपका अतुल्य योगदान सभी के लिए प्रेरणाप्रद है.”
पूज्य संत, संस्कृत भाषा के प्रकांड विद्वान व आध्यात्मिक गुरु, जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज को प्रतिष्ठित ज्ञानपीठ पुरस्कार-2023 से सम्मानित होने पर हृदयतल से बधाई!
आपका तपस्वी और शुचिता पूर्ण जीवन पूरे समाज के लिए एक महान प्रेरणा है।
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) February 17, 2024
ज्ञानपीठ चयन समिति ने एक बयान में कहा, ‘‘यह पुरस्कार (2023 के लिए) दो भाषाओं के प्रतिष्ठित लेखकों को देने का निर्णय लिया गया है – संस्कृत साहित्यकार जगद्गुरु रामभद्राचार्य और प्रसिद्ध उर्दू साहित्यकार गुलजार.’’ गुलजार के नाम से मशहूर संपूर्ण सिंह कालरा हिंदी सिनेमा में अपने कार्य के लिए पहचाने जाते हैं और वर्तमान समय के बेहतरीन उर्दू कवियों में शुमार हैं. वहीं चित्रकूट में तुलसी पीठ के संस्थापक और प्रमुख रामभद्राचार्य एक प्रसिद्ध हिंदू आध्यात्मिक गुरु, शिक्षक और चार महाकाव्य समेत 240 से अधिक पुस्तकों के लेखक हैं.
रामभद्राचार्य रामानंद संप्रदाय के वर्तमान चार जगद्गुरु रामानंदाचार्यों में से एक हैं और 1982 में उन्हें यह उपाधि मिली थी. 22 भाषाओं पर अधिकार रखने वाले रामभद्राचार्य ने संस्कृत, हिंदी, अवधी और मैथिली सहित कई भारतीय भाषाओं में रचनाओं का सृजन किया है. 2015 में उन्हें पद्म विभूषण पुरस्कार मिला. रामभद्राचार्य की वेबसाइट के अनुसार, उनका नाम गिरिधर मिश्र था. दो महीने की उम्र में एक प्रकार के संक्रामक रोग ‘ट्रेकोमा’ के कारण उनकी आंखों की रोशनी चली गई और शुरुआती वर्षों में उनके दादा ने उन्हें घर पर ही पढ़ाया.
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