Orchha Ram Raja worshiped By Hindus and Muslims Bhagwan Ram Condition to Visit Orchha Rani Ganesh Kunwari ann
Orchha News: अयोध्या में 500 साल के कड़े संघर्ष के बाद भव्य और दिव्य मंदिर में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी. भव्य प्राण प्रतिष्ठा समारोह में महज एक दिन का समय बाकी रह गया है. भगवान राम की अगवानी के लिए मध्य प्रदेश में भी लोग खासा उत्साहित हैं. भगवान राम का मध्य प्रदेश से खास रिश्ता है. दरअसल, मध्य प्रदेश के ओरछा में राजा राम का भव्य मंदिर है. ओरछा की रानी की विशेष तपस्या के बाद तीन शर्तों के साथ भगवान राम अयोध्या आए थे.
बता दें, सोमवार (22 जनवरी) को अयोध्या के भव्य दिव्य राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह होने जा रहा है. प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव को लेकर सारा देश ही उत्साहित है. मध्य प्रदेश की अयोध्या (ओरछा) में भी राजा राम की अगवानी को लेकर गजब का उत्साह है. ओरछा के प्रवेश द्वार से लेकर पूरा नगर केसरिया रंग में सज गया है. घरों पर खूबसूरत और आकर्षक लाइटों से साज सज्जा की गई है. इसी क्रम में भगवान राम की अगवानी के लिए ओरछा के हिंदू और मुस्लिम सहित सभी धर्म और संप्रदाय के लोग उत्साहित हैं.
रानी की जिद पर ओरछा आए थे राजाराम
पौराणिक कथाओं के अनुसार ओरछा के शासक मधुकरशाह कृष्ण भक्त थे, जबकि उनकी महारानी गणेश कुंवरी भगवान राम की उपासक थीं. इसके चलते राजा और रानी के बीच विवाद की स्थिति निर्मित होती रहती थी. एक बार राजा मधुकरशाह ने रानी कुंवरी गणेश से वृंदावन चलने को कहा, लेकिन रानी ने अयोध्या जाने की जिद की. जिस पर राजा ने कहा कि तुम क्या राजा राम को लेकर आ पाओगी. यह सुनते ही महारानी कुंवरी गणेश अयोध्या के लिए रवाना हो गईं और 21 दिनों तक कठिन तपस्या कीं.
कठिन तपस्या के बाद जब भगवान राम प्रकट नहीं हुए, जिस पर रानी ने सरयू नदी में छलांग लगा दी. कहा जाता है कि महारानी की भक्ति देखकर भगवान राम नदी के जल में प्रकट हो गए. तब महारानी ने राम से अयोध्या से ओरछा चलने का आग्रह किया, जिस पर भगवान राम ने उनके सामने तीन शर्तें रखी दीं.
यह हैं तीन शर्तें
इस दौरान भगवान राजाराम ने महारानी के सामने जो तीन शर्तों रखीं, उसमें पहली शर्त थी कि मैं यहां से जाकर जिस जगह बैठ जाऊंगा, वहां से नहीं उठूंगा. दूसरी ओरछा के राजा के रूप में विराजित होने के बाद किसी दूसरे की सत्ता नहीं रहेगी. तीसरी और आखिरी शर्त थी कि खुद को बाल रूप में पैदल एक विशेष पुष्य नक्षत्र में साधु संतों को साथ ले जाने की थी. महारानी ने भगवान राम की यह तीनों शर्तें सहर्ष स्वीकार कर ली. इसके बाद रामराजा ओरछा आ गए, तब से भगवान यहां विराजमान हैं.
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