Farmers Protest in Delhi Why Rakesh tikait and sanyukt kisan morcha away from this Kisan Andolan
Farmers Protest Latest News: न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) समेत अन्य मांगों को लेकर किसानों का ‘दिल्ली चलो’ मार्च शुरू हो चुका है. सोमवार को केंद्र सरकार से वार्ता विफल होने के बाद किसानों ने दी गई डेडलाइन क्रॉस होने के बाद मंगलवार (13 फरवरी) को दिल्ली की ओर कूच करना शुरू किया. इस आंदोलन में 200 से अधिक किसान यूनियन शामिल हैं और इसका आह्वान संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने किया है.
यह आंदोलन एक बार फिर से पुराने किसान आंदोलन की याद दिलाता है, जिसके तहत किसान दिल्ली की सीमाओं पर एक साल तक जमे रहे थे. इसके बाद केंद्र सरकार को तीन कृषि कानून वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा था, लेकिन इस आंदोलन और उस आंदोलन में एक बड़ा अंतर इन्हें लीड करने वालों का है. 2020 में हुए आंदोलन का नेतृत्व संयुक्त किसान मोर्चा और भारतीय किसान यूनियन ने किया था. इस बार ये दोनों ही संगठन इस आंदोलन से फिलहाल दूर हैं.
कौन कर रहा है इस आंदोलन की अगुवाई?
1. संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक)
इस बार के किसान आंदोलन की अगुवाई प्रमुख रूप से संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) कर रहा है. इसका गठन नवंबर 2020 में दिल्ली में पहले किसान आंदोलन के दौरान ही हुआ था. इसने तब खुद को आंदोलन से अलग कर लिया था. जगजीत सिंह दल्लेवाल के नेतृत्व वाले इस गुट ने तब कहा था कि वह गैर-राजनीतिक है.
2. किसान मजदूर मोर्चा
किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के अलावा इस आंदोलन की अगुवाई किसान मजदूर मोर्चा भी कर रहा है. सरवन सिंह पंधेर इस मोर्चा के अध्यक्ष हैं. यह संगठन 2020 के विरोध प्रदर्शन में शामिल नहीं था. मंगलवार को पंधेर ने कहा, “किसानों का यह विरोध राजनीतिक नहीं है. प्रदर्शनकारियों को कांग्रेस का समर्थन प्राप्त नहीं है. हम कांग्रेस को भी उतना ही दोषी मानते हैं जितना भाजपा को. न ही हम वामपंथियों का समर्थन करते हैं. हम किसी भी राजनीतिक दल के पक्ष में नहीं हैं.”
कहां हैं राकेश टिकैत, बीकेयू और संयुक्त किसान मोर्चा?
कई लोगों के मन में ये सवाल है कि संयुक्त किसान मोर्चा (SKM), बीकेयू और राकेश टिकैत ने खुद को दिल्ली चलो मार्च से अलग क्यों कर रखा है. दरअसल, टिकैत बेशक आंदोलनकारी किसानों के साथ नहीं दिख रहे हैं, लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से वह किसानों के साथ ही नजर आ रहे हैं. एसकेएम और अन्य केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने 16 फरवरी को देशव्यापी हड़ताल और ग्रामीण बंद का आह्वान किया है. राकेश टिकैत ने भी कहा है कि अगर इन किसानों पर अत्याचार हुआ तो वह दूर नहीं हैं. वह भी एक्टिव हो जाएंगे और इस आंदोलन में शामिल होंगे. वहीं बीकेयू के अध्यक्ष और राकेश टिकैत के भाई नरेश टिकैत ने मंगलवार (13 फरवरी) को कहा, “हमेशा हर मांग को लेकर नई दिल्ली कूच करना ठीक नहीं है. विभिन्न राज्यों की अलग-अलग मांगें हैं, लेकिन क्या किसान हमेशा विरोध पर रहेंगे, क्या वे हमेशा दिल्ली की ओर मार्च करेंगे? सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए. यह अड़ियल रवैया किसी के लिए अच्छा नहीं हो रहा है.”
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