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Rajasthan Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव आने वाले हैं. विधानसभा चुनाव हो या लोकसभा चुनाव, राजनीति में मेवाड़ और वागड़ हमेशा से राजनीतिक पार्टियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण रहा है. विधानसभा चुनाव में यहां की 28 सीटों पर नजर रहती है तो वहीं लोकसभा में यहां की 4 सीटों पर. इन सीटों में चित्तौड़गढ़ लोकसभा सीट अपने आप में अलग ही पहचान रखती है. मेवाड़ की राजधानी वाली इस सीट पर पिछले दो लोकसभा चुनाव में यहां से भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी सांसद बनकर आ रहे हैं. लेकिन इस विधानसभा में राजनीतिक गणित कुछ अलग है. क्योंकि भाजपा के एक फैसले ने यहां बहुत कुछ बदल दिया है.
विधानसभा सीटें हैं, यहां बीजेपी का पलड़ा भारी
चितौड़गढ़ विधानसभा सीट मध्य प्रदेश बॉर्डर से लगती हुई है. मेवाड़ की राजनीति का उदयपुर के बाद दूसरा बड़ा सेंटर प्वाइंट है. इस लोकसभा सीट के एरिया ने 8 विधानसभा सीटें आती है. हालही विधानसभा चुनाव में भाजपा की सरकार बनी और इसी सीट के दो विधायकों को कैबिनेट और स्वतंत्र प्रभार मंत्री बनया है. विधानसभा सीटों की बात करे तो यहां मेवाड़ के चित्तौड़गढ़, उदयपुर और प्रतापगढ़ जिलों की आठ सीटों से मिलकर यह सीट बनी है. यानी जनरल वोटर्स के साथ यहां जनजातीय वोटर्स भी है.
यह है विधानसभा
इस लोकसभा सीट के चित्तौड़गढ़ जिले की कपासन, बेगू, चित्तौड़गढ़, निंबाहेड़ा और बड़ी सादड़ी, वहीं उदयपुर जिले के मावली और वल्लभनगर, साथ ही प्रतापगढ़ जिले की प्रतापगढ़ विधानसभा है. इन सीटों में छह सीटों पर भाजपा और दो सीटें कांग्रेस पार्टी की है.
यह रहे सांसद और इतने है वोटर्स
चितौड़गढ़ लोकसभा सीट के वोटर्स की बात करें तो आठ विधानसभा वाली इस सीट में वर्ष 2019 चुनाव के अनुसार करीब 2.70 लाख वोटर हैं. इसमें एक विधानसभा सीट जनजातीय आरक्षित है. यहां पिछली दो बार से सीपी जोशी सांसद है. इनसे पहले उदयपुर की रहने वाली पूर्व केंद्रीय मंत्री गिरिजा व्यास सांसद रही थीं. दो बार निंबाहेड़ा से वर्तमान विधायक श्री चांद कृपलानी भी दो बार सांसद रहे हैं.
पार्टी ने लिए था यह फैसला
लोकसभा चुनाव में जुटी पार्टियों में चर्चाओं का दौर चल रहा है. इसी में सबसे मुख्य चर्चा बीजेपी के एक फैसले पर हो रही है. दरअसल हाल ही राजस्थान में विधानसभा चुनाव हुए. इस चुनाव में टिकट वितरण के समय कई जगह विरोध चल रहे थे. इसी बीच चित्तौड़गढ़ विधानसभा सीट की टिकट घोषणा के बाद यहीं सीट सबसे हॉट सीट हुई थी. भाजपा ने अपनी ही पार्टी के दो बार से विधायक चंद्रभान सिंह आक्या का टिकट काटकर नरपत सिंह राजवी को दिया. फिर चंद्रभान सिंह निर्दलीय चुनाव लडे. चंद्रभान की जीत ऐसी हुई कि भाजपा के प्रत्याशी नरपत सिंह की जमानत जब्त हो गई.
भाजपा को चिंता क्यों?
चर्चाएं है कि विधानसभा चुनाव में प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी अपने ही घर की सीट को नहीं बचा पाए. वहीं चंद्रभान लगातार अलग अलग विधानसभा में बैठकें आयोजित कर रहे हैं. वहीं कांग्रेस पार्टी विधानसभा में दूसरे नंबर पर रही थी और पर्यवेक्षकों ने यहां बैठके भी शुरू कर दी है. चर्चा तो यह भी है कि सीपी जोशी इस चुनाव में किसी और सीट से चुनाव लड़ सकते हैं. यह ही चंद्रभान को भाजपा ने शामिल कर लोकसभा लड़ा सकते हैं.
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