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Ram Mandir Varanasi Two Karsevaks Narrated Ayodhya Firing Incident During 1990 ANN


Ram Mandir Pran Pratishtha: अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर का पीएम मोदी के हाथों उद्घाटन होने जा रहा है. रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को भव्य बनाने की तैयारी चल रही है. लंबे संघर्ष और आंदोलन के बाद राम मंदिर का सपना साकार हो रहा है. राम मंदिर आंदोलन कारसेवकों की लंबी लड़ाई का नतीजा है. 1990 और 1992 में विश्व हिंदू परिषद की तरफ से अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए कारसेवा का ऐलान किया गया था. वीएचपी के आह्वान पर भारी संख्या में काशी से भी कारसेवक शामिल हुए थे. वाराणसी में कारसेवकों के जत्थे का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी राजू पाठक और पुरुषोत्तम पांड्या को सौंपी गई थी. 

‘साध्वी ऋतंभरा और उमा भारती के भाषणों ने भरा था जोश’

कारसेवक के तौर पर शामिल रहने वाले पुरुषोत्तम पांड्या ने बताया कि राम जन्मभूमि के दोनों आंदोलन में शामिल होने का अवसर मिला. 1990 के दशक में उत्तर प्रदेश की सत्ता पर समाजवादी पार्टी का कब्जा था. सपा सरकार राम मंदिर आंदोलन और कार सेवा पर कड़ी निगरानी रख रही थी. पक्का महल समेत अन्य इलाकों में राम भक्त आंदोलन को धार देने के लिए बैठकें करते थे. उस दौर में  साध्वी ऋतंभरा और उमा भारती का संबोधन कैसेट के माध्यम से सुनाकर राम भक्तों में जोश भरा जाता था. हम 23 अक्टूबर 1990 को काशी से अयोध्या के लिए 17 कारसेवकों को लेकर निकले. कारसेवकों का जत्था 6 दिनों की 250 किलोमीटर पैदल यात्रा कर अयोध्या पहुंचा.

काशी के कारसेवक ने सुनाई राम मंदिर आंदोलन की कहानी

पुरुषोत्तम पांड्या ने बताया कि हनुमानगढ़ी से आगे बढ़ने पर बैरिकेडिंग कर बुरी तरह भीड़ को पीटा गया. डंडों से पिटाई खाने के बाद हमने गोलियां चलते देखी. मौके पर काफी समय तक अफरा तफरी का माहौल रहता है. जख्मों को दिखाते हुए पुरुषोत्तम पांड्या ने बताया की फायरिंग का दृश्य काफी भयावह था. फायरिंग के बीच लग रहा था मानो अब जान नहीं बचेगी. कुछ लोग सरयू नदी पार कर शहर से दूसरी तरफ भी जा रहे थे. हमने दर्जनों लोगों के शव को देखा. अशोक सिंघल की बस में भरकर हम लोगों को शहर की तरफ ले जाया गया. गोली लगने की वजह से महीनों इलाज चला. 

दो माह तक गुम रहने की वजह से परिजनों ने समझा था मृत

वाराणसी से अयोध्या जाने वाले कारसेवक के रूप में जत्था का नेतृत्व करनेवाले राजू पाठक ने बताया कि रेल मार्ग, सड़क मार्ग पर पुलिस प्रशासन और राज्य की जांच एजेंसियों का कड़ा पहरा रहता था. हमारे साथ तकरीबन 17 लोग 23 अक्टूबर को वाराणसी से अयोध्या के लिए निकल चुके थे. वाराणसी जौनपुर की सीमा पर कारसेवकों की कड़ी चेकिंग हुईं थी. लोगों के सहयोग से जत्था अयोध्या पहुंचने में कामयाब हुआ. राजू पाठक ने आगे बताया कि 2 महीने तक अयोध्या में छिप कर रहने की वजह से परिजनों ने मृत समझ लिया था. 6 माह की बेटी शालू निरंतर परिवार से पूछती थी कि पापा कब आएंगे.

बेटी के सवाल पर परिवार भावुक हो जाता था. लेकिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम और हनुमान की कृपा से हम सभी 2 महीने बाद वाराणसी सकुशल वापस लौटे थे. दोनों कारसेवकों को अयोध्या आने का निमंत्रण नहीं मिला है. उन्होंने 22 जनवरी के कार्यक्रम में शामिल होने की इच्छा जताई है. न्योता नहीं मिलने पर दोनों कारसेवक काशी में राम मंदिर का उत्सव मनाएंगे. उन्होंने कहा कि कारसेवकों तपस्या पूरी हो गई. भगवान रामलला वास्तविक निवास स्थल पर विराज होने जा रहे हैं. इससे बड़ी खुशी और क्या हो सकती है.

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