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Makar Sankranti 2024: How Is This Festival Celebrated In Different States Of India? – Makar Sankranti 2024: देश के अलग-अलग हिस्सों में इन नामों से जानी जाती है मकर संक्रांति, मनाने का तरीका होता है ऐसा


Makar Sankranti 2024: देश के अलग-अलग हिस्सों में इन नामों से जानी जाती है मकर संक्रांति, मनाने का तरीका होता है ऐसा

Makar sankranti 2024 : हिमाचल में इस पर्व को माघ साजी के नाम से जाना जाता है.

Makar sankranti celebration 2024 : मकर संक्रांति का पर्व भारत के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है, साथ ही इसके मनाने का तरीका भी हर राज्य में थोड़ा अलग होता है. आज हम इस आर्टिकल में आपको संक्रांति का पर्व किस राज्य में कौन से नाम से जाना जाता है और कैसे मनाया जाता है, विस्तार से बताएंगे. तो आइए जानते हैं बिना देर किए.  Makar Sankranti 2024 date : मकर संक्रांति क्यों है इतनी खास, यहां जानिए इस पर्व से जुड़ी 4 रोचक बातें

मकर संक्रांति पर्व किस राज्य में किस नाम से जाना जाता है

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खिचड़ी – पंजाब, दिल्ली और हरियाणा में इसे मकर संक्रांति के रूप में जाना जाता है. इस दिन लोग तिल गुड़ का दान करते हैं. वहीं, उत्तर भारत में तो इसे खिचड़ी के नाम से जाना जाता है. इस दिन लोग उड़द और दाल की खिचड़ी बनाते हैं. इसके अलावा ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके सूर्य को अर्ध्य देकर, तिल गुड़ और उड़द का दान करते हैं .

पोंगल – वहीं, तमिलनाडु में मकर संक्रांति को पोंगल के रूप में जाना जाता है. इस राज्य में यह पर्व पूरे 4 दिन मनाया जाता है. जिसमें पहले दिन भोगी पोंगल, दूसरे दिन सूर्य पोंगल, तीसरे दिन मट्टू पोंगल और चौथे दिन कन्या पोंगल शामिल है. इस दिन चावल को गुड़ के साथ उबालकर डिश तैयार की जाती है. 

उत्तरायण- गुजरात में इस पर्व को उत्तरायण के नाम से जाना जाता है. इस दिन मनाया जाने वाला ‘काइट फेस्टिवल’ पूरे दुनिया में प्रसिद्ध है. इस दिन लोग अपने-अपने छतों पर रंग-बिरंगी पतंग उड़ाकर इस त्यौहार का आनंद लेते हैं. 

माघ साजी– हिमाचल में इस पर्व को माघ साजी के नाम से जाना जाता है. इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और भगवान का आशीर्वाद लेते हैं. इस दिन लोग स्नान करके पूजा पाठ करते हैं फिर रिश्तेदारों और दोस्तों के घर जाकर उन्हें खिचड़ी, घी और मिठाईयां उपहार में देते हैं. 

बिहू- वहीं, पूर्वात्तर राज्य में इसे बिहू के नाम से जाना जाता है. इस दिन से असम में सारे शुभ कार्यो की शुरूआत हो जाती है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 



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