Government Makes Big Changes In Bill To Protect Top Election Officers – CEC, EC नियुक्ति प्रक्रिया से जुड़े बिल में सरकार ने किए हैं ये बदलाव, जानें विपक्ष क्यों उठा रहा सवाल
नई दिल्ली:
देश के मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों के चयन पैनल में देश के मुख्य न्यायाधीश की जगह एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री को शामिल करने वाला विवादास्पद विधेयक आज राज्यसभा में पेश किया गया. इस बीच विपक्ष और कुछ पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त की आपत्तियों के बाद केंद्र ने इसमें कुछ संशोधन किए. मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि) विधेयक, 2023, मार्च में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद लाया गया है, जिसमें मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों के चयन के लिए प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, मुख्य न्यायाधीश और विपक्ष के नेता वाले एक पैनल के गठन का आदेश दिया था.
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अर्जुन राम मेघवाल ने विधेयक पेश करते हुए क्या कहा?
- 1991 में जो कानून बना था उसमें मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त की नियुक्ति का कोई Clause नहीं था.
- 2 मार्च 2023 को एक PIL पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने फैसला किया था कि जब तक संसद कानून नहीं बनाती तब तक एक सिलेक्शन कमेटी का गठन किया जाए.
- हमने आर्टिकल 324 (2) के तहत यह बिल आया है.
- इसमें मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त के प्रोटेक्शन के लिए विशेष प्रावधान है.
- हमने 10 अगस्त को जो CEC बिल पेश किया था, उसमें सर्च कमेटी के संदर्भ में एक संशोधन Clause 6 में किया है.
- मुख्य चुनाव आयुक्त/चुनाव आयुक्त की सैलरी में जो पहले प्रावधान था उसमें Clause 10 में संशोधन किया है.
- जो कंडीशंस की सर्विस है उसमें भी Clause 15 में संशोधन किया गया है.
- बिल में एक नया Clause 15 (A) इंसर्ट किया है, जिसके तहत कोई भी मुख्य चुनाव आयुक्त या चुनाव आयुक्त अपनी ड्यूटी के दौरान अगर कोई कार्रवाई संपादित करते है तो उनके खिलाफ कोर्ट में कोई भी कार्रवाई नहीं हो सकती है.
विधेयक पर क्या बोले रणदीप सुरजेवाला?
राज्यसभा में विधेयक पर कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चार शब्द चुनाव आयोग के लिए बेहद महत्वपूर्ण है: निष्पक्षता, निर्भीकता, स्वायत्तता और सुचिता… यह चार शब्द किसी भी व्यक्ति के जहन में आते हैं. यह जो कानून सरकार लेकर आई है, यह इन चार शब्दों को बुलडोजर के नीचे कुचल देता है.
पैनल पर क्या बोला सुप्रीम कोर्ट?
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम जैसी प्रणाली की मांग करने वाली याचिकाओं के जवाब में कहा था कि अगर लोकसभा में विपक्ष का कोई नेता नहीं है, तो पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सबसे बड़े विपक्षी दल का एक प्रतिनिधि पैनल में होगा. सरकार ने पहले इस विधेयक को सितंबर में विशेष सत्र में पेश करने पर विचार किया था, लेकिन विपक्ष के कड़े विरोध के बाद उन्होंने विधेयक में संशोधन किए.
CEC, EC नियुक्ति प्रक्रिया पर चर्चा
देश के मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्त्ति प्रक्रिया से जुड़ा विधेयक पेश होने से पहले कांग्रेस ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि वो चुनाव आयोग को प्रधानमंत्री के हाथों की कठपुतली बनाने का प्रयास कर रही है. चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र पांडे 14 फरवरी को सेवानिवृत्त हो जाएंगे, यानि 2024 लोकसभा चुनाव के पहले चुनाव आयोग में एक नियुक्ति होगी.सरकार की कोशिश होगी की ये नियुक्ति नए क़ानून के मुताबिक हो.
विधेयक में क्या है?
- चयन समिति अपनी प्रक्रिया को पारदर्शी तरीके से रेगुलेट करेगी.
- CEC-EC का कार्यकाल 6 साल या 65 वर्ष की आयु तक रहेगा
- CEC-EC का वेतन सुप्रीम कोर्ट के जज के समान होगा.
- इनका चयन पीएम, नेता विपक्ष, एक कैबिनेट मंत्री की समिति करेगी.
क्या है विवाद?
CEC-EC को लेकर मार्च में SC ने फ़ैसला सुनाते हुए चयन समिति में PM,नेता विपक्ष और CJI को रखने की बात कही थी. कोर्ट ने कहा था कि संसद से क़ानून बनने तक ये मानदंड लागू रहेगा. विपक्ष का आरोप है कि नए बिल से नियुक्ति में सरकार की मनमानी रहेगी और चुनाव आयोग PM के हाथों की कठपुतली हो जाएगा.
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