FBI Director Assures NIA Of Thorough Investigation Into San Francisco Consulate Attack – FBI के डायरेक्टर ने NIA को सैन फ्रांसिस्को वाणिज्य दूतावास हमले की गहन जांच का आश्वासन दिया
नई दिल्ली:
भारत के दौरे पर आए अमेरिकी एजेंसी फेडरल ब्यूरो ऑफ इनवेस्टिगेशन (FBI) के डायरेक्टर क्रिस्टोफर रे ने भारत को आश्वासन दिया कि अमेरिका सैन फ्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास पर किए गए हमले की “आक्रामक” तरीके से जांच कर रहा है और जल्द ही “विश्वसनीय” सुराग साझा करेगा. रे ने अपने दौरे के दूसरे दिन मंगलवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के डायरेक्टर दिनकर गुप्ता से मुलाकात की.
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इसी साल मार्च में खालिस्तान समर्थकों के एक गुट ने सैन फ्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास पर हमला करके उसे क्षतिग्रस्त कर दिया था. जुलाई में भारतीय वाणिज्य दूतावास पर फिर हमला हुआ. एनआईए की टीम ने अगस्त में सैन फ्रांसिस्को का दौरा किया था और कुछ सुराग लेकर वापस लौटी थी.
दिलचस्प बात यह है कि दोनों प्रमुखों के बीच यह मुलाकात अमेरिकी धरती पर सिख अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नून को मारने की नाकाम हुई साजिश में भारत के शामिल होने के वाशिंगटन के आरोपों के ठीक बाद हुई है.
एनडीटीवी को मिली जानकारी के मुताबिक भारत ने यह मुद्दा उठाया है कि किस तरह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग किया जा रहा है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने खुलासा किया, “अमेरिका में फैल रहे संगठित आपराधिक सिंडिकेट के सदस्यों के साथ आतंकवादी संगठनों और आतंकवादी तत्वों के बीच सक्रिय सांठगांठ को एनआईए के डीजी ने उजागर किया.”
उनके अनुसार दोनों एजेंसियों के बीच इस बात पर भी विस्तार से चर्चा हुई कि रियल टाइम खुफिया जानकारी कैसे साझा की जाए ताकि उसके मुताबिक फैसले तुरंत लिए जा सकें.
एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने खुलासा किया कि, “मुंबई के 26/11 के आतंकवादी हमले की साजिश में शामिल रहे तहव्वुर राणा सहित कई लंबित प्रत्यर्पणों पर भी चर्चा हुई.”
पाकिस्तानी मूल का कनाडाई व्यवसायी राणा 2008 के मुंबई आतंकवादी हमले में कथित रूप से संलिप्त था. उसे भारतीय अधिकारियों ने वांछित घोषित किया है. वह वर्तमान में अमेरिका में रह रहा है.
बैठक के दौरान एनआईए के डीजी ने बताया कि साइबर क्षेत्र में खतरे बढ़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि कट्टरपंथी विचारों के प्रचार और भर्ती के लिए आतंकवादियों और चरमपंथियों द्वारा डिजिटल स्पेस का भी प्रभावी ढंग से उपयोग किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि एनआईए टेररिस्ट फंडिंग के लिए क्रिप्टोकरंसी का उपयोग भी देख रहा है.
एन्क्रिप्शन ऐप्स से डेटा हासिल करने में कानून प्रवर्तन एजेंसियों के सामने आने वाली कठिनाइयों पर भी चर्चा की गई. अधिकारी ने कहा, दोनों देशों ने कहा कि तेज गति से नई टेक्नालॉजी के आने के साथ क्रिप्टो लेनदेन का पता लगाना, ट्रैकिंग और जांच करना एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है.
अधिकारी ने कहा कि दोनों एजेंसियों ने संगठित अपराध नेटवर्क, आतंक संबंधी अपराधों, साइबर सक्षम आतंकी हमलों, रैंसमवेयर खतरों, आर्थिक अपराधों और अंतरराष्ट्रीय आतंकी अपराधों के कारण मौजूदा चुनौतियों पर चर्चा की.