Rajasthan CM Name Announcement Vasundhara Raje Or New Leadership Get Chance ANN
Rajasthan CM Name: राजस्थान की राजनीति में मुख्यमंत्री पद की दौड़ में इस बार सबसे अधिक चेहरे सामने आए हैं. सभी शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात के बाद कुछ भी बोलने से बचते नजर आ रहे हैं. वसुंधरा राजे की भी लंबे समय बाद दिल्ली में जेपी नड्डा से मुलाकात हुई. बैठक के बाद पूर्व मुख्यमंत्री मुस्कुराते हुए निकलीं. इस दौरान उनके साथ बेटे दुष्यंत सिंह भी मौजूद रहे, लेकिन राजस्थान का सीएम कौन होगा इस पर अभी भी सस्पेंस बरकरार है.
वहीं जेपी नड्डा से राजे की मुलाकात के बाद राजनैतिक हलचल तेज हो गई है, यदि विधायकों में से मुख्यमंत्री चुना जाता है तो बड़े नाम के तौर पर बाबा बालक नाथ और वसुंधरा राजे का ही नाम सामने आ रहा है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह हमेशा चौंकाने वाले निर्णय के लिए जाने जाते हैं. ऐसे में वसुंधरा या कोई और अभी कुछ कहा नहीं जा सकता है. हालांकि वसुंधरा सीएम बनती हैं, तो कोटा संभाग को पहले की तरह अधिक लाभ होने वाला है. यहां सबसे बड़ मुद्दा एयरपोर्ट, मुकुंदरा में टाइगर बसाने, बूंदी का पर्यटन, बारां में विकास और झालावाड़ में भी बड़े काम होने की उम्मीद हैं, क्योंकि वसुंधरा राजे इसी क्षेत्र से आती हैं, तो यहां विकास की उम्मीद ज्यादा है.
आरोप लगाए जाने के बाद बढ़ी मुश्किलें
यह भी माना जा रहा है कि वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत सिंह ने कई विधायकों को अपने साथ रखा, लेकिन बारां के विधायक कंवर लाल मीणा ने इसका विरोध किया और कहा कि कोई बाड़ेबंदी नहीं हुई, सभी स्वतंत्र हैं. कोटा संभाग की 17 सीटों से जो विधायक जीतकर आए हैं, उनमें झालावाड़ और बारां के सात विधायक वसुंधरा राजे खेमे के हैं, जबकि चार विधायक लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के खेमे के हैं. ऐसे में जब बाड़ेबंदी के आरोप सामने आए, तो इसकी चर्चा भी तेज हो चली और इसका खामियाजा भी वसुंधरा को भुगतना पड़ सकता है.
लोकसभा चुनाव को देखते हुए भी हो रहा मंथन
वहीं इस समय लोकसभा चुनाव सिर पर हैं और सभी समाजों, सभी वर्ग और क्षेत्रों का आंकलन किया जा रहा है, ताकि लोकसभा की सभी 25 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा जाए. इस लिहाज से भी वसुंधरा राजे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. जब वसुंधरा सीएम थी तो उस समय भी बीजेपी 25 सीटें जीत कर आई थी, लेकिन इन पांच सालों में जहां सत्ता परिर्वन हुआ तो संगठन में भी बड़े बदलाव राजस्थान में किए गए. सतीश पूनिया को हटाने और सीपी जोशी को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने का निर्णय भी सही साबित हुआ और सतीश पूनिया चुनाव हार गए थे, ऐसे में बीजेपी की किरकिरी होने से बच गई. अब लोकसभा चुनाव को देखते हुए सभी बातों को ध्यान में रखते हुए सीएम और डिप्टी सीएम की जिम्मेदारी दी जाएगी.